IAS की ‘हड़ताल’ के चलते दिल्ली में एक तरह से राष्ट्रपति शासन है: केजरीवाल

Delhi has a presidential rule due to the ''strike'' of IAS says Kejriwal
[email protected] । Jun 16 2018 4:45PM

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज आरोप लगाया कि आईएएस अधिकारियों की ‘हड़ताल’ के चलते दिल्ली में एक तरह से राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है।

 नयी दिल्ली। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आज आरोप लगाया कि आईएएस अधिकारियों की ‘हड़ताल’ के चलते दिल्ली में एक तरह से राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है। केजरीवाल और उनके तीन मंत्रियों का उप राज्यपाल कार्यालय राजनिवास में धरना आज छठे दिन भी जारी रहा।

आप नेता उप राज्यपाल से आईएएस अधिकारियों को ‘हड़ताल’ खत्म करने का आदेश देने की मांग कर रहे हैं। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन और विकास, श्रम एवं रोजगार मंत्री गोपाल राय केजरीवाल के साथ सोमवार शाम से उप राज्यपाल के कार्यालय में धरना दिए हुए हैं। जैन और सिसोदिया क्रमश: मंगलवार और बुधवार से भूख हड़ताल पर हैं।

केजरीवाल ने ट्वीट किया,‘‘ आईएएस अधिकारियों की हड़ताल के माध्यम से दिल्ली में एक तरह से राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है। केजरीवाल ने कल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछा था कि क्या वह अपने अधिकारियों के बैठक में शामिल ना होने पर काम कर सकते हैं। उन्होंने आईएएस अधिकारियों की कथित ‘हड़ताल’ के मामले पर प्रधानमंत्री पर निशाना साधा और उन्हें अपने अधिकारियों के बिना काम करने की चुनौती दी ।

उन्होंने कहा कि क्या प्रधानमंत्री एक दिन भी अधिकारियों के बगैर काम कर सकते हैं। मोदी को कल लिखे पत्र में केजरीवाल ने उनसे अपील की कि वह आईएएस अधिकारियों की हड़ताल समाप्त कराएं, ताकि वह रविवार को नीति आयोग में होने वाली बैठक में शामिल हो सकें। हालांकि , आईएएस अधिकारी संघ लगातार इस बात का दावा कर रहा है कि कोई भी अधिकारी ‘हड़ताल’ पर नहीं है। सिसोदिया ने भी शनिवार को एक वीडियो संदेश जारी करते हुए कहा था कि उप राज्यपाल कार्यालय से जबरन निकाले जाने पर वह पानी भी पीना बंद कर देंगे।

सूत्रों ने बताया कि आप मंत्रियों के धरना देने के बाद अपने घर से काम कर रहे उपराज्यपाल ने मंत्रियों के स्वास्थ्य की जांच के लिए तीन दलों का गठन किया है। इस बीच , दिल्ली उच्च न्यायालय कल उस याचिका पर सुनवाई के लिए राजी हो गया , जिसमें उप राज्यपाल को दिल्ली के आईएएस अधिकारियों की हड़ताल खत्म कराने और उनके काम पर लौटने का निर्देश देने की मांग की गई है। इस पर सुनवाई 18 जून को की जाएगी।

यह याचिका गुरुवार को अदालत में दायर उस याचिका की पृष्ठभूमि में दायर की गई है, जिसमें केजरीवाल और उनके मंत्रियों के उप राज्यपाल के कार्यालय में धरना को असंवैधानिक और गैरकानूनी ठहराने की मांग की गई थी। केजरीवाल के धरने के खिलाफ दायर याचिका पर भी सुनवाई 18 जून को होगी। 

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