शिल्पकार संस्कृति और विरासत को निरंतर आगे बढ़ाएं: स्मृति ईरानी

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[email protected] । Sep 14 2018 8:08PM

ईरानी ने समारोह में बताया कि भारत से पिछले चार वर्ष में परम्परागत शिल्पकारों की एक लाख 26 हजार करोड़ रूपए की कलाकृतियों का निर्यात हुआ है।

रायपुर। केंद्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी ने शुक्रवार को शिल्पकारों से आव्हान किया कि वे भारतीय संस्कृति और पूर्वजों से विरासत में मिली अपनी प्रतिभा को न केवल सुरक्षित रखें बल्कि उसे निरंतर आगे बढ़ाते हुए नई पीढ़ी को भी इन विधाओं में अच्छी तरह से तैयार करें। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कार वितरण समारोह को सम्बोधित करते हुए ईरानी ने शिल्पकारों से कहा कि वे भारतीय संस्कृति और पूर्वजों से विरासत में मिली अपनी इस प्रतिभा को न केवल सुरक्षित रखें बल्कि उसे निरंतर आगे बढ़ाते हुए नई पीढ़ी को भी इन विधाओं में अच्छी तरह से तैयार करें।

ईरानी ने समारोह में बताया कि भारत से पिछले चार वर्ष में परम्परागत शिल्पकारों की एक लाख 26 हजार करोड़ रूपए की कलाकृतियों का निर्यात हुआ है। इससे हमारे देश के शिल्पकारों को आर्थिक ताकत के रूप में नई पहचान मिली है और विश्व के अनेक देशों में हमारी समृद्ध कला संस्कृति को पहचान मिली है। उन्होंने बताया कि देश में 17 लाख से ज्यादा शिल्पकारों को पहचान पत्र दिए जा चुके हैं। राष्ट्रीय ओपन स्कूल और राष्ट्रीय ओपन विश्वविद्यालय के माध्यम से अगर शिल्पकार और उनके बच्चों की पढ़ाई करते हैं तो उनकी फीस का 50 से 75 प्रतिशत तक की सहायता भारत सरकार द्वारा दी जाती है। उन्होंने कहा कि शिल्पकारों को आर्थिक रूप से सबल बनाने के लिए मुद्रा योजना में ऋण देने की भी व्यवस्था की गई है।

वहीं मुख्यमंत्री रमन सिंह ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे देश के परम्परागत शिल्पकारों के हाथों में ऐसा जादू होता है कि वे दुनिया की साधारण से साधारण दिखने वाली चीजों को भी तराशकर बहुमूल्य कलाकृति बना देते हैं। सिंह ने समारोह में सभी पुरस्कृत शिल्पकारों को बधाई और शुभकामनाएं दी। उन्होंने उनके हाथों के हुनर की तारीफ करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में भी हस्तशिल्प की एक समृद्ध परम्परा है। यहां के हस्तशिल्प की ख्याति केवल राष्ट्रीय ही नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी है। छत्तीसगढ़ के हर जिले में परम्परागत हस्तशिल्प की अपनी विशेषताएं हैं। यहां के शिल्पकारों ने बेलमेटल, ढोकरा शिल्प, और काष्ठ कला, टेराकोटा सहित कई विधाओं में शोहरत हासिल की है।

उन्होंने कहा कि शिल्पकारों को अच्छा बाजार दिलाने के लिए राज्य शासन द्वारा हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। उनकी कलाकृतियों की बिक्री के लिए शबरी एम्पोरियमों की स्थापना की जा रही है। वर्ष 2003 में इनकी संख्या केवल सात थी जो आज बढ़कर 17 हो गयी है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार द्वारा शिल्पकारों को प्रशिक्षण के लिए भी देश के अन्य राज्यों में भेजा जाता है। प्रशिक्षण का पूरा खर्च सरकार वहन करती है। उन्होंने छत्तीसगढ़ माटी कला बोर्ड सहित राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में शिल्प की विशेषताओं की जानकारी दी।

समारोह का आयोजन केन्द्रीय कपड़ा मंत्रालय के हस्तशिल्प प्रभाग द्वारा छत्तीसगढ़ सरकार के ग्रामोद्योग विभाग और राज्य हस्तशिल्प विकास बोर्ड के सहयोग से किया गया। मुख्यमंत्री रमन सिंह ने समारोह में देश के विभिन्न राज्यों के जाने-माने आठ वरिष्ठ शिल्पकारों को शिल्पगुरू पुरस्कारों से और 25 शिल्पकारों को राष्ट्रीय हस्तशिल्प पुरस्कारों से सम्मानित किया। ये पुरस्कार वर्ष 2016 के लिए घोषित किए गए थे।

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