सतत विकास की प्रक्रिया को बाधित करेगा EIA-2020 का मसौदा: भूपेश बघेल

भूपेश बघेल

मैं पर्यावरण मंजूरी देने की नयी प्रक्रिया को कारोबार की सुगमता से जोड़ने के आपके उद्देश्य को समझता हूं, लेकिन ईआईए-2020 के मसौदे के प्रावधान पर्यावरणीय न्यायशास्त्र के अनुरूप नहीं हैं और ये सतत विकास एवं ईआईए प्रक्रिया के अपने उद्देश्यों को पूरी नहीं करता है।

नयी दिल्ली। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शुक्रवार को केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को पत्र लिखकर पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) अधिसूचना के मसौदे को लेकर आपत्ति जताई और कहा कि यह मसौदा सतत विकास की प्रक्रिया को बाधित करेगा। बघेल ने पत्र में कहा, ‘‘मैं पर्यावरण मंजूरी देने की नयी प्रक्रिया को कारोबार की सुगमता से जोड़ने के आपके उद्देश्य को समझता हूं, लेकिन ईआईए-2020 के मसौदे के प्रावधान पर्यावरणीय न्यायशास्त्र के अनुरूप नहीं हैं और ये सतत विकास एवं ईआईए प्रक्रिया के अपने उद्देश्यों को पूरी नहीं करता है।’’ आधिकारिक बयान के अनुसार, उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि इस मसौदे में पर्यावरण मंजूरी देने के संबंध में प्रदेश सरकार के विचारों और राय को शामिल नहीं किया गया है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री ने कहा, ‘ ईआईए-2020 के मसौदे में कोई ऐसा प्रावधान नहीं है, जो अनुसूची पांच और छह के तहत संवैधानिक अधिकारों की गारंटी देता हो। इसमें पर्यावरण संरक्षण और सतत विकास के उद्देश्यों की पूर्ति के लिए आवश्यक संवेदनशीलता को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया है।’’ 

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उन्होंने उम्मीद जताई कि ईआईए अधिसूचना- 2020 के प्रारूप को अंतिम रूप देने से पहले उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर ध्यान दिया जाएगा। गौरतलब है कि पर्यावरण मंत्रालय ने इस साल मार्च में ईआईए के मसौदे को लेकर अधिसूचना जारी की थी और इस पर जनता से सुझाव मांगे गए थे। इसके तहत अलग-अलग परियोजनाओं के लिए पर्यावरण मंजूरी देने के मामले आते हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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