संघ के स्कूल से देश सेवा के लिए तैयार होंगे अनुशासित सैनिक

disciplined-soldiers-ready-to-serve-the-country-from-rss-school
अभिनय आकाश । Jul 30 2019 3:20PM

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चौथे सरसंघचालक राजेंद्र सिंह उर्फ रज्जू भैया 1994 से 2000 तक सरसंघचालक के पद पर रहे। रज्जू भैया पहले गैर महाराष्ट्रियन और पहले गैर ब्राह्मण सरसंघचालक थे। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पढ़ाई की और फिर इसी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में कार्यरत रहे। छह साल तक संघ की कमान संभालने वाले रज्जू भैया के कहने पर नानाजी ने मंत्री पद ठुकरा दिया था।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) 2025 में जिसकी उम्र 100 बरस हो जाएगी। लेकिन यह एक ऐसा नाम है जिसका जिक्र होते ही राजनीति के गलियारों की धड़कनें बढ़ जाती हैं। समाज के भीतर देश के सबसे बड़े परिवार के तौर पर आरएसएस अपनी पहचान कराता है। इतिहास के पन्नों से गुलाम हिन्दुस्तान की यादों में हिंदुत्व की आस्था से भारतीयता की भावना में रचे-बसे इस संगठन का जन्म तो 94 साल पहले हुआ था। उस वक्त सिर्फ 12 लोग थे लेकिन आज करोड़ों-करोड़ सांस्कृतिक राष्ट्रवाद संगठन की हामी हैं। आरएसएस का इरादा अखंड भारत का है और संघ का वादा सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के पन्नों में भटकता है। फरवरी 2018 में बिहार के मुजफ्फरपुर में एक कार्यक्रम के दौरान संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था कि सेना को सैन्यकर्मियों को तैयार करने में छह-सात महीने लग जाएंगे, लेकिन संघ के स्वयं सेवकों को लेकर यह तीन दिन में तैयार हो जाएगी। यह हमारी क्षमता है पर हम सैन्य संगठन नहीं, पारिवारिक संगठन हैं लेकिन संघ में सेना जैसा अनुशासन है। अगर कभी देश को जरूरत हो और संविधान इजाजत दे तो स्वयं सेवक मोर्चा संभाल लेंगे। उस वक्त इस बयान को लेकर पूरे देश में खूब राजनीति भी हुई थी। लेकिन संघ प्रमुख द्वारा कही गई बात के एक साल बाद आरएसएस देश के लिए सेना तैयार करने की भूमिका में है। 

इसे भी पढ़ें: राष्ट्रवाद पर बोले मोहन भागवत, बच्चों में पैदा की जाएगी संघ की विचारधारा

विद्याभारती के तहत उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर में सैनिक विद्या मंदिर स्थापित किया जा रहा है। इस स्कूल के निर्माण के लिए शिकारपुर तहसील के खंडवाया के रहने वाले चौधरी राजपाल सिंह ने 32 बीघा जमीन एक ट्रस्ट बनाकर दान स्वरूप दी है। अगले साल खुलने जा रहे इस स्कूल में सैनिक स्कूलों की तर्ज पर छात्रों को भारतीय सेना में चुने जाने की तैयारी कराई जाएगी। ये स्कूल उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले के शिकारपुर में बनाया जाएगा। जहां पूर्व सरसंघचालक रज्जू भैया का जन्म हुआ था। इस स्कूल में छठी कक्षा से लेकर बारहवीं कक्षा तक के छात्र होंगे। इसमें सीबीएसई का सिलेबस पढ़ाया जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि अगर यह प्लान कामयाब रहता है तो जल्द ही इसी तरह के स्कूल खोले जा सकते हैं। बता दें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शिक्षा शाखा विद्या भारती पूरे देश में 20 हजार से ज्यादा स्कूलों को चलाती है।

इसे भी पढ़ें: मॉब लिंचिंग के नाम पर हिन्दू धर्म एवं संस्कृति को किया जा रहा बदनाम: मोहन भागवत

युद्ध के समय संघ की मदद

1962 में चीन के धोखे से किए गए हमले से देश सन्न रह गया था। उस वक्त आरएसएस ने सरहदी इलाकों में रसद पहुंचाने में मदद की थी। इससे प्रभावित होकर प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 1963 में गणतंत्र दिवस परेड में संघ को बुलाया था। 1965 में पाकिस्तान से युद्ध के दौरान दिल्ली में ट्रैफिक व्यवस्था सुधारने में संघ ने मदद की थी। घायल जवानों के लिए रक्तदान करने वाले भी संघ के स्वयंसेवक थे। यह भी दावा किया जाता है कि 2 अगस्त 1954 को दादरा नगर हवेली को पुर्तगालियों के कब्जे से मुक्त करवा कर स्वयंसेवकों ने भारत सरकार को सौंप दिया था।

इसे भी पढ़ें: संस्कृत जाने बिना भारत को पूरी तरह से नहीं समझा जा सकता: मोहन भागवत

कौन हैं रज्जू भैया

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के चौथे सरसंघचालक राजेंद्र सिंह उर्फ रज्जू भैया 1994 से 2000 तक सरसंघचालक के पद पर रहे। रज्जू भैया पहले गैर महाराष्ट्रियन और पहले गैर ब्राह्मण सरसंघचालक थे। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पढ़ाई की और फिर इसी विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के रूप में कार्यरत रहे। छह साल तक संघ की कमान संभालने वाले रज्जू भैया के कहने पर नानाजी ने मंत्री पद ठुकरा दिया था। बताया जाता है कि आपातकाल के बाद जब जनता पार्टी की सरकार में जब नानाजी देशमुख को उद्योग मंत्री का पद देना निश्चित हो गया तो रज्जू भैया ने उनसे कहा कि नानाजी अगर आप, अटलजी और आडवाणीजी- तीनों सरकार में चले जायेंगे तो बाहर रहकर संगठन को कौन संभालेगा? नानाजी ने उनकी इच्छा का आदर करते हुए तुरन्त मंत्रीपद ठुकरा दिया और जनता पार्टी का महासचिव बनना स्वीकार किया। अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी से लेकर अशोक सिंघल जैसे तमाम दिग्गज लोग भी रज्जू भैया का बेहद आदर करते थे।  

 

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़