स्वच्छता की संस्कृति नागरिकों के जीवन का अभिन्न अंग बने: राष्ट्रपति कोविंद

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[email protected] । Mar 6 2019 2:23PM

उन्होंने कहा कि बहुत से लोग व्यक्तिगत सफाई, अपने घर की सफाई पर बहुत ध्यान देते हैं, लेकिन सार्वजनिक सफाई के प्रति उदासीन रहते हैं। इस मानसिकता में बदलाव ज़रूरी है।

नयी दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बुधवार को कहा कि स्वच्छता की जड़ों को मजबूत बनाने के लिए स्वच्छता की संस्कृति को नागरिकों के जीवन का अभिन्न अंग बनाना होगा, साथ ही सभी विद्यालयों और उच्च-शिक्षण संस्थानों में स्वच्छता को पाठ्यक्रम को शामिल किया जाना चाहिए। ‘स्वच्छ सर्वेक्षण सम्मान 2019’ से संबंधित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कोविंद ने कहा, ‘‘ स्वच्छता को लेकर लोगों में गर्व की भावना होनी चाहिए। स्वच्छता को प्रभावी और स्थायी बनाने के लिए जरूरी है कि यह सभी नागरिकों की आदत, स्वभाव और व्यवहार का हिस्सा बने।’’ उन्होंने कहा कि स्वच्छता की जड़ों को मजबूत बनाने के लिए स्वच्छता की संस्कृति को नागरिकों के जीवन का अभिन्न अंग बनाना होगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि सभी विद्यालयों और उच्च-शिक्षण संस्थानों में स्वच्छता को पाठ्यक्रम का महत्वपूर्ण विषय बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बहुत से लोग व्यक्तिगत सफाई, अपने घर की सफाई पर बहुत ध्यान देते हैं, लेकिन सार्वजनिक सफाई के प्रति उदासीन रहते हैं। इस मानसिकता में बदलाव ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि उन्हें बताया गया है कि 'स्वच्छ-सर्वेक्षण’ अपने ढंग का विश्व का सबसे बड़ा सर्वेक्षण है। कोविंद ने कहा कि इस सर्वेक्षण द्वारा 64 लाख नागरिकों की भागीदारी के जरिए लगभग 40 करोड़ की शहरी आबादी के लिए स्वच्छता संबंधी प्रयासों के विषय में उपयोगी जानकारी एकत्र की गई है। उन्होंने कहा कि अब तक हुए सभी चार सर्वेक्षणों में प्रथम पुरस्कार प्राप्त करके इंदौर शहर ने एक मिसाल कायम की है।

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राष्ट्रपति ने कहा कि स्वच्छता के काम को ज़मीन पर अंजाम देने वाले सभी स्वच्छता कर्मियों और स्वच्छाग्रहियों के योगदान के लिए वह पूरे राष्ट्र की ओर से उन्हें धन्यवाद देते हैं। उन्होंने कहा कि कल ही में सम्पन्न कुम्भ मेले की विशालता और दिव्यता के साथ-साथ, वहाँ की स्वच्छता की चर्चा और सराहना अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रही है। कोविंद ने कहा कि विश्व की सबसे बड़ी अस्थायी टेन्ट सिटी, कुम्भ नगरी, में आने वाले यात्रियों की संख्या लगभग 25 करोड़ आँकी गई है। लगभग एक लाख बीस हज़ार शौचालयों की व्यवस्था के साथ-साथ, कूड़ा-कचरा लगातार साफ करने के लिए जो कार्य वहाँ किया गया है, उसे अनेक देशों में सराहा जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे विश्वास है कि प्रयाग-कुम्भ से सीख लेकर, बड़े समारोहों के आयोजक-गण स्वच्छता पर अधिक ध्यान देंगे।’’ उन्होंने कहा कि देश ने स्वच्छता को जन आंदोलन बनाकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि दी है।

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