सैटेलाइट फोन रखने को लेकर ब्रिटेन के नागरिक के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी अदालत ने रद्द की
न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण और न्यायमूर्ति रेवती डेरे की खंडपीठ ने 12 दिसंबर को एंडरसन रिचर्ड की याचिका स्वीकार कर ली थी, जिसे एमजेडएम लीगल के माध्यम से 2021 में दायर किया गया था। विस्तृत आदेश शुक्रवार को उपलब्ध कराया गया।
बम्बई उच्च न्यायालय ने एक सैटेलाइट फोन रखने को लेकर ब्रिटेन के एक नागरिक के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी और बाद में दाखिल आरोप पत्र को रद्द कर दिया है। उच्च न्यायालय ने कहा कि अपराध प्रकृति में गैर-संज्ञेय था और इसलिए, पुलिस मजिस्ट्रेट की अनुमति के बिना मामला दर्ज नहीं कर सकती थी। न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण और न्यायमूर्ति रेवती डेरे की खंडपीठ ने 12 दिसंबर को एंडरसन रिचर्ड की याचिका स्वीकार कर ली थी, जिसे एमजेडएम लीगल के माध्यम से 2021 में दायर किया गया था। विस्तृत आदेश शुक्रवार को उपलब्ध कराया गया।
रिचर्ड की याचिका में दावा किया गया था कि प्राथमिकी विचार करने योग्य नहीं है क्योंकि अपराध गैर-संज्ञेय हैं और पुलिस ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के प्रावधानों के अनुसार मजिस्ट्रेट से अनुमति नहीं ली थी। वह नवंबर 2020 तक, अपतटीय पेट्रोलियम उद्योग प्रशिक्षण संगठन के एक वरिष्ठ कार्यकारी थे, जो स्कॉटलैंड के कानूनों के तहत स्थापित एक गैर-लाभकारी कंपनी है और जिसका पंजीकृत कार्यालय उस देश में है।
याचिकाकर्ता के अनुसार, वह कंपनी के प्रोटोकॉल के अनुसार एक सैटेलाइट फोन रखे हुए था और इसे उसके प्रवास के दौरान बंद रखना था और केवल आपातकालीन उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल करना था। याचिकाकर्ता ने दावा किया कि उसने यहां कभी भी सैटेलाइट फोन का इस्तेमाल नहीं किया, लेकिन अक्टूबर 2018 में भारतीय वायरलेस टेलीग्राफी कानून और भारतीयटेलीग्राफ कानून के तहत उसे मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर हिरासत में ले लिया गया था, जब वह प्रशिक्षण पूरा करने के बाद देश छोड़कर जा रहा था। रिचर्ड की याचिका में कहा गया है कि उसके खिलाफ बाद में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी। उच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया है कि याचिका स्वीकार की जाती है और प्राथमिकी के साथ-साथ अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष लंबित कार्यवाही को रद्द किया जाता है।
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