दिल्ली बनाम केंद्र: दिल्ली को तीन, केंद्र को मिली दो शक्तियां
दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच शक्तियों के विभाजन पर बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय ने अपना फैसला दिया। इसके तहत शीर्ष न्यायालय के समक्ष छह विवादित मुद्दे थे।
नयी दिल्ली। दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच शक्तियों के विभाजन पर बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय ने अपना फैसला दिया। इसके तहत शीर्ष न्यायालय के समक्ष छह विवादित मुद्दे थे। दिल्ली सरकार के पास इन तीन क्षेत्रों में शक्तियां होंगी:-
(1) विशेष सरकारी वकीलों या कानून अधिकारियों की नियुक्ति
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2016 के अपने आदेश के जरिए यह शक्ति दिल्ली सरकार को पहले ही दे रखी थी। उस आदेश से पहले, दोनों सरकारें (केंद्र एवं दिल्ली सरकार) नियुक्तियां किया करती थी लेकिन हर बार दिल्ली सरकार को अपने अधिकार का दावा करना होता था। ‘आप’ सरकार के वकील राहुल मेहरा ने यह जानकारी दी।
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(2) भूमि राजस्व की दर तय करना
शुरूआत में, यह शक्ति उपराज्यपाल (एलजी) के पास थी। 2015 में तत्कालीन एलजी नजीब जंग ने कृषि भूमि के संशोधित सर्कल रेट पर दिल्ली सरकार की अधिसूचना पर रोक लगा दी। दिल्ली उच्च न्यायालय ने दोनों सरकारों के बीच शक्तियों को लेकर रस्साकशी होने पर 2016 के अपने फैसले के जरिए यह शक्ति केंद्र को दे दी थी, जिसे दिल्ली सरकार ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी।
(3) विद्युत आयोग या बोर्ड की नियुक्ति या उससे जुड़े मामले
शुरूआत में, तत्कालीन एलजी जंग ने सितंबर 2016 में दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (डीईआरसी) के अध्यक्ष के तौर पर दिल्ली सरकार द्वारा की गई कृष्ण सैनी की नियुक्ति को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि यह बगैर उसकी मंजूरी के की गई थी।
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इसके अलावा, दिल्ली सरकार द्वारा नामित बिजली वितरण करने वाली तीन निजी कंपनियों (डिस्कॉम) के बोर्डों के निदेशकों की नियुक्ति को 2016 में उच्च न्यायालय ने अवैध करार दिया था क्योंकि इसके लिए एलजी की मंजूरी नहीं ली गई थी। केंद्र को दी गई शक्तियां हैं:-
(1) दिल्ली भ्रष्टाचार रोधी शाखा (एसीबी) केंद्र सरकार के कर्मचारियों की जांच नहीं कर सकती
शुरूआत में, दिल्ली सरकार के पास एसीबी का नियंत्रण था लेकिन एलजी ने इसे अपने नियंत्रण में ले लिया था। मेहरा ने बताया कि 2014 तक यह शक्ति दिल्ली सरकार के पास थी लेकिन उसी साल राजग सरकार ने एक अधिसूचना जारी की और यह शक्ति छीन ली। उन्होंने बताया कि दिल्ली सरकार ने उच्च न्यायालय में इस अधिसूचना को चुनौती दी लेकिन इस पर फैसला केंद्र के पक्ष में आया था।
(2) केंद्र के पास जांच आयोग नियुक्त करने की शक्ति है:-
फैसला आने से पहले से ही यह शक्ति केंद्र के पास है
वे मुद्दे, जिन पर उच्चतम न्यायालय ने फैसला नहीं दिया और उसे एक बड़ी पीठ के पास भेज दिया:-
(1) अधिकारियों के तबादले और पदस्थापना सहित सेवा मामलों पर नियंत्रण
उच्चतम न्यायालय की दो सदस्यीय पीठ ने दिल्ली सरकार के अधिकारियों के तबादले और पदस्थापना से जुड़े सेवा मामलों के विषयों का विवादित मुद्दा बृहस्पतिवार को एक बड़ी पीठ के पास भेज दिया। शुरूआत में, यह मुद्दा केंद्र के पास था। इसे दिल्ली सरकार ने उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी।
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