पेड न्यूज पर रोक के लिए कड़े कदम उठाए जाने की मांग

[email protected] । May 10 2016 2:58PM

मीडिया में पेड न्यूज की बढ़ती प्रवृत्ति पर चिंता जताते हुए विभिन्न दलों के सदस्यों ने कहा कि यह पाठकों को गुमराह करता है और सरकार को इस पर रोक के लिए तत्काल कड़े कदम उठाने चाहिए।

मीडिया में पेड न्यूज की बढ़ती प्रवृत्ति पर आज चिंता जताते हुए विभिन्न दलों के सदस्यों ने कहा कि यह पाठकों को गुमराह करता है और सरकार को इस पर रोक के लिए तत्काल कड़े कदम उठाने चाहिए। खबरों की आड़ में प्रचार के लिए विज्ञापनों को लेकर विभिन्न दलों के सदस्यों द्वारा चिंता जताए जाने पर सूचना और प्रसारण मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि पेड न्यूज पथ से हटने वाली बात है लेकिन यह भी आशंका है कि सरकार के कदम उठाने पर इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप कहा जाएगा।

उन्होंने कहा कि अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया गया है और उन्हें इस बात में संदेह नहीं है कि सभी सदस्य खुल कर अपनी बात रखने के पक्षधर हैं। उन्होंने कहा कि लेकिन विज्ञापन की तरह वाणिज्यिक भाषणों को भी खुल कर अपनी बात रखने का हिस्सा बताया जा रहा है। भाजपा के विजय गोयल ने शून्यकाल में पेड न्यूज का मुद्दा उठाया था। जेटली ने कहा कि हम सभी पेड न्यूज के शिकार हैं। ‘‘विज्ञापन करना हर किसी का अधिकार है लेकिन जब सरकार सीमा से अधिक विज्ञापन करती है तो विज्ञापन और रिश्वत में अंतर की सीमा कहां रह जाती है।’’ उन्होंने कहा कि हम इस समस्या से छुटकारा चाहते हैं। इस मुद्दे पर सदन में चर्चा होनी चाहिए ताकि इस समस्या का कोई समाधान निकल सके। यह भी आशंका है कि सरकार के कदम उठाने पर इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप कहा जाएगा। इससे पहले यह मुद्दा उठाते हुए भाजपा के विजय गोयल ने कहा कि पेड न्यूज ने मीडिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठा दिए हैं क्योंकि संपादकीय या फीचर की आड़ में दिए जा रहे विज्ञापन लोगों को गुमराह करते हैं।

गोयल ने एक अखबार दिखाते हुए कहा कि दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने हाल ही में समाप्त हुई सम विषम योजना के बारे में समाचारों के रूप में किस तरह विज्ञापन दिए। उन्होंने कहा कि एक अखबार में लोगों ने एक दिन पढ़ा कि सम विषम योजना प्रदूषण का स्तर कम नहीं कर पाई और अगले दिन उसी अखबार में कहा गया कि योजना बहुत सफल रही। भाजपा सदस्य ने कहा कि विक्रय विभाग और संवाददाता के बीच की दीवार हटा ली गई है जिसका नतीजा पेड न्यूज है। उन्होंने कहा कि अखबार सेलिब्रिटी और कारोबारियों को बढ़ावा देने के लिए एक तरह से निजी संधियों की राह पकड़ रहे हैं।

गोयल ने कहा कि उन्होंने पेड न्यूज को लेकर भारतीय प्रेस परिषद में शिकायत की थी जिसने आज तक उन्हें कोई जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि सरकार एक मीडिया जवाबदेही समिति बनाए ताकि इस समस्या पर रोक लग सके। जदयू के शरद यादव ने उनके इस मुद्दे से स्वयं को संबद्ध करते हुए कहा कि आज अखबारों के मालिक खुद ही संवाददाता बन गए हैं। कांग्रेस के आनंद शर्मा ने कहा कि सरकार को इस पर कार्रवाई करनी चाहिए।

सपा के नरेश अग्रवाल ने कहा कि न केवल प्रिन्ट मीडिया बल्कि इलेक्ट्रॉनिक मीडिया भी सर्वे के नाम पर पेड न्यूज चला रहा है और इन सर्वे में चुनावी नतीजों को प्रभावित करने के लिए एक पक्ष को विजेता बता दिया जाता है। शिरोमणि अकाली दल के नरेश गुजराल ने कहा कि पेड न्यूज की वजह से चुनाव खर्चीले हो गए हैं। माकपा के सीताराम येचुरी ने कहा कि पेड न्यूज लोकतंत्र के माथे पर लगा धब्बा है। विभिन्न दलों के सदस्यों ने इस मुद्दे से स्वयं को संबद्ध किया। उप सभापति पीजे कुरियन ने कहा कि यह अत्यंत गंभीर मामला है और इस पर चर्चा के लिए सदस्य नोटिस दे सकते हैं।

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