घोटालों के मामले में कांग्रेस और भाजपा में कोई फर्क नहीं: हजारे

Dictatorship takes over democracy in India, public should teach govt a lesson: Anna Hazare
[email protected] । Feb 28 2018 5:55PM

समाजसेवी अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार के विरुद्ध केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार की मंशा पर शक जाहिर करते हुए कहा है कि वित्तीय कदाचार के मामले में कांग्रेस और भाजपा में कोई फर्क नहीं है।

लखनऊ। समाजसेवी अन्ना हजारे ने भ्रष्टाचार के विरुद्ध केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार की मंशा पर शक जाहिर करते हुए कहा है कि वित्तीय कदाचार के मामले में कांग्रेस और भाजपा में कोई फर्क नहीं है। उत्तर प्रदेश के दौरे पर आये हजारे ने कहा, ‘‘केन्द्र सरकार ने लोकपाल कानून की धारा 44 में बदलाव करके उसे कमजोर कर दिया। एक तरफ तो मोदी भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाने की बात करती हैं, दूसरी तरफ उनकी सरकार ने भ्रष्टाचार को रोकने वाले लोकपाल कानून को कमजोर कर दिया। खाने के दांत अलग हैं और दिखाने के अलग।’’

उन्होंने कहा, ‘‘भ्रष्टाचार के खिलाफ केन्द्र सरकार की मंशा पर मुझे शक है।...लोकपाल कानून की धारा 44 में प्रावधान था कि हर सरकारी अधिकारी अपने करीबी परिजन की सम्पत्ति का हर साल ब्यौरा देगा। मगर इसमें संशोधन करके उस अनिवार्यता को हटा दिया गया।’’ उन्होंने कहा कि केन्द्र की पिछली कांग्रेस और मौजूदा भाजपा सरकार में कोई अंतर नहीं दिखायी देता है। दोनों सत्ता और धन जुटाने में लिप्त हैं। वे सिर्फ अपनी पार्टी को मजबूत करने में लगी हैं। हजारे ने कहा कि केन्द्र सरकार ने वर्ष 2016 में लोकपाल कानून में संशोधन के विधेयक को बिना चर्चा कराये आनन-फानन में पारित कर दिया। उसने 27 जुलाई को लोकसभा और 28 जुलाई को राज्यसभा में इसे पारित करा दिया और 29 जुलाई को उस पर राष्ट्रपति ने भी दस्तखत कर दिये। यह तो कांग्रेस भी नहीं कर सकती थी। लोकसभा और राज्यसभा में चर्चा के बगैर कोई कानून बनाना लोकतंत्र नहीं, बल्कि ‘हुक्मतंत्र’ है।

वर्ष 2011 के आंदोलन के विपरीत इस बार समर्थन जुटाने के लिए देश का दौरा करने संबंधी सवाल पर हजारे ने कहा ‘‘दोनों आंदोलनों के बीच में अन्तराल ज्यादा हो गया है, इसलिए मैं लोगों के बीच जा रहा हूं।'' चुनाव सुधारों को लेकर भी मुहिम चला रहे हजारे ने इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के बजाय मतपत्र से चुनाव कराने की सपा और बसपा की मांग से असहमति जताती और कहा कि दुनिया आगे बढ़ रही है, ऐसे में हम पीछे क्यों लौटें। हालांकि, उन्होंने कहा कि ईवीएम की निष्पक्षता बनाये रखने के लिये ‘टोटलाइजर मशीन’ का इस्तेमाल किया जाये। ईवीएम को बदलने के बजाय तंत्र को बदला जाये।

हजारे ने इस बार अपने आंदोलन से जुड़ने वालों के लिये शर्त रखी है कि वे भविष्य में कभी राजनीति में नहीं आएंगे। उन्होंने इस बारे में कहा, ‘‘गांधी जी कल्पना यह थी कि कोई भी आंदोलन चरित्र पर आधारित होना चाहिये। आज चरित्र पर कुछ भी आधारित नहीं है। हमें संख्यात्मक दृष्टि से नहीं बल्कि गुणात्मक दृष्टि से आंदोलन को देखना चाहिये।’’

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