लोकतंत्र, आजादी, वैचारिक स्वतंत्रता की रक्षा करने में भारत जी-7 का स्वाभाविक सहयोगी है: मोदी
मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘जी-7 में ‘खुले समाज’ पर अग्रणी वक्ता के तौर पर संबोधित करते हुए खुशी हुई। लोकतंत्र और स्वतंत्रता भारत के सभ्यतागत लोकाचार का हिस्सा हैं और भारत के समाज की जीवंतता और विविधता में इनकी अभिव्यक्ति होती है।''
नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि तानाशाही, आतंकवाद, हिंसक उग्रवाद, झूठी सूचनाओं और आर्थिक जोर-जबरदस्ती से उत्पन्न विभिन्न खतरों से साझा मूल्यों की रक्षा करने में भारत जी-7 का एक स्वाभाविक साझेदार है। प्रधानमंत्री ने ब्रिटेन के कॉर्नवाल में आयोजित जी-7 के शिखर सम्मेलन के सत्र को डिजिटल माध्यम से संबोधित करते हुए यह टिप्पणी की। विदेश मंत्रालय के अनुसार, जी-7 शिखर सम्मेलन के ‘मुक्त समाज एवं मुक्त अर्थव्यवस्थाएं’ सत्र में मोदी ने अपने संबोधन में लोकतंत्र, वैचारिक स्वतंत्रता और स्वाधीनता के प्रति भारत की सभ्यतागत प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।
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उन्होंने कहा, ‘‘विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के नाते भारत तानाशाही, आतंकवाद, हिंसक उग्रवाद, झूठी सूचनाओं और आर्थिक जोर-जबरदस्ती से उत्पन्न विभिन्न खतरों से साझा मूल्यों की रक्षा करने में जी-7 और अतिथि देशों का स्वाभाविक सहयोगी है।’’ मोदी ने आधार, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) और जेएएम (जन धन-आधार-मोबाइल) तीनों के माध्यम से भारत में सामाजिक समावेश और सशक्तिकरण पर डिजिटल प्रौद्योगिकियों के क्रांतिकारी प्रभाव को भी रेखांकित किया। विदेश मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव (आर्थिक संबंध) पी हरीश ने बताया कि धानमंत्री ने अपने संबोधन में मुक्त समाज में निहित संवेदनशीलताओं का जिक्र किया और प्रौद्योगिकी कंपनियों तथा सोशल मीडिया मंचों का आह्वान किया कि वे अपने उपयोगकर्ताओं के लिए सुरक्षित साइबर परिवेश सुनिश्चित करें। अतिरिक्त सचिव ने कहा, ‘‘सम्मेलन में मौजूद अन्य नेताओं ने प्रधानमंत्री के विचारों की सराहना की।’’ हरीश ने कहा कि जी-7 नेताओं ने स्वतंत्र, मुक्त और नियम आधारित हिन्द-प्रशांत क्षेत्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित किया और क्षेत्र में साझेदारों का सहयोग करने का संकल्प लिया। सात देशों के समूह जी-7 में ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान और अमेरिका शामिल हैं। जी-7 के अध्यक्ष के रूप में ब्रिटेन ने भारत, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, दक्षिण अफ्रीका को शिखर सम्मेलन में विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया था।
मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘जी-7 में ‘खुले समाज’ पर अग्रणी वक्ता के तौर पर संबोधित करते हुए खुशी हुई। लोकतंत्र और स्वतंत्रता भारत के सभ्यतागत लोकाचार का हिस्सा हैं और भारत के समाज की जीवंतता और विविधता में इनकी अभिव्यक्ति होती है।’’ अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कई नेताओं द्वारा जतायी गयी इस चिंता को साझा किया कि खुले समाज में झूठी सूचनाएं फैलने का ज्यादा खतरा रहता है और जोर दिया कि लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए साइबर परिवेश को सुरक्षित रखने की जरूरत है। वैश्विक शासन संस्थानों की गैर-लोकतांत्रिक और असमान प्रकृति पर प्रकाश डालते हुए, मोदी ने खुले समाज की प्रतिबद्धता के लिए बहुपक्षीय प्रणाली के सुधार का आह्वान किया। कोविड-19 महामारी का संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा कि जी-7 के सत्र में भारत की भागीदारी से समूह की यह सोच प्रतिबिंबित होती है कि ‘‘हमारे समय की सबसे बड़ी समस्या’’ का समाधान भारत की भागीदारी के बिना संभव नहीं है। अधिकारी ने कोरोना वायरस महामारी का हवाला देते हुए कहा कि जी-7 के सत्र में भारत की भागीदारी, समूह के इस दृष्टिकोण को प्रदर्शित करता है कि सबसे बड़े वैश्विक संकट का समाधान भारत के सहयोग और समर्थन के बिना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत स्वास्थ्य सहित सभी बड़े मुद्दों पर जी-7 और अतिथि साझेदारों के साथ गहराई से जुड़ा रहेगा। प्रधानमंत्री ने कोविड-19 टीकों पर पेटेंट छूट के लिए समूह के समर्थन का भी आह्वान किया।
हरीश ने कहा कि मोदी के आह्वान का दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन, डब्ल्यूटीओ के महानिदेशक ओकोंजो इविला और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतेरेस ने भी समर्थन किया। जलवायु परिवर्तन पर एक सत्र में प्रधानमंत्री ने सामूहिक कार्रवाई पर जोर दिया। उन्होंने पर्यावरण के संबंध में भारत की उपलब्धियों को रेखांकित किया और कहा कि जी-20 समूह में भारत इकलौता देश है जो पेरिस समझौते को पूरा करने के रास्ते पर है। उन्होंने भारत द्वारा शुरू दो महत्वपूर्ण वैश्विक पहल आपदा प्रबंधन अवसंरचना पर अंतरराष्ट्रीय गठबंधन (सीडीआरआई) और अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) के बढ़ते प्रभाव का भी जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने जोर दिया कि पर्यावरण कोष तक विकासशील देशों की बेहतर पहुंच होनी चाहिए और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए समग्र दृष्टिकोण अपनाना चाहिए जिसमें आपदा न्यूनीकरण, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, जलवायु वित्तपोषण, समानता जैसे पहलू भी शामिल होने चाहिए। मोदी ने जी-7 से जलवायु वित्तपोषण में सालाना 100 अरब डॉलर के अपने अधूरे वादे को पूरा करने का भी आह्वान किया। क्या भारज जी-7 के नेतृत्व वाली बुनियादी संरचना पहल से जुड़ेगा, यह पूछे जाने पर हरीश ने संकेत दिया कि सरकार इस पर विचार-विमर्श करेगी। उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकतंत्रों को यह प्रतिबिंबित करना चाहिए कि हम परियोजना कार्यान्वयन पर काम कर सकते हैं...प्रधानमंत्री ने पड़ोसी देशों और अफ्रीका में भारत के अनुभवों का भी हवाला दिया।’’ अधिकारी ने कहा कि मोदी ने संकेत दिया कि पारदर्शिता और समावेश के मूल्यों को ध्यान में रखते हुए इस संबंध में भारत और कदम उठाने को तैयार है।
Participated in the @G7 Summit session on Health. Thanked partners for the support during the recent COVID-19 wave.
— Narendra Modi (@narendramodi) June 12, 2021
India supports global action to prevent future pandemics.
"One Earth, One Health" is our message to humanity. #G7UK https://t.co/B4qLmxLIM7
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