टेरर फंडिंग: अदालत ने हिज्बुल प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन, अन्य के खिलाफ जारी किया सम्मन

Delhi Court
प्रतिरूप फोटो

अदालत ने ईडी के विशेष सरकारी वकील नीतेश राणा द्वारा दी गई दलीलों पर गौर फरमाया, जिन्होंने कहा कि जांच के दौरान, वस्तु-विनिमय व्यापार में शामिल कुछ भारतीय फर्मों को सम्मन जारी किया गया था और तीन फर्मों के बयान भी दर्ज किए गए थे। राणा ने दलील दी कि हिज्बुल मुजाहिदीन भारत में आतंकवादी गतिविधियों के लिए 80 करोड़ रुपये से अधिक के वित्त पोषण में शामिल था।

नयी दिल्ली|  दिल्ली की एक अदालत ने भारत में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए कथित तौर पर पाकिस्तान से लगभग 80 करोड़ रुपये की धनराशि प्राप्त करने से संबंधित धनशोधन मामले में हिज्बुल मुजाहिदीन (एचएम) प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन और अन्य के खिलाफ बुधवार को सम्मन जारी किया।

अदालत ने यह आदेश प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दायर आरोपपत्र पर संज्ञान लेने के बाद दिया।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने कहा, “मैंने शिकायत के साथ संलग्न दस्तावेजों/सबूतों को भी देखा है। रिकॉर्ड देखने के बाद, मैं पीएमएलए की धारा-तीन के तहत अपराध का संज्ञान लेता हूं, जो पीएमएलए की धारा-चार के तहत दंडनीय है। आरोपी व्यक्तियों को 7 फरवरी, 2022 को तलब किया जाए।” अदालत ने सलाहुद्दीन के अलावा मोहम्मद शफी शाह, तालिब लाली, गुलाम नबी खान, उमर फारूक शेरा, मंजूर अहमद डार, जफर हुसैन भट, नजीर अहमद डार, अब्दुल मजीद सोफी और मुबारक शाह को भी तलब किया।

अदालत ने ईडी के विशेष सरकारी वकील नीतेश राणा द्वारा दी गई दलीलों पर गौर फरमाया, जिन्होंने कहा कि जांच के दौरान, वस्तु-विनिमय व्यापार में शामिल कुछ भारतीय फर्मों को सम्मन जारी किया गया था और तीन फर्मों के बयान भी दर्ज किए गए थे। राणा ने दलील दी कि हिज्बुल मुजाहिदीन भारत में आतंकवादी गतिविधियों के लिए 80 करोड़ रुपये से अधिक के वित्त पोषण में शामिल था।

उन्होंने अदालत को बताया कि जांच के दौरान विभिन्न अधिकारियों से सबूत जुटाए गए और आरोपियों के बयान दर्ज किए गए। ईडी ने जांच के दौरान कई संपत्तियों को भी कुर्क किया।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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