दाल संकट वास्तव में 2.5 लाख करोड़ का घोटाला: कांग्रेस

[email protected] । Jul 30 2016 10:42AM

कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि दाल ‘संकट’ वास्तव में 2.5 लाख करोड़ रूपये का ‘मानव निर्मित घोटाला’ है जिसमें मुनाफाखोरों, जमाखोरों और काला बाजारियों ने आम आदमी को लूटा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर राहुल गांधी द्वारा ‘अरहर मोदी’ कह कर कटाक्ष करने के एक दिन बाद कांग्रेस ने इस मुद्दे को लेकर सरकार पर हमला तेज करते हुए आरोप लगाया है कि दाल ‘संकट’ वास्तव में 2.5 लाख करोड़ रूपये का ‘मानव निर्मित घोटाला’ है जिसमें मुनाफाखोरों, जमाखोरों और काला बाजारियों ने आम आदमी को लूटा है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने मांग की कि प्रधानमंत्री को जवाब देना चाहिए और पिछले 15 माह में आम आदमी को लूटने खसोटने वालों के खिलाफ ‘निर्णायक कार्रवाई’ करनी चाहिए।

सुरजेवाला ने कहा ‘‘भारत के लोगों ने मोदी सरकार के कार्यकाल के दौरान अप्रैल 2015 से जुलाई 2016 तक, 15 माह में दालों के लिए 150 फीसदी से 200 फीसदी अधिक भुगतान किया है। इस अवधि में यह राशि 2,50,000 करोड़ रूपये से अधिक होती है। यह वास्तव में मानव निर्मित संकट है वह भी मोदी सरकार की नाक के नीचे.. ढके छिपे रूप से मोदी सरकार का समर्थन है।’’ उन्होंने कहा ‘‘जब न्यूनतम समर्थन मूल्य.. दालों के आयात शुल्क (पांच रूपये प्रति किलो संसाधन शुल्क, 10 रूपये प्रति किलो परिवहन शुल्क, पांच रूपये प्रति किलो लाभ को जोड़ने के बावजूद) की आम उपभोक्ता को वास्तविक बिक्री मूल्य से तुलना की जाए तो साफ है कि यह दिन दहाड़े लूट है।’’

सुरजेवाला ने कहा कि दालों का न्यूनतम समर्थन मूल्य और आयातित दालों का एमएसपी भी 40 रूपये से 50 रूपये के बीच है जिससे साफ जाहिर होता है कि घरेलू दाल और आयातित दाल की कीमत आम आदमी के लिए किसी भी हालत में 60 से 65 रूपये प्रति किलो से अधिक नहीं हो सकती, वह भी तब जब इसमें संसाधन शुल्क, परिवहन शुल्क और लाभ का अंतर भी जोड़ दिया जाए। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा ‘‘जबकि स्थिति यह है कि अप्रैल 2015 से जुलाई 2016 में आज तक दालों की कीमत 130 रूपये से 200 रूपये प्रति किलो के बीच है। स्पष्ट है कि दालों की औसत कीमत पिछले 15 माह में 150 रूपये प्रति किलो के आसपास रही है।’’

उन्होंने आरोप लगाया कि इस प्रकार 60 रूपये से 65 रूपये प्रति किलो के अंतिम विक्रय मूल्य को 150 रूपये प्रति किलो के औसत मूल्य से घटा दिया जाए तो सीधे सीधे 85 से 90 रूपये प्रति किलो का मुनाफा है। अगर दालों की सालाना खपत 2.30 करोड़ टन से इस राशि को गुणा किया जाए तो अप्रैल 2015 से जुलाई 2016 की 15 माह की अवधि के लिए कुल कीमत 2,50,000 करोड़ रूपये होती है। सुरजेवाला ने आरोप लगाया कि भाजपा शासित गुजरात और महाराष्ट्र में जमाखोरों और कालाबाजारियों ने स्थिति का जम कर फायदा उठाया।

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