कोर्ट का इन्दु मल्होत्रा की न्यायाधीश के पद पर नियुक्ति के वारंट पर रोक से इंकार

Court rejects stay on warrant of appointment to judges of court of Indu Malhotra
[email protected] । Apr 26 2018 4:20PM

उच्चतम न्यायालय ने वरिष्ठ अधिवक्ता सुश्री इन्दु मल्होत्रा की शीर्ष अदालत के न्यायाधीश पद पर नियुक्ति संबंधी वारंट पर रोक लगाने से आज इंकार करते हुये कहा कि इस तरह का अनुरोध ‘अकल्पनीय’ है और ऐसा कभी सुना नहीं गया।

नयी दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने वरिष्ठ अधिवक्ता सुश्री इन्दु मल्होत्रा की शीर्ष अदालत के न्यायाधीश पद पर नियुक्ति संबंधी वारंट पर रोक लगाने से आज इंकार करते हुये कहा कि इस तरह का अनुरोध ‘अकल्पनीय’ है और ऐसा कभी सुना नहीं गया। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड़ की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने सुश्री इन्दु मल्होत्रा को शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के पद की शपथ नहीं दिलाने संबंधी वरिष्ठ अधिवक्ता इन्दिरा जयसिंह के अनुरोध पर कड़ा रूख अपनाया। पीठ ने जयसिंह के इस अनुरोध पर भी नाराजगी व्यक्त की कि उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के एम जोसेफ को भी शीर्ष अदालत का न्यायाधीश नियुक्त करने का केन्द्र को निर्देश दिया जाये। पीठ ने सुश्री जयसिंह से सवाल किया, ‘‘ यह किस तरह का अनुरोध है।’’ 

पीठ ने कहा कि यह केन्द्र का अधिकार है कि वह पुन: विचार के लिये सिफारिश वापस भेजे। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मान लीजिये सरकार इसे पुन: विचार के लिये लौटा रही है, इस पर गौर किया जायेगा। आप कह रही हैं वारंट पर रोक लगायी जाये। ऐसा सोचा भी नहीं जा सकता, यह अकल्पनीय है और मैं यह भी जोड़ सकता हूं कि ऐसा पहले कभी नहीं सुना है।’’ जयसिंह ने जोसेफ और मल्होत्रा के नामों को अलग करने के केन्द्र के निर्णय का जिक्र किया और कहा कि ऐसा नहीं किया जा सकता। सरकार को दोनों नामों की सिफारिश करनी चाहिए थी या अस्वीकार करना चाहिए था। पीठ ने कहा, ‘‘संवैधानिक शुचिता की मांग है कि इन्दु मल्होत्रा की नियुक्ति के वारंट पर अमल किया जाये।’’ शीर्ष अदालत ने कहा कि वह यह सुनकर हतप्रभ है कि बार की एक सदस्य को न्यायाधीश नियुक्त किया जा रहा है और अपराह्न दो बजे वकीलों का समूह नियुक्ति के वारंट पर रोक लगाने के लिये इसका उल्लेख कर रहा है। जयसिंह ने कहा कि वह नियुक्ति के वारंट पर रोक लगाने के अनुरोध पर जोर नहीं दे रही है और अपनी पसंद के न्यायाधीशों को चुनने के वृहद मुद्दे पर न्यायालय से विचार करने का अनुरोध कर रही हैं। 

उन्होंने न्यायालय से अनुरोध किया कि इस मामले को शीघ्र सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया जाये क्योंकि हम सभी न्यायपालिका की स्वतंत्रता को लेकर चिंतित हैं। पीठ ने इस मामले को शीघ्र सूचीबद्ध करने से इंकार करते हुये कहा कि यह उचित समय पर ही आयेगा। ।न्यायमूर्ति जोसेफ की फाइल पुन: विचार के लिये लौटाये जाने का मामला सामने आने पर उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन के एक सौ से अधिक वकीलों ने प्रधान न्यायाधीश के समक्ष इसका उल्लेख किया और आरोप लगाया कि केन्द्र कोलेजियम की सिफारिशों में मनमर्जी से काम करके न्यायपालिका की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप कर रहा है। 

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