कोरोना संकट में इस दंपति ने अंतिम संस्कार कराने का उठाया जिम्मा!

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निधि अविनाश । May 3 2021 5:22PM

आपको बता दें कि सिंह एक अंतिम संस्कार कंपनी चलाते हैं और इन दोनों ही कपल के लिए हाल के हफ्ते काफी तनावपूर्ण रहे हैं। हर दिन, वह अस्पताल से श्मशान घाट तक 8-10 चक्कर लगाते है,कभी-कभी तो ऐसे स्थानों के भी सिंह को चक्कर लगाने पड़ते है जहां अस्पतालों के रास्ते में मरीजों की मौत हो जाती है।

देश में तेजी से बढ़ते कोरोना मामलों के बीच नम्रता ममक सिंह और दलजीत सीन सिंह एक कोरोना योद्धा की ही तरह हर आम लोगों की मदद करने में दिन-रात जुटे हुए है। आपको बता दें कि इन दोनों कपल के फोन इस कोरोना संकट में हर घंटे बजते हैं, यहां तक कि तड़के 3 बजे तक। आपको बता दें कि सिंह एक अंतिम संस्कार कंपनी चलाते हैं और इन दोनों ही कपल के लिए हाल के हफ्ते काफी तनावपूर्ण रहे हैं। हर दिन, वह  अस्पताल से श्मशान घाट तक 8-10 चक्कर लगाते है, कभी-कभी तो ऐसे स्थानों के भी सिंह को चक्कर लगाने पड़ते है जहां अस्पतालों के रास्ते में मरीजों की मौत हो जाती है। सिंह गैर-कोविड शोक की भी सेवा करते हैं, लेकिन जो लोग कोरोना वायरस के कारण मारे गए हैं, उनके लिए अंतिम यात्रा टीम के सदस्य अनिवार्य रूप से पीपीई सूट पहनते हैं। 

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दलजीत ने कहा, "हमने पिछले एक हफ्ते में देखा है कि हमारा बुनियादी ढांचा कितना खराब है।" “हमारे पास सिर्फ तीन इलेक्ट्रिक श्मशान हैं।वहीं नम्रता ने कहा, “उन मरीजों के परिवार जो घर पर मर जाते हैं या जिन्हें कोविड पर शक है और अस्पताल ले जाते समय उनकी मौत हो जाती है। वे हमें पता लगाने के लिए कहते हैं कि क्या करना है। हम वास्तव में क्लूलेस हैं। मृत्यु प्रमाण पत्र के बिना, श्मशान भूमि में प्रवेश की अनुमति नहीं है। इसलिए, हम अक्सर उन्हें एक डॉक्टर को बुलाने के लिए कहते हैं जो मौत को प्रमाणित कर सकता है या पुलिस को 100 लाइन डायल कर सकता है। यदि पूरा परिवार कोविड-पॉजिटिव है तो पुलिस मदद कर सकती है। इस दंपति का कहना है कि पुजारियों की स्थिति सबसे खराब है, अक्सर क्योंकि वे मास्क या पीपीई सूट नहीं पहनते हैं।

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