पूर्वी लद्दाख गतिरोध के मुद्दे अनुराग श्रीवास्तव ने जताई उम्मीद, ड्रैगन को लेकर दिया यह बयान

Anurag Srivastava

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्ताव ने कहा, ‘‘ हमारी उम्मीद है कि चीनी पक्ष भारत-चीन सीमा मुद्दों पर विचार विमर्श एवं सहयोग तंत्र और वरिष्ठ कमांडर स्तर पर बैठकों में हमारे साथ काम करे ताकि शेष क्षेत्रों से सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया जल्द पूरी की जा सके। ’’

नयी दिल्ली। भारत ने पूर्वी लद्दाख गतिरोध के मुद्दे पर शुक्रवार को कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि चीन राजनयिकों एवं सैन्य कमांडरों के बीच मौजूदा संवाद तंत्र के माध्यम से सैनिकों की वापसी सुनिश्चित करने के वास्ते पूर्वी लद्दाख में शेष इलाकों से सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया पूरी करेगा ताकि दोनों पक्ष अपने बलों को पीछे हटा सके। यह बयान ऐसे समय में आया है जब दोनों देशों की सेनाओं ने पैंगोंग सो झील के उत्तरी और दक्षिणी किनारे पर सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया हाल ही में पूरी की है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्ताव ने साप्ताहिक प्रेस वार्ता में कहा कि विदेश मंत्री एस जयशंकर की पिछले सप्ताह ही में चीनी विदेश मंत्री वांग यी से बातचीत की थी और हॉटलाइन स्थापित करने पर सहमति व्यक्त की थी। 

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उन्होंने कहा, ‘‘ हमारी उम्मीद है कि चीनी पक्ष भारत-चीन सीमा मुद्दों पर विचार विमर्श एवं सहयोग तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) और वरिष्ठ कमांडर स्तर पर बैठकों में हमारे साथ काम करे ताकि शेष क्षेत्रों से सैनिकों के पीछे हटने की प्रक्रिया जल्द पूरी की जा सके। ’’ प्रवक्ता ने कहा, ‘‘ इससे दोनों पक्षों के लिये पूर्वी लद्दाख में अपने बलों को पीछे हटाना सुगम होगा क्योंकि इससे ही शांति बहाल हो सकेगी और हमारे द्विपक्षीय संबंधों की प्रगति के लिये माहौल बन सकेगा। ’’ गौरतलब है कि दोनों देशों की सेनाओं ने पूर्वी लद्दाख में कई महीने तक जारी गतिरोध के बाद उत्तरी और दक्षिणी पैंगोंग क्षेत्र से अपने अपने सैनिकों एवं हथियारों को पीछे हटा लिया था। हालांकि कुछ मुद्दे अभी बने हुए हैं। समझा जाता है कि बातचीत के दौरान भारत ने गोगरा, हाट स्प्रिंग, देपसांग जैसे क्षेत्रों से भी तेजी से पीछे हटने पर जोर दिया था।

विदेश मंत्री एस जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने पिछले सप्ताह करीब 75 मिनट तक टेलीफोन पर बात की थी। जयशंकर ने वांग से कहा था कि द्विपक्षीय संबंधों के विकास के लिये सीमा पर शांति एवं स्थिरता जरूरी है। दोनों नेताओं ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा और भारत चीन संबंधों के सम्पूर्ण आयामों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की। जयशंकर ने वांग से कहा था कि गतिरोध वाले सभी स्थानों से सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया पूरी होने के बाद दोनों पक्ष क्षेत्र से सैनिकों की पूर्ण वापसी और अमन-चैन बहाली की दिशा में काम कर सकते हैं। बीस फरवरी को मोल्दो/ चुशूल सीमा पर चीनी हिस्से पर चीन-भारत कोर कमांडर स्तर की बैठक का 10वां दौर आयोजित किया गया था। 

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रक्षा मंत्रालय के बयान के अनुसार, इसमें दोनों पक्षों ने पैंगोंग सो झील क्षेत्र में अग्रिम फौजों की वापसी का सकारात्मक मूल्यांकन किया था। सीमा पर शांति और स्थिरता को द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति के लिए जरूरी बताते हुए भारत ने चीन से कहाथा कि पूर्वी लद्दाख में सैनिकों की पूर्ण वापसी की योजना पर अमल के लिये यह जरूरी है कि टकराव वाले बाकी सभी इलाकों से सैनिकों को हटाया जाए। गौरतलब है कि भारत और चीन की सेनाओं के बीच पांच मई को सीमा पर गतिरोध शुरू हुआ था। दोनों देशों के बीच पैंगोंग झील वाले इलाके में हिंसक झड़प हुई और इसके बाद दोनों देशों ने कई स्थानों पर साजो-सामान के साथ हजारों सैनिकों की तैनाती कर दी। इसके बाद पिछले चार दशकों में सबसे बड़े टकराव में 15 जून को गलवान घाटी में झड़प में भारत के 20 सैन्यकर्मी शहीद हो गए। झड़प के आठ महीने बाद चीन ने स्वीकार किया कि झड़प में उसके चार सैन्यकर्मी मारे गए थे।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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