कश्मीर में कर्फ्यू जारी, मोबाइल फोन, इंटरनेट सेवाएं बंद
कश्मीर के 10 जिलों में कर्फ्यू जारी रहा और घाटी में हाल में हुई लोगों की मौत के विरोध में ‘काला दिवस’ मनाने को लेकर अलगाववादियों के आह्वान को देखते हुये सुरक्षा बलों ने सतर्कता बढ़ा दी है।
श्रीनगर। कश्मीर के 10 जिलों में आज भी कर्फ्यू जारी रहा और घाटी में हाल में हुई लोगों की मौत के विरोध में ‘काला दिवस’ मनाने को लेकर अलगाववादियों के आह्वान को देखते हुये सुरक्षा बलों ने सतर्कता बढ़ा दी है। घाटी में मंगलवार अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण दिन रहा। हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादी बुरहान वानी के आठ जुलाई को मारे जाने के बाद हुये संघर्षों में 42 लोगों की मौत हो गयी है और 3400 से अधिक लोग घायल हो गये हैं।
दक्षिण कश्मीर में एक मुठभेड़ में वानी की मौत के बाद हुए संघर्षों को नियंत्रित करने के लिए कर्फ्यूलगाया गया था। एक पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘‘कश्मीर घाटी के सभी दस जिलों में आज कर्फ्यू जारी रहेगा।’’ उन्होंने बताया कि अलगाववादियों ने कश्मीर में हाल की मौतों के विरोध में ‘काला दिवस’ मनाये जाने का आह्वान किया है जिसके मद्देनजर घाटी में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए कफ्र्यू जारी रखने का निर्णय लिया गया है। अधिकारी ने बताया कि प्रतिबंधात्मक आदेशों के सख्त क्रियान्वयन के लिए पूरी घाटी में पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों को तैनात किया गया है। उन्होंने बताया कि घाटी में स्थिति अब तक शांतिपूर्ण है। घाटी में वानी के मौत के बाद से कफ्र्यू लगा हुआ है। घाटी में कल पहला शांतिपूर्ण दिन रहा जब हिंसा की कोई बड़ी घटना नहीं हुयी। अधिकारी ने बताया कि पुलवामा, अनंतनाग और गंदेरबल जिलों में चार स्थानों पर पत्थर फेंके जाने की कुछ मामूली घटनाएं हुयी। शेष घाटी में दिन शांतिपूर्ण रहा।
इस बीच, अलगाववादियों के बंद के आह्वान के कारण आज 12वें दिन भी जनजीवन प्रभावित हुआ। बंद की अवधि को बढ़ाकर अब 22 जुलाई तक कर दिया गया है। एक संयुक्त बयान में सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारूक और मोहम्मद यासिन मलिक ने सोमवार को बताया कि 22 जुलाई तक घाटी में बंद जारी रहेगा। हालांकि उन्होंने शुक्रवार दोपहर दो बजे के बाद से आधा दिन बंद में ढील की घोषणा की है। सरकार द्वारा ग्रीष्मकालीन अवकाश 25 जुलाई तक बढ़ा दिए जाने के कारण घाटी में स्कूल और कॉलेज लगातार बंद हैं। दुकानें, व्यापारिक प्रतिष्ठान और पेट्रोल पंप बंद हैं जबकि सरकारी कार्यालय और बैंकों में बहुत कम उपस्थिति देखी गई। मोबाइल टेलीफोन और मोबाइल इंटरनेट सेवाएं भी बंद हैं और समाचार पत्र बाजार तक नहीं पहुंच सके।
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