अदालत ने हड़ताली डॉक्टरों से तत्काल काम शुरू करने को कहा
बंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र के विभिन्न अस्पतालों में पिछले चार दिनों से हड़ताल कर रहे रेजीडेंट डॉक्टरों को आज तत्काल काम शुरू करने का आदेश दिया।
मुंबई। बंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र के विभिन्न अस्पतालों में पिछले चार दिनों से हड़ताल कर रहे रेजीडेंट डॉक्टरों को आज तत्काल काम शुरू करने का आदेश दिया। अदालत ने कहा कि डॉक्टरों की मांगों एवं मामलों को राज्य सरकार के साथ मिलकर सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाया जा सकता है। अदालत ने विभिन्न अस्पतालों के प्रबंधन और सरकार को भी यह निर्देश दिया कि वे उन चिकित्सकों के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं करें जिन्हें काम पर नहीं लौटने के कारण बुधवार को नोटिस जारी किए गए थे। राज्य के करीब 4,000 डॉक्टर सोमवार से हड़ताल पर हैं। सरकारी अस्पतालों में मरीजों के रिश्तेदारों द्वारा उन पर हमले किए जाने की घटनाओं के मद्देनजर डॉक्टरों की मांग है कि उनकी सुरक्षा बढ़ाई जाए।
मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लूर और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की खंड पीठ ने प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने वाली अफाक मांडवीय की याचिका की सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। मुख्य न्यायाधीश चेल्लूर ने कहा, ‘‘चिकित्सकों को पहले जाकर अपना काम शुरू करना चाहिए। सभी अन्य मामलों को सौहार्दपूर्वक धीरे धीरे सुलझाया जा सकता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम समझते हैं कि चिकित्सकों को कभी कभी तनावपूर्ण और खराब परिस्थितियों में काम करना पड़ता है लेकिन हम उनसे तत्काल काम शुरू करने का अनुरोध करते हैं।’’ पीठ ने कहा कि डॉक्टर सरकार एवं राज्य द्वारा नियुक्त समिति के साथ बैठकर विवादों को सुलझा सकते हैं।
राज्य महाधिवक्ता रोहित देव ने अदालत को सूचित किया कि सरकार ने राज्य और नगर निकायों द्वारा संचालित सभी अस्पतालों में महाराष्ट्र राज्य सुरक्षा निगम से अतिरिक्त 1100 सशस्त्र पुलिस बलों को तैनात करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा, ‘‘500 पुलिसकर्मी पांच अप्रैल को मुंबई के अस्पतालों में तैनात किए जाएंगे। शेष 600 पुलिसकर्मी 30 अप्रैल तक राज्यभर के अस्पतालों में तैनात किए जाएंगे।’’
देव ने कहा, ‘‘इन पुलिसकर्मियों को अस्पतालों में पहले से तैनात पुलिसकर्मियों के अलावा तैनात किया जाएगा।’’ अदालत ने उनका बयान स्वीकार किया और डॉक्टरों से काम पुन: शुरू करने को कहा। न्यायाधीशों ने कहा, ‘‘आप (डॉक्टर) काम फिर से शुरू कीजिए और यह देखिए कि जो आश्वासन दिया गया है, सरकार उसी के अनुसार काम कर रही है या नहीं। हम हर पखवाड़े इस मामले की सुनवाई करेंगे और मामले पर नजर रखेंगे।’’ अदालत ने कहा कि अतीत में भी सरकार ने आश्वासन दिए हैं लेकिन डॉक्टर फिर भी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। न्यायमूर्ति कुलकर्णी ने कहा, ‘‘इसका अर्थ है कि कुछ गड़बड़ है लेकिन डॉक्टरों को भी इस प्रकार के बड़े कदम नहीं उठाने चाहिए। सौहार्दपूर्ण तरीके से किसी समाधान पर पहुंचे जाने की आवश्यकता है।’’
अदालत ने कहा, ‘‘डॉक्टर शपथ लेते हैं कि वे हर परिस्थिति में काम करेंगे। हम समझते हैं कि आप तनावपूर्ण स्थितियों में काम कर रहे हैं लेकिन आपका पेशा इतना पवित्र है कि आप हड़ताल पर नहीं जा सकते।’’ उन्होंने कहा, ‘‘चिकित्सकीय आवश्यकता इंतजार नहीं कर सकती। डॉक्टरों का मौलिक कर्तव्य जान बचाना है।’’ महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ रेजीडेंट डॉक्टर्स की ओर से पेश हुए वकील राहुल तोतला ने अदालत को आश्वासन दिया कि एसोसिएशन सभी सदस्यों से तत्काल काम शुरू करने के लिए कहेगा। अदालत ने विभिन्न अस्पतालों के प्रबंधन को निर्देश दिया कि वे अस्पताल परिसरों में हर मरीज के साथ केवल दो संबंधियों को आने की अनुमति देने के नियम को सख्ती से लागू करें। न्यायाधीशों ने कहा, ‘‘हमें यह समझ नहीं आता कि किसी मरीज के साथ आपातकालीन वार्ड में 50 लोगों को आने की क्या आवश्यकता है। इससे डॉक्टरों पर दबाव बढ़ता है और भावनात्मक माहौल होने के कारण डॉक्टरों पर इस प्रकार के हमले होते हैं। संबंधियों को भी डॉक्टरों पर थोड़ा भरोसा होना चाहिए।’’ अदालत ने मामले की आगे की सुनवाई को छह अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दिया।
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