जाधव की रिहाई सुनिश्चित करने का आदेश देने संबंधी याचिका पर फैसला सुरक्षित

[email protected] । Apr 19 2017 4:25PM

दिल्ली उच्च न्यायालय ने कुलभूषण जाधव की रिहाई के लिए अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के पास जाने का आदेश सरकार को देने की मांग करने वाली याचिका पर अपना फैसला आज सुरक्षित रखा।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव की रिहाई के लिए अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के पास जाने का आदेश सरकार को देने की मांग करने वाली याचिका पर अपना फैसला आज सुरक्षित रखा। जाधव को पाकिस्तान ने मौत की सजा सुनाई है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति अनु मल्होत्रा की पीठ ने कहा कि वह याचिका पर अपना फैसला देगी। केंद्र ने कहा कि यह ‘‘जनहित याचिका’’ नहीं है और सरकार ने जाधव की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए पहले ही कदम उठाए हैं।

अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) संजय जैन ने विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय की ओर से अदालत में पेश होकर तर्क दिया कि ‘‘याचिका में अदालत के समक्ष जो मामला उठाया गया है, उस पर संबंधित मंत्रालय पहले ही विचार कर रहा है और उसने पहले ही उनकी रिहाई का आश्वासन देश को दिया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘विदेश मंत्रालय ने भी परंपरा से हटकर संसद में घोषणा की है कि जाधव को वापस लाने के लिए हर संभव कोशिश की जाएगी।’’ एएसजी ने कहा कि यह मामला संसद और इसके सदस्यों पर छोड़ दिया जाना चाहिए। दोनों सदनों के सदस्यों ने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर पाकिस्तानी सैन्य अदालत के इस कृत्य की निंदा की है और ऐसा कम ही देखने को मिलता है। उन्होंने कहा कि सरकार अपनी सर्वश्रेष्ठ कोशिश कर रही है और कदम उठा रही है। यदि सरकार कुछ नहीं कर रही होती तो याचिकाकर्ता अदालत में आ सकता था।

सामाजिक कार्यकर्ता राहुल शर्मा ने एक याचिका दायर करके अदालत से अपील की है कि वह जाधव को वाणिज्यदूतावास की पहुंच मुहैया कराने के लिए आईसीजे से संपर्क करने का विदेश मंत्रालय एवं गृह मंत्रालय को आदेश दे। याचिका में कहा गया है कि पूर्व नौसैन्य अधिकारी को अवैध रूप से हिरासत में लिया गया और उन्हें गलत तरीके से मौत की सजा सुनाई गई। पीठ ने याचिकाकर्ता के वकील गौरव कुमार बंसल से यह पूछा कि क्या उन्होंने ये सुझाव देने के लिए सरकार से संपर्क किया है या नहीं। अदालत ने कहा, ‘‘हम भी चिंतित हैं क्योंकि यह गंभीर मामला है लेकिन आप (याचिकाकर्ता) अदालत आने के बजाए सुझाव दे सकते थे।’’ अदालत ने याचिकाकर्ता से पूछा कि क्या उन्हें इस प्रकार की किसी अन्य घटना की जानकारी है जहां अन्य देशों में भारतीयों को रोक कर रखा गया है। पीठ ने कहा, ‘‘हम आज फैसला सुनाएंगे।’’ याचिका में यह भी कहा गया है कि पाकिस्तान की सेना जाधव को निष्पक्ष सुनवाई मुहैया कराने में असफल रही है। सरकार को अन्य देशों में अपहृत भारतीयों की रिहाई के लिए प्रोटोकॉल जारी करना चाहिए।

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