सहकारी आर्थिक मॉडल पूंजीवादी, साम्यवादी मॉडल का बेहतर विकल्प: मोदी

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[email protected] । Sep 30 2018 5:54PM

मोदी ने कहा, ‘‘यह मुझे गर्व से भर देता है कि यह किसानों के सात दशक से अधिक समय के सहकारी आंदोलन का परिणाम था कि अमूल देश की एक पहचान, प्रेरणा और जरूरत बन गया।’’

आणंद (गुजरात)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को कहा कि सहकारी मॉडल पूंजीवादी और साम्यवादी मॉडल का एक व्यवहारिक आर्थिक विकल्प है। मोदी ने भारत के प्रथम गृह मंत्री वल्लभभाई पटेल की प्रशंसा की जो कि गुजरात में अमूल डेयरी सहकारी आंदोलन के संस्थापक भी थे। उन्होंने कहा कि पटेल ऐसे नेता थे जिन्होंने लोगों को एक आर्थिक मॉडल के रूप में सहकारी आंदोलन का महत्व बताया। मोदी ने कहा, ‘‘यह मुझे गर्व से भर देता है कि यह किसानों के सात दशक से अधिक समय के सहकारी आंदोलन का परिणाम था कि अमूल देश की एक पहचान, प्रेरणा और जरूरत बन गया।’’ उन्होंने इसे एक बड़ी उपलब्धि बताते हुए कहा कि यह केवल एक उद्योग या दुग्ध प्रसंस्करण संयंत्र नहीं बल्कि एक ‘‘वैकल्पिक आर्थिक मॉडल’’ भी है। उन्होंने कहा कि एक ओर साम्यवादी आर्थिक मॉडल है दूसरी ओर पूंजीवादी मॉडल है। विश्व इन दो मॉडल से प्रेरित है। 

उन्होंने कहा, ‘‘सरदार साहेब ने एक तीसरे आर्थिक माडल की नींव रखी,...जो कि न तो सरकार और न ही पूंजीवादियों द्वारा नियंत्रित था। इसके बजाय उसका निर्माण किसानों और लोगों के सहयोग से किया गया था और सभी उसका हिस्सा थे। यह साम्यवादी और पूंजीवादी मॉडल का एक व्यवहारिक विकल्प है।’’ मोदी यहां गुजरात में विभिन्न परियोजनाओं का उद्घाटन और आधारशिला रखने के बाद बोल रहे थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि सभी को पता है कि अमूल की संकल्पना स्वतंत्रता से एक वर्ष पहले की गई थी लेकिन सहकारी आंदोलन उससे काफी समय पहले शुरू हुए थे। उन्होंने कहा, ‘‘कुछ लोगों को पता होगा कि जब सरदार पटेल तत्कालीन अहमदाबाद नगर निगम के अध्यक्ष बने तो गुजरात में पहली बार शहरी विकास योजना की अवधारणा आयी।’’ 

उन्होंने कहा कि तब सरदार पटेल ने मध्यम आय समूह वाले लोगों को घर देने के लिए आवासीय सोसाइटी बनाने का पहला प्रयोग किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रीतम राय देसाई नाम के व्यक्ति को इस परियोजना से जुडे़ कार्य सरदार पटेल के नेतृत्व और मार्गदर्शन में करने को कहा गया और इस तरह से गुजरात के अहमदाबाद में देश की पहली आवासीय सोसाइटी बनी। मोदी ने कहा, “ सरदार साहेब ने इसका उद्घाटन 28 जनवरी 1927 को किया और बताया कि यह विकास का एक नया मॉडल है। चूंकि वह चाहते थे कि लोग इसे याद रखें इसलिए उन्होंने इस जगह का नाम (प्रीतम राय देसाई के नाम पर) प्रीतम नगर रखा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने ऊंट के दूध का इस्तेमाल करने की सलाह दी थी क्योंकि यह पौष्टिक होता है लेकिन उनका मजाक उड़ाया गया। मोदी ने कहा, “ मैंने कहा था कि ऊंट का दूध काफी पौष्टिक होता है। मुख्यमंत्री होने के नाते पता नहीं ऐसा कहकर मैंने क्या अपराध कर दिया था। मेरा मजाक उडा़या गया। मेरे खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की गई और कार्टून बनाए गए। आज, अमूल चॉकलेट का एक बड़ा बाजार है और ऊंट के दूध की कीमत गाय के दूध से दोगुनी है।' 

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