वन मंत्री के द्वारा 71वें वन महोत्सव के मौके पर कई नये प्रोजैक्टों की शुरूआत,वातावरण संतुलन बनाये रखने पर दिया ज़ोर

Sadhu Singh Dharamsot

धर्मसोत ने चिंता ज़ाहिर करते हुये कहा कि वन अधीन क्षेत्र को घटाने और कृषि अधीन क्षेत्रफल में वृद्धि के नतीजे के तौर पर राज्य में भूजल घटता जा रहा है और विकास सम्बन्धी गतिविधियां हवा और पानी प्रदूषण और जलवायु परिपर्तन का कारण बन रही हैं।

चंडीगढ़। पंजाब के वन मंत्री स. साधु सिंह धर्मसोत ने आज 71वें राज्य स्तरीय वन महोत्सव के मौके पर लोगों को समर्पित कई अन्य प्रोजेक्टों की शुरूआत की, जिसमें धरती पर वातावरण संतुलन बनाई रखने के मद्देनज़र वनों और वातावरण के महत्वपूर्ण सम्बन्ध पर ज़ोर दिया गया।

धर्मसोत ने चिंता ज़ाहिर करते हुये कहा कि वन अधीन क्षेत्र को घटाने और कृषि अधीन क्षेत्रफल में वृद्धि के नतीजे के तौर पर राज्य में भूजल घटता जा रहा है और विकास सम्बन्धी गतिविधियां हवा और पानी प्रदूषण और जलवायु परिपर्तन का कारण बन रही हैं।

 

उन्होंने आगे कहा कि जलवायु परिवर्तन को स्थिर रखने का एकमात्र ज़रिया वन हैं जो वायुमंडल की कार्बन डाइऑक्साइड को सोखते हैं।

स. धर्मसोत ने कहा कि पहला वन महोत्सव साल 1950 में मनाया गया था, जबकि पंजाब में अभी भी वनों के अधीन क्षेत्रफल कम है। उन्होंने आगे कहा कि राज्य सरकार ने साल 2030 तक वनों के अधीन क्षेत्रफल को 6.83 फ़ीसदी से 7.5 फ़ीसदी तक बढ़ाने की योजना बनाई है। साल 2019 की सैटेलाइट रिपोर्ट के अनुसार राज्य में वनों के अधीन क्षेत्रफल में 11.63 वर्ग किलोमीटर का विस्तार हुआ है।

इस मौके पर वन मंत्री ने विभिन्न सरकारी एजेंसियों जैसे डीसीज़ / डीएफओज़ / पैरा मिलिट्री फोर्सिज़ / स्कूलों और अन्य भाईवालों जैसे एनजीओज़ आदि के सहयोग से एक करोड़ से अधिक पौधे लगाने के लिए राज्य स्तरीय व्यापक मुहिम शुरू की।

इसके इलावा राज्य के नागरिकों को वृक्षों और वनों की सुरक्षा में सहयोग के समर्थ बनाने के लिए आई-रखवाली मोबाइल ऐपलीकेशन शुरू की जिसके ज़रिये लोग वनों से जुड़े अपराधों सम्बन्धी शिकायतें सीधे सम्बन्धित आधिकारियों के पास भेजने के योग्य हो जाएंगे।

शुरू किये अन्य प्रोजेक्टों में राज्य के सबसे पुराने वृक्षों की सुरक्षा के लिए एक नयी योजना विरासत-ए-दरख़्त योजना शुरू की जिसके अंतर्गत पुराने वृक्षों को विरासती वृक्षों का दर्जा दिया जायेगा। यह वृक्षों और वनों की सुरक्षा के बारे नागरिकों को जागरूक करने में सहायक होगा।

इसके साथ ही रेशम उत्पादन सम्बन्धी प्रमुख प्रोजैक्ट की शुरूआत की गई जिसके अंतर्गत पठानकोट में 6 गाँवों के लाभार्थियों को शामिल करके रेशम के कीड़े पालने के लिए 46 घर और शहतूत के 37500 पौधे लगाए जाएंगे जिससे 116 लाभार्थियों को लाभ मिलेगा।

स. धर्मसोत ने सिसवां में कुदरत जागरूकता कैंप का उद्घाटन भी किया जिसके अंतर्गत राज्य के लोगों को कुदरत के प्रति जागरूक करने के लिए टैंट रिहायश सुविधा (3 टैंट) स्थापित की गई। इस सुविधा में बोटींग, इकौ ट्रेलस, पक्षी देखना, ट्रेकिंग और साईकलिंग के द्वारा कुदरत के साथ रु-ब-रु करवाना शामिल है।

गाँव चमरौद, धार ब्लाक, पठानकोट में कुदरत जागरूकता कैंप के दूसरे पड़ाव का उद्घाटन किया गया जिसमें चार और टैंट स्थापित किये गए। इसके साथ ही ज़िप लाईन स्थापित किया गया है और बोटींग भी शुरू की गई है जबकि पहले पड़ाव में टैंट रिहायश ही स्थापित की गई थी।

इसके इलावा नेचर इंटर-प्रिटेशन सैंटर का नींव पत्थर भी रखा गया जिसमें सैलानियों को शिवालिक क्षेत्र के पौधों और जीव-जंतुओं के बारे जागरूक करने सम्बन्धी सुविधाजनक सहूलतें होंगी।

पिछले 4 सालों के दौरान पौधे लगाने सम्बन्धी यत्नों के अंतर्गत राज्य सरकार ने पौधे लगाने सम्बन्धी मुहिम के अधीन 2,14,00000 पौधे लगा कर 21410 हेक्टेयर क्षेत्रफल कवर किया। इसके इलावा, घर-घर हरियाली स्कीम के अधीन 1,23,00000 देसी किस्मों के पौधे लोगों को मुहैया करवाए गए हैं।

उन्होंने आगे कहा कि श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व के मौके पर राज्य के 12986 गाँवों में 76 लाख पौदे लगाए गए। इस साल श्री गुरु तेग़ बहादुर जी के 400वें प्रकाश पर्व के मौके पर राज्य में 60 लाख पौधे लगाए जा रहे हैं।

इसके इलावा किसानों ने भी बड़े स्तर पर ऐग्रोफौरैस्टरी को अपना कर राज्य में वृक्षों के अधीन क्षेत्रफल को बढ़ाने में योगदान डाला है। पिछले 4 सालों के दौरान राज्य में 13039 किसानों ने 1करोड़ 49 लाख पौधे लगाए हैं।

राज्य में वन्य जीवों की स्थिति को सुधारने के सांझे यत्नों के हिस्से के तौर पर ब्यास कंज़रवेशन रिज़र्व में घड़ियाल को सफलतापूर्वक दोबारा छोड़ा गया। कई दशक पहले, घड़ियाल कुदरती तौर पर ब्यास दरिया में डाले जाते थे, परन्तु कई कारणों से यह लुप्त हो गए।

इंडस डालफिन ब्यास दरिया में पाई जाने वाली एक दुर्लभ और लुप्त हो रही प्रजाति है। इस प्रजाति को उच्च सुरक्षा देने के लिए इसको पंजाब राज्य जल जीव घोषित किया गया है जबकि एशिया का सबसे बड़ा पक्षियों का रेन बसेरा छत्तबीड़ चिड़ियाघर में स्थापित किया गया है और इस साल एक डायनासौर पार्क भी खोला गया है।

वन ज़मीन पर नाजायज कब्जों को हटाने के यत्नों के बारे बात करते हुये स. धर्मसोत ने कहा कि सांझे यत्नों से हम हज़ारों एकड़ ज़मीन फिर प्राप्त करने के योग्य हुए हैं। वन अधीन क्षेत्रफल की महत्ता पर ज़ोर देते हुये कैबिनेट मंत्री ने कहा कि कोविड महामारी के गंभीर समय के दौरान जब मरीज़ों को आक्सीजन की सख़्त ज़रूरत थी, लोगों ने वृक्षों की महत्ता को स्वीकार किया।

इस मौके पर डी.के. तिवारी, वित्त कमिशनर, वन, श्री साधु सिंह संधू, चेयरमैन वन सहकारिता, श्री विद्या भूषण कुमार, पीसीसीऐफ, पंजाब, श्री जगमोहन सिंह कंग, पूर्व कैबिनेट मंत्री पंजाब, श्री आर.के. मिश्रा, चीफ़ वाइल्ड लाईफ़ वार्डन, श्री परवीन कुमार, अतिरिक्त पीसीसीएफ (एफसीए) और सीईओ (सीएएमपीए), श्री सौरभ गुप्ता, अतिरिक्त पीसीसीएफ (विकास) मौजूद थे।

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