दिल्ली में सीलिंग पर कोर्ट ने कहा: हर किसी ने कानून अपने हाथों में ले लिया है

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[email protected] । Sep 24 2018 7:57PM

पीठ ने रोहतगी से कहा, ‘‘...साक्षर लोगों को क्यों कहा जाता है कि आपको कानून का पालन करना होगा? आप लोगों की जान जोखिम में क्यों डालना चाहते हैं।’

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने दिल्ली में अनधिकृत निर्माणों की सीलिंग से जुड़े एक विषय की सुनवाई करते हुए सोमवार को कहा कि हर किसी ने कानून अपने हाथों में ले लिया है। न्यायालय ने एक मोटल के मालिक द्वारा दायर याचिका की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। यह मोटल दक्षिण दिल्ली के छत्तरपुर इलाके में स्थित है। इसे अधिकारियों ने सील कर दिया था। न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा, ‘‘हर किसी ने कानून अपने हाथों में ले लिया है।’’

पीठ ने कहा, ‘‘किसी को यह क्यों कहना पड़ता है कि कृपया कानून का पालन करिए।’’ याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि 14 सितंबर को इमारत के बेसमेंट को अधिकारियों ने सील कर दिया था और फिर 20 सितंबर को छह एकड़ में फैले पूरे परिसर को सील कर दिया था। उन्होंने कहा कि शादियों का समय होने के चलते उन्होंने पंडाल बनाए थे जिसे हटा दिया गया लेकिन अब भी परिसर सील है, जबकि तथ्य यह है कि उन्होंने अधिकारियों द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस का पहले ही जवाब दे दिया है। 

पीठ ने रोहतगी से कहा, ‘‘...साक्षर लोगों को क्यों कहा जाता है कि आपको कानून का पालन करना होगा? आप लोगों की जान जोखिम में क्यों डालना चाहते हैं।’’ इस पर रोहतगी ने कहा कि पंडालों का इस्तेमाल शादी - विवाह समारोहों के लिए पारंपरिक रूप से किया जाता है। पीठ ने पूछा, ‘‘लेकिन आग लगने के खतरे का क्या ? ’’ पीठ ने कहा कि दिल्ली में करीब 51,000 ऐसे भवन हैं जिनका इस्तेमाल वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है। 

इस पर, वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि पंडालों के इस्तेमाल के लिए उनके पास फायर क्लीयरेंस हैं। पंडालों का इस्तेमाल शीर्ष न्यायालय के कार्यक्रमों के दौरान भी किया जाता है। तब पीठ ने कहा, ‘‘हमारे पास अग्नि सुरक्षा क्लीयरेंस है।’’ सीलिंग के विषय पर न्यायमित्र के तौर पर न्यायालय की सहायता कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने पीठ से कहा कि मोटल ने बेसमेंट को नियमित करने के लिए 11 सितंबर को आवेदन दिया था। इसका मतलब है कि वे समझते थे कि यह नियमित नहीं है। 

पीठ ने दलीलें सुनने के बाद कहा कि अंतरिम उपाय के तहत परिसर का सील खोल दिया जाएगा। हालांकि, न्यायालय ने स्पष्ट किया कि मोटल का बेसमेंट सील रहेगा और वहां कोई पंडाल नहीं बनाया जाएगा। न्यायालय ने निगरानी समिति को 10 दिनों के अंदर अपनी रिपोर्ट देने को कहा और मामले की सुनवाई दो हफ्तों के लिए टाल दी।

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