अदालत ने देशद्रोह मामले में हार्दिक पटेल के खिलाफ आरोप तय किए

तीनों के खिलाफ पुलिस द्वारा आरोपपत्र दाखिल किये जाने के बाद अहमदाबाद क्राइम ब्रांच द्वारा दर्ज देशद्रोह के मामले में वे जमानत पर हैं।
अहमदाबाद। अहमदाबाद की एक सत्र अदालत ने अगस्त 2015 में पटेल आरक्षण आंदोलन के दौरान भड़की हिंसा के सिलसिले में दर्ज देशद्रोह के मामले में पाटीदार नेता हार्दिक पटेल और उनके दो साथियों के खिलाफ मंगलवार को आरोप तय किये। सत्र न्यायाधीश डी पी महिदा ने हार्दिक, दिनेश बांबनिया और चिराग पटेल के खिलाफ आईपीसी की धारा 124 (ए) (देशद्रोह), 120 (बी) (आपराधिक षड्यंत्र) और अन्य के तहत आरोप तय किये।
तीनों के खिलाफ पुलिस द्वारा आरोपपत्र दाखिल किये जाने के बाद अहमदाबाद क्राइम ब्रांच द्वारा दर्ज देशद्रोह के मामले में वे जमानत पर हैं। इसके साथ ही उनके खिलाफ मुकदमा 29 जनवरी से शुरू हो सकता है जो सुनवाई की अगली तारीख है। अगर वे दोषी पाये गये तो इन अपराधों के लिए अधिकतम सजा उम्रकैद का प्रावधान है।
शहर अपराध शाखा ने जनवरी 2016 में हार्दिक, दिनेश और चिराग के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया था। दावा किया गया था कि वे जानबूझकर गतिविधियों में शामिल रहे। उच्च न्यायालय ने बाद में आईपीसी की धारा 121 (ए) के तहत आरोप को हटा दिया था जो ‘देश के खिलाफ जंग छेड़ने’ से संबंधित है और इसमें मृत्युदंड तक का प्रावधान है। आरोप तय करने से पहले अदालत ने मंगलवार की सुनवाई से इस आधार पर छूट देने की हार्दिक की अर्जी को खारिज कर दिया कि उसे एक सामाजिक समारोह में भाग लेना है।
हार्दिक के अदालत में उपस्थित नहीं होने की वजह से जज ने उनके वकील को निर्देश दिया कि उन्हें पेश किया जाए नहीं तो उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया जाएगा। अदालत के निर्देशों के बारे में सूचित किये जाने पर हार्दिक अदालत पहुंचे, जिसके बाद आरोप तय करने की प्रक्रिया शुरू हुई।
