हर घर अन्न एक जुमला है, दिल्ली सरकार राशन माफिया के नियंत्रण में है: रविशंकर प्रसाद

BJP
अंकित सिंह । Jun 11 2021 1:22PM

उन्होंने कहा कि भारत सरकार देश भर में 2 रुपये प्रति किलो गेहूं, 3 रुपये प्रति किलो चावल देती है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत पिछले साल की तरह इस बार भी नवंबर तक गरीबों को मुफ्त राशन दिया जा रहा है।

दिल्ली में हर घर राशन योजना को लेकर राजनीति तेज हो गई है। अरविंद केजरीवाल लगातार भाजपा पर उनकी इस महत्वकांक्षी योजना को रोकने का आरोप लगा रहे हैं। इन्हीं बातों को लेकर आज भाजपा की ओर से पलटवार किया गया है। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने केजरीवाल पर जमकर निशाना साधा और कहा कि दिल्ली सरकार पूरी तरह से राशन माफिया के नियंत्रण में है। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि अरविंद केजरीवाल हर घर अन्न की बात कर रहे हैं। ऑक्सीजन पहुंचा नहीं सके, मोहल्ला क्लीनिक से दवा तो पहुंचा नहीं सके। हर घर अन्न भी एक जुमला है। दिल्ली सरकार राशन माफिया के नियंत्रण में है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार देश भर में 2 रुपये प्रति किलो गेहूं, 3 रुपये प्रति किलो चावल देती है। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत पिछले साल की तरह इस बार भी नवंबर तक गरीबों को मुफ्त राशन दिया जा रहा है।

कानून मंत्री ने कहा कि चावल का खर्चा 37 रुपये प्रति किलो होता है और गेहूं का 27 रुपये प्रति किलो होता है। भारत सरकार सब्सिडी देकर प्रदेशों को राशन की दुकानों के माध्यम से बांटने के लिए अनाज देती है। भारत सरकार सालाना करीब 2 लाख करोड़ रुपये इसमें खर्च करती है। रविशंकर प्रसाद ने अरविंद केजरीवाल पर एक देश एक राशन कार्ड लागू नहीं करने का भी आरोप लगाया और पूछा कि आप क्यों लोगों को इससे वंचित रख रहे हैं। उन्होंने कहा कि वन नेशन, वन राशन कार्ड भारत सरकार द्वारा बहुत महत्वपूर्ण योजना शुरू की गई है। देश के 34 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में वन नेशन, वन राशन कार्ड योजना चल रही है। अभी तक इस पर 28 करोड़ पोर्टेबल ट्रांजेक्शन हुए हैं।

रविशंकर प्रसाद ने दिल्ली के सीएस अरविंद केजरीवाल से पूछा कि दिल्ली में वन नेशन-वन राशन कार्ड लागू क्यों नहीं हुआ? क्या परेशानी और क्या दिक्कत है आपको वन नेशन-वन राशन कार्ड योजना से? दिल्ली की राशन की दुकानों में अप्रैल 2018 से अब तक पीओएस मशीन का authentication शुरु क्यों नहीं हुआ? अरविंद केजरीवाल एससी-एसटी वर्ग की चिंता नहीं करते हैं, प्रवासी मजदूरों की चिंता भी नहीं करते हैं, गरीबों की पात्रता की भी चिंता नहीं करते हैं। 

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