आंध्र को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग पर हंगामा, RS स्थगित

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[email protected] । Dec 12 2018 3:47PM

उन्होंने हंगामा कर रहे सदस्यों से अपने स्थानों पर लौट जाने और बैठक चलने देने की अपील की। लेकिन सदन में व्यवस्था बनते न देख उन्होंने 11 बज कर करीब दस मिनट पर बैठक दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

नयी दिल्ली। कावेरी डेल्टा क्षेत्र के किसानों के संरक्षण और आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग पर राज्यसभा में बुधवार को अन्नाद्रमुक और तेदेपा सहित विभिन्न दलों के सदस्यों के हंगामे के कारण बैठक दो बार के स्थगन के बाद करीब सवा दो बजे दिन भर के लिये स्थगित कर दी गयी। हंगामे के बीच ही आटिज्म बीमारी से संबंधित संशोधन विधेयक संक्षिप्त चर्चा के बाद पारित कर दिया गया। कावेरी क्षेत्र के किसानों के संरक्षण के मुद्दे पर आज उच्च सदन में भोजनावकाश के पहले बैठक दो बार स्थगित हुई और कोई कामकाज नहीं हो पाया। 

दो बार के स्थगन के बाद दोपहर दो बजे सदन की बैठक शुरू होने पर अन्नाद्रमुक और तेदेपा के सदस्यों ने आसन के समीप आकर नारेबाजी शुरू कर दी। सभापति एम वेंकैया नायडू ने सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचन्द गहलोत से राष्ट्रीय स्वपरायणता (आटिज्म) प्रमस्तिष्क घात (सेरिब्रल पेलिसी), मानसिक मंदता (मेंटल रिटार्डेशन) और बहु-निशक्तताग्रस्त (मल्टीप्ल डिसेबिल्टीज) कल्याण न्यास (संशोधन) विधेयक चर्चा के लिए पेश करने को कहा। हंगामे के बीच ही गहलोत ने विधेयक पेश करते हुये सदन से इसे पारित करने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह विधेयक मानसून सत्र में पेश किया गया था लेकिन इस पर चर्चा पूरी नहीं हो पाने के कारण यह अब तक लंबित है। हंगामे के बीच ही यह विधेयक संक्षिप्त चर्चा के बाद पारित कर दिया गया। 


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सदन में हंगामा जारी रहने पर सभापति ने बैठक बृहस्पतिवार 11 बजे तक के लिये स्थगित कर दी। इससे पहले, सुबह बैठक शुरू होने पर अन्नाद्रमुक एवं द्रमुक सदस्यों ने कावेरी क्षेत्र के किसानों का मुद्दा उठाया और आसन के समक्ष आ गए। सभापति ने कहा कि विभिन्न दलों के सदस्यों ने अलग अलग मुद्दों पर चर्चा करने के लिए नियम 267 के तहत नोटिस दिए हैं जिन्हें उन्होंने स्वीकार नहीं किया है। नायडू ने कहा कि सदन में कामकाज होने देना चाहिए। उन्होंने हंगामा कर रहे सदस्यों से अपने स्थानों पर लौट जाने और बैठक चलने देने की अपील की। लेकिन सदन में व्यवस्था बनते न देख उन्होंने 11 बज कर करीब दस मिनट पर बैठक दोपहर बारह बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

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दोपहर बारह बजे बैठक शुरू होने पर सदन में हंगामा जारी था। सभापति ने सदस्यों से शांत रहने को कहा लेकिन अपनी बात का असर न होते देख उन्होंने कुछ क्षणों के अंदर ही बैठक दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

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