जामिया हिंसा मामले में अदालत ने छात्र आसिफ इकबाल तन्हा को दी जमानत

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दिल्ली की अदालत ने इकबाल तन्हा को जमानत दे दी है। अदालत ने कहा, ‘‘आरोपी का पिछला जीवन साफ सुथरा रहा है, समानता के आधार पर और सबसे महत्वपूर्ण कोविड-19 के चलते उत्पन्न वर्तमान स्थिति को देखते हुए आरोपी को जमानत प्रदान की जाती है।’’

नयी दिल्ली। दिल्ली की एक अदालत ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्र आसिफ इकबाल तन्हा को गत वर्ष दिसम्बर में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान विश्वविद्यालय के पास हुई हिंसा से जुड़े एक मामले में बृहस्पतिवार को जमानत दे दी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश गौरव राव ने तन्हा को यह राहत 25,000 रुपये के मुचलके और इतनी ही राशि की जमानत पर दी। अदालत ने इस तथ्य पर गौर किया कि मामले के 10 आरोपियों में से आठ जमानत पर हैं। अदालत ने इस पर भी गौर किया कि तन्हा एक छात्र हैं और 24 वर्ष के हैं। अदालत ने कहा, ‘‘आरोपी का पिछला जीवन साफ सुथरा रहा है, समानता के आधार पर और सबसे महत्वपूर्ण कोविड-19 के चलते उत्पन्न वर्तमान स्थिति को देखते हुए आरोपी को जमानत प्रदान की जाती है।’’ 

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अदालत ने साथ ही तन्हा को निर्देश दिया कि चाहे जो भी हो वह किसी हिंसा के कृत्य में लिप्त नहीं हों और एक अच्छे जिम्मेदार नागरिक की तरह बर्ताव करें और कानून का पालन करें। वीडियो कान्फ्रेंस के जरिये हुई सुनवायी के दौरान अतिरिक्त लोक अभियोजक अशोक कुमार ने जमानत अर्जी का विरोध दिया और कहा कि तन्हा की घटनास्थल पर मौजूदगी जांच के दौरान कॉल डेटा रिकार्ड से स्थापित हुई है। उन्होंने साथ ही यह भी आरोप लगाया कि तन्हा ने व्यापक पैमाने पर हुई हिंसा में सक्रिय भूमिका निभायी और उसके खिलाफ आरोपों की प्रकृति गंभीर है। तन्हा के लिए पेश हुईं अधिवक्ता एस शंकरन ने अदालत को बताया कि तन्हा को मामले में झूठे ही फंसाया गया है। 

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उन्होंने कहा कि वह अपने परिवार का कमाने वाला मुख्य सदस्य है और वह रेस्त्रां में पार्टटाइम काम करता था। जमानत अर्जी में दावा किया गया कि आरोपपत्र में उसके खिलाफ हिंसा के विशिष्ट आरोप नहीं हैं। अर्जी में कहा गया कि तन्हा को 17 मई को गिरफ्तार किया गया था, जबकि मामले में आरोप पत्र 12 फरवरी को दाखिल किया गया था और जांच के दौरान वह पुलिस के समक्ष पेश हुआ था। इसमें आरोप लगाया गया कि उसकी गिरफ्तारी में देरी और उसके बाद की हिरासत गैरकानूनी, दंडात्मक और अनुचित है। अर्जी में कहा गया कि जांच के दौरान वह जांच में शामिल हुआ और पुलिस के साथ सहयोग किया और तन्हा द्वारा सबूतों से छेड़छाड़ करने का कोई सवाल नहीं है क्योंकि उसमें से अधिकतर अभियोजन के कब्जे में है। फारसी में बीए तृतीय वर्ष के छात्र तन्हा को पिछले साल दिसंबर में दर्ज प्राथमिकी में एक आरोपी बनाया गया था, लेकिन मई तक गिरफ्तार नहीं किया गया।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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