काशी विश्वनाथ मंदिर के लिए ड्रेस कोड, श्रद्धालु धोती और साड़ी में ही कर पाएंगे विग्रह स्पर्श

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[email protected] । Jan 13 2020 7:50PM

बैठक में शामिल विद्वानों ने कहा कि बाबा का स्पर्श दर्शन मध्याह्न आरती से पहले 11 बजे तक किया जा सकता है। इससे अधिक से अधिक श्रद्धालु बाबा का स्पर्श दर्शन कर सकेंगे, लेकिन किसी भी विग्रह को स्पर्श करने के लिए एक प्रकार का वस्त्र तय होना आवश्यक है।

वाराणसी। महाकाल मंदिर की तर्ज पर अब बाबा काशी विश्वनाथ केपुरुष दर्शनार्थियों को धोती और महिला दर्शनार्थियों को साड़ी पहनने पर ही विग्रह को स्पर्श करने की अनुमति मिलेगी। साथ ही बाबा विश्वनाथ का स्पर्श दर्शन मंगला आरती से लेकर मध्याह्न आरती से पहले तक ही मिलेगा। मकर संक्रांति के बाद इस व्यवस्था को लागू कर दिया जाएगा।उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं धर्मार्थ कार्य राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉक्टर नीलकंठ तिवारी की अध्यक्षता में श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पूजन दर्शन की व्यवस्था सहित कई अन्य विषयों को लेकर मंदिर प्रशासन और काशी विद्वत परिषद के सदस्यों के साथ बैठक हुई। 

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बैठक में शामिल विद्वानों ने कहा कि बाबा का स्पर्श दर्शन मध्याह्न आरती से पहले 11 बजे तक किया जा सकता है। इससे अधिक से अधिक श्रद्धालु बाबा का स्पर्श दर्शन कर सकेंगे, लेकिन किसी भी विग्रह को स्पर्श करने के लिए एक प्रकार का वस्त्र तय होना आवश्यक है। ऐसे में पुरुष को धोती कुर्ता और महिलाओं के लिए साड़ी पहनने का नियम बनना चाहिए। इसके अलावा पैंट शर्ट, जींस, सूट, टाई कोर्ट वाले पहनावे पर केवल दर्शन की व्यवस्था लागू की जानी चाहिए। विद्वानों ने उज्जैन स्थित महाकाल ज्योतिर्लिंग, दक्षिण भारत स्थित सभी मंदिरों का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए बताया कि महाकाल में भी भस्म आरती के समय स्पर्श करने वाले बिना सिले हुए वस्त्र ही धारण करते हैं। 

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बाकी सभी लोग केवल दर्शन पूजन करते हैं, इसलिए श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में भी यह व्यवस्था लागू होनी चाहिए।  इसके साथ ही विद्वत परिषद ने मंदिर में पूजा पाठ करने वाले सभी अर्चकों का भी एक ड्रेस कोड निर्धारित करने के लिए मंदिर प्रशासन को सुझाव दिए।  उन्होंने कहा कि अर्चक का ड्रेस कोड ऐसा हो कि कहीं भी भीड़ में उसे आसानी से पहचाना जा सके।इस पर मंत्री डॉ. नीलकंठ तिवारी ने भी कहा कि इस व्यवस्था को जल्द ही मंदिर में लागू कराया जाए। 11 बजे तक स्पर्श दर्शन को आने वाले श्रद्धालुओं को ड्रेस कोड के अनुसार ही स्पर्श कराया जाए।  इस व्यवस्था को मकर संक्रांति के बाद लागू कर दिया जाएगा।

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