कोविड की तीसरी लहर में वैश्विक महामारी की थकान से स्वास्थ्य पेशेवरों की जंग जारी

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चिकित्सकों के मुताबिक स्वास्थ्य पेशेवर सचमुच कोविड की थकान से जूझ रहे हैं। डॉक्टर समीर खुराना (परिवर्तित नाम) ने बताया कि कैसे वैश्विक महामारी और इसकी दो गंभीर लहरों ने उन्हें और उनके समुदाय के कई चिकित्सकों को ‘‘मानसिक एवं शारीरिक रूप से थका दिया है।”

नयी दिल्ली। चिकित्सकों के मुताबिक स्वास्थ्य पेशेवर सचमुच कोविड की थकान से जूझ रहे हैं। डॉक्टर समीर खुराना (परिवर्तित नाम) ने बताया कि कैसे वैश्विक महामारी और इसकी दो गंभीर लहरों ने उन्हें और उनके समुदाय के कई चिकित्सकों को ‘‘मानसिक एवं शारीरिक रूप से थका दिया है।” लेकिन खुराना के लिए चिंता की सबसे बड़ी बात यह थी कि वह घर में संक्रमण फैलने का कारण बन सकते हैं। उन्होंने कहा, “यह पहले से तनावपूर्ण और थकान भरे समय का बड़ा हिस्सा है जिसका हम सामना कर रहे हैं।” उन्होंने कहा, “मुझे स्पष्ट रूप से याद है कि मैं दिल्ली के जिस चिकित्सा केंद्र में काम करता हूं, उसमें कोविड का पहले मामला सामने आया था। मेरी शिफ्ट अभी शुरू हुई थी और हमें रिपोर्ट बताई गई थी।

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मैंने अपने व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) पहने और मरीजों का इलाज शुरू किया।” अपना और अपने अस्पताल का नाम उजागर न करने की शर्त पर खुराना ने कहा कि शुरू में उन्हें पीपीई में असहजता लगती थी लेकिन “अब यह मेरी यूनिफॉर्म बन गया है।” उन्होंने कहा, “2020 से, हम लगातार सतर्क और तैयार रहते हैं। कोविड की थकान स्वास्थ्य पेशेवरों के लिए असल में है जो पिछले दो वर्षों से बिना थके काम कर रहे हैं।” यह याद करते हुए कि कैसे वह अपनी शिफ्ट के बाद छत पर एक छोटे से कमरे में अलग-थलग रहा करते थे और कुछ दिन कभी घर नहीं लौटते थे, खुराना ने कहा, मुझे अपने परिवार की रक्षा करनी थी, खासकर मेरे बुजुर्ग माता-पिता जिनकी उम्र 80 के आस-पास है।”

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महामारी के अपने तीसरे वर्ष में प्रवेश करने के कगार पर रहने के साथ, खुराना ने कहा, वह और कई अन्य लोग मानसिक और शारीरिक रूप से थका हुआ महसूस करते हैं। उन्होंने कहा, “मेरी बेटी इस साल किंडरगार्टन की पढ़ाई शुरू करेगी और मुझे लगता है कि मैंने उसके जीवन के पहले दो साल गंवा दिए हैं। अब भी मैं खुद को अपने परिवार के सदस्यों से अलग-थलग रखता हूं और पारिवारिक कार्यक्रमों में शामिल नहीं होता हूं।” देश में कोविड का पहला मामला जनवरी 2020 में सामने आया था और तब से देश में वायरस की तीन लहरें आई हैं जिसने 3.92 करोड़ लोगों को संक्रमित किया है और 4.89 लाख लोगों की जान ली है। भारत में फिलहाल कोविड की तीसरी लहर का प्रकोप है जो बेहद संक्रामक ओमीक्रोन स्वरूप के कारण है।

विशेषज्ञों का कहना है कि वैश्विक महामारी ने स्वास्थ्य पेशेवरों के शारीरिक और मानसिक लचीलेपन की अत्यधिक परीक्षा ली है। दिल्ली में एक सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ साजिद अनवर ने कहा कि जब वैश्विक महामारी की शुरुआत हुई थी, चारों तरफ घबराहट और उन्माद था। उन्होंने कहा, “अपनी सुरक्षा बरकरार रखने से ज्यादा जरूरी था कि हमारे मरीज सुरक्षा उपायों का पालन करें जो वे नहीं कर रहे थे। वे ठीक से मास्क नहीं पहनते थे, इंतजार करते वक्त दूरी का पालन नहीं करते थे। लक्षण वाले लोग भी जांच नहीं कराना चाहते थे।”

अनवर ने कहा कि लोग अब नियमों के प्रति जागरुक हैं लेकिन वह अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर अब भी चिंतित रहते हैं। उन्होंने कहा कि वह तनावपूर्ण समय था। साथ ही कहा कि वैश्विक महामारी ने स्वास्थ्य समुदाय के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बहुत नकारात्मक असर डाला है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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