कैट के आदेश को पलटने वाला उच्च न्यायालय का फैसला परेशान करने वाला : केंद्र

Supreme Court
प्रतिरूप फोटो

शीर्ष अदालत कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ केंद्र की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने कैट की कोलकाता पीठ को बंदोपाध्याय के आवेदन की सुनवाई में तेजी लाने और इसे जल्द से जल्द निपटाने का निर्देश भी दिया।

नयी दिल्ली| केंद्र ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि कलकत्ता उच्च न्यायालय का पश्चिम बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव अलपन बंदोपाध्याय के एक आवेदन को कोलकाता से नयी दिल्ली स्थानांतरित करने के कैट की प्रधान पीठ के आदेश को खारिज करने वाला आदेश ‘‘परेशान करने वाला’’ है। बंदोपाध्याय ने केंद्र द्वारा उनके खिलाफ शुरू की गई कार्यवाही को चुनौती दी थी।

सरकार ने न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ को बताया कि उच्च न्यायालय के 29 अक्टूबर के आदेश में की गयी कुछ टिप्पणियां एवं क्षेत्रीय क्षेत्राधिकार के सवाल पर दिया गया फैसला “परेशान करने वाला” है।

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केंद्र की ओर से पेश हुये सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि उन मामलों में क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र से संबंधित मुद्दा जहां एक अधिकारी सेवानिवृत्ति के बाद केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) की प्रधान पीठ के आदेश को चुनौती देने के लिए किसी भी उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर सकता है, इस आधार पर कि वह उस विशेष राज्य में रहता है, उसके व्यापक प्रभाव हैं।

मेहता ने कहा, “इसका व्यापक प्रभाव है और इसका दुरुपयोग हो सकता है। एक व्यक्ति, केवल यह दावा करके कि मैं आमतौर पर वहां रहता हूं, उच्च न्यायालय को अधिकार क्षेत्र प्रदान कर सकता है, हालांकि क्षेत्रीय रूप से, उच्च न्यायालय का वह अधिकार क्षेत्र नहीं होगा।’’

उन्होंने शुरूआत में कहा, ‘‘यह एक परेशान करने वाला आदेश है, दोनों मामलों में , उच्च न्यायालय के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र के सवाल पर और की गयी कुछ टिप्पणियों को लेकर। यह वास्तव में परेशान करने वाला है।’’

शीर्ष अदालत कलकत्ता उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ केंद्र की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने कैट की कोलकाता पीठ को बंदोपाध्याय के आवेदन की सुनवाई में तेजी लाने और इसे जल्द से जल्द निपटाने का निर्देश भी दिया।

बंदोपाध्याय ने 28 मई को कलाईकुंडा वायु सेना स्टेशन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में चक्रवात यास के प्रभावों पर चर्चा करने के लिए एक बैठक में भाग लेने से संबंधित मामले में कार्मिक और लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय द्वारा उनके खिलाफ शुरू की गई कार्यवाही को चुनौती देते हुए कैट की कोलकाता पीठ का रुख किया था।

मेहता ने शीर्ष अदालत को बताया कि बंदोपाध्याय ने कैट की कलकत्ता पीठ के समक्ष केंद्र द्वारा उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू करने को चुनौती दी थी।

उच्च न्यायालय के आदेश का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि कैट की प्रधान पीठ के खिलाफ कुछ ‘‘बहुत परेशान करने वाली’’ टिप्पणी की गई है। पीठ ने कहा, ‘‘हम कह सकते हैं कि परेशान करने वाली टिप्पणियों को हटा दिया जाएगा।’’

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मेहता ने कहा कि दिल्ली में कैट की प्रधान पीठ द्वारा पारित आदेश में कलकत्ता उच्च न्यायालय का कोई अधिकार क्षेत्र नहीं होगा।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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