आतंकवाद के मामले में आईएसआईएस के कथित सदस्य को जमानत देने से इनकार

Delhi High Court
प्रतिरूप फोटो
ANI

अदालत ने 10 जनवरी को पारित फैसले में कहा, ‘‘अपीलकर्ता ने स्वीकार किया कि 2018 में उसने अबू बक्र अल बगदादी और अबू अल-हसन अल-हाशिमी अल-कुरैशी के नाम पर शपथ (बायथ) ली थी।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने इंटरनेट के माध्यम से युवाओं को कट्टरपंथी बनाने को लेकर राष्ट्रीय अन्वेषण एजेंसी (एनआईए) द्वारा दर्ज आतंकवाद के एक मामले में आतंकी संगठन आईएसआईएस के एक कथित सदस्य को जमानत देने से इनकार कर दिया है।

न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह और न्यायमूर्ति अमित शर्मा की पीठ ने मोहम्मद हेदायतुल्ला की जमानत याचिका खारिज कर दी, जिसने भारत में आतंकवादी संगठन की विचारधारा का कथित तौर पर प्रचार करने और आईएसआईएस में अन्य व्यक्तियों की भर्ती के लिए टेलीग्राम ग्रुप का इस्तेमाल किया था।

आरोपी ने अधीनस्थ अदालत के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उसे किसी भी तरह की राहत देने से इनकार कर दिया गया था। आरोपी ने इस आधार पर आदेश को चुनौती दी थी कि केवल किसी आतंकवादी संगठन से जुड़ा होना या उसका समर्थन करना गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) के तहत अपराध नहीं होगा।

अदालत ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि गुरुग्राम में एक आईटी कंपनी में काम करने वाला एक योग्य एमबीए स्नातक हेदायतुल्ला एक ‘निष्क्रिय’ समर्थक नहीं था, क्योंकि प्राप्त सामग्री से पता चलता है कि उसने ‘खिलाफत की स्थापना के लिए हिंसक तरीकों से भी जिहाद’ की वकालत की थी।

अदालत ने 10 जनवरी को पारित फैसले में कहा, ‘‘अपीलकर्ता ने स्वीकार किया कि 2018 में उसने अबू बक्र अल बगदादी और अबू अल-हसन अल-हाशिमी अल-कुरैशी के नाम पर शपथ (बायथ) ली थी। बगदादी निश्चित रूप से आईएसआईएस का एक कुख्यात नेता है और आरोप पत्र के अनुसार उसने जून 2014 में ‘खिलाफत’ की स्थापना की घोषणा की थी।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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