कश्मीर मुद्दे पर विपक्ष की सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग

[email protected] । Jul 18 2016 5:44PM

कश्मीर में हालात को लेकर विपक्ष ने आज सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि इस मुद्दे पर चर्चा के लिए तत्काल एक सर्वदलीय बैठक बुलाई जानी चाहिए।

कश्मीर में हालात को लेकर विपक्ष ने आज सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि इस मुद्दे पर चर्चा के लिए तत्काल एक सर्वदलीय बैठक बुलाई जानी चाहिए और अशांति से निपटने के लिए बल प्रयोग के बजाय राजनीतिक समाधान की कोशिश करनी चाहिए। राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कश्मीर में हालात पर अल्पकालिक चर्चा की शुरूआत करते हुए कहा कि जब उग्रवाद से निपटने की बात हो तो उनकी पार्टी केंद्र और राज्य की सरकार के साथ है लेकिन महिलाओं और बच्चों सहित स्थानीय नागरिकों पर अत्यधिक बल प्रयोग उसे कतई स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने सरकार से कश्मीर मुद्दे पर तत्काल सर्वदलीय बैठक बुलाने और अत्यधिक बल प्रयोग के लिए जवाबदेही तय करने की मांग की।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने दो टूक शब्दों में सवाल किया कि जिन गोलियों का उपयोग उग्रवादियों के लिए किया जाता है, क्या वही गोलियां आम नागरिकों पर चलाई जानी चाहिए? उन्होंने कहा कि हरियाणा में भी आंदोलन हुआ और बड़े पैमाने पर हिंसा हुई लेकिन वहां लोगों पर इस तरह से गोलियां और पैलेट गनों का उपयोग क्यों नहीं किया गया? आजाद ने कहा कि सरकार की भूमिका जनता के संरक्षक की होती है। यह बात नहीं भूलनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि कश्मीर में वर्तमान हालात के लिए जिम्मेदार कई कारण हैं। इनमें पीडीपी के साथ सरकार में भाजपा की भागीदारी, भाजपा और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कुछ नेताओं के कथित भड़काऊ बयान और पाकिस्तान मुख्य हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का अस्तित्व ही सभी समस्याओं की जड़ है।

आजाद ने तत्काल एक सर्वदलीय बैठक बुलाने की मांग करते हुए कहा कि कश्मीर पर बंदूकें और गोलियों के जरिये शासन नहीं किया जा सकता। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री आजाद ने कहा कि जब राज्य में उनकी पार्टी की सरकार थी तब उग्रवाद का सफाया करने के साथ साथ ‘‘हीलिंग टच’’ की नीति भी चलाई जा रही थी। ‘‘हमारी सरकार उग्रवादियों से कठोरता से निपटती थी और युवाओं के साथ हमारा सलूक अभिभावकों जैसा था। ऐसा करना लोकतांत्रिक ढांचे के लिए जरूरी है।’’ उन्होंने कहा ‘‘मैं नहीं कहता कि कश्मीरी हम पर पूरी तरह भरोसा करते हैं। वह हम पर थोड़ा भरोसा करते थे लेकिन आम कश्मीरी का भाजपा सरकार में भरोसा नहीं है।

सदन के नेता अरुण जेटली ने चर्चा में हस्तक्षेप में करते हुए माना कि कश्मीर में स्थिति चिंताजनक है लेकिन इस तर्क को उन्होंने सिरे से खारिज कर दिया कि घाटी में हिंसा का कारण राज्य की सरकार में भाजपा की भागीदारी है। स्थिति सामान्य करने के लिए उठाए गए कदमों का जिक्र करते हुए जेटली ने कहा कि इस समय पूरे देश को एक स्वर में बोलना चाहिए और ऐसा कुछ भी नहीं होना चाहिए जिससे वहां आम आदमी की परेशानी बढ़े। युवाओं से एक उग्रवादी के मारे जाने की घटना के विरोध में हो रहे आंदोलन से अलग रहने का आहवान करते हुए जेटली ने कहा ‘‘जब हजारों लोग पुलिस पर हमला करते हैं तो यह समझने वाली बात है कि कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि लड़ाई देश तथा अलगाववादियों के बीच है और आम आदमी देश के साथ खड़ा है जो कि राष्ट्र के हित में है।’’ जेटली ने कहा कि यह तय करना पुलिस की जिम्मेदारी है कि वह भीड़ की हिंसा को नियंत्रित करने के लिए किस तरह का बल प्रयोग करे। वित्त मंत्री ने पाकिस्तान पर राज्य में हिंसा को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।

इससे पहले आजाद ने कहा कि सरकार ने पहले की स्थितियों से सबक नहीं सीखा। उन्होंने कहा कि कोई भी उग्रवाद के पक्ष में नहीं है और उग्रवादी राज्य में हमेशा से ही मारे गए हैं लेकिन चिंता की आत यह है कि जो स्थिति आज है वह तो 1990 के दशक में भी नहीं थी।

आजाद ने कहा कि घाटी के सभी दस जिलों में युवा मारे गए हैं। गोलियों और पैलेट गनों का नृशंसतापूर्वक उपयोग किया गया है। उन्होंने कहा कि व्हाट्सएप पर मिलने वाली तस्वीरें दिल दहला देती हैं। एक तस्वीर में एक पुलिस अधिकारी एक युवक की गर्दन को जूतों से दबाता नजर आ रहा है। उन्होंने कहा कि चार पांच साल के बच्चे तक घायल हुए हैं। कुछ की तो आंखें ही हमेशा के लिए खराब हो सकती हैं। कुछ बच्चे तो अपने मकान की छत से या खिड़की से बाहर देखते समय घायल हुए हैं। घाटी का कोई अस्पताल ऐसा नहीं है जहां घायल इलाज के लिए न गए हों। घायलों की संख्या करीब 1800 है। आजाद ने कहा कि जब उग्रवाद से निपटने की बात हो तो उनकी पार्टी केंद्र और राज्य की सरकार के साथ है लेकिन महिलाओं और बच्चों सहित स्थानीय नागरिकों पर अत्यधिक बल प्रयोग उसे कतई स्वीकार्य नहीं है। ‘‘उग्रवादियों और नागरिकों के बीच अंतर होना चाहिए। जो गोलियां उग्रवादियों पर चलाई जाती हैं, क्या वही गोलियां बच्चों, महिलाओं और युवाओं पर चलाई जानी चाहिए? क्या हम इन लोगों के साथ उग्रवादियों जैसा सलूक करें?’’

आजाद ने कहा कि मुसलमानों की देशभक्ति की इससे बड़ी मिसाल और क्या होगी कि इंडोनेशिया के बाद दुनिया में मुस्लिमों की बड़ी आबादी के लिहाज से दूसरे नंबर की हैसियत रखने वाले इस देश में आईएसआईएस की उपस्थिति नहीं के बराबर है। इस पर हिंदुओं और मुस्लिमों दोनों को ही गर्व होना चाहिए। विपक्ष के नेता ने कहा कि यह तो लावा है जो एक दिन में ही फूटने की स्थिति में नहीं आया। इसमें लंबा समय लगा है। उन्होंने कहा कि स्थिति को बिगाड़ने का एक कारण भाजपा और आरएसएस के नेताओं के भड़काऊ भाषण भी हैं। उन्होंने कहा कि इस्लामी उपदेशक जाकिर नाइक के खिलाफ जांच होनी चाहिए तथा उसे भी जेल भेजा जाना चाहिए जिसने उसका सिर काटने वाले पर 50 लाख रूपये का इनाम देने का कथित ऐलान किया था।

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