मध्य प्रदेश के मंत्री नरोत्तम मिश्रा के चुनाव लड़ने पर रोक, निर्वाचन भी खारिज
चुनाव आयोग ने मध्य प्रदेश के मंत्री नरोत्तम मिश्रा को चुनाव खर्च के गलत खातों को दाखिल करने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया। आयोग ने कहा कि मिश्रा आज से तीन साल के लिए अयोग्य रहे हैं।
भोपाल। चुनाव आयोग (ईसी) ने आज मध्य प्रदेश के वरिष्ठ मंत्री नरोत्तम मिश्रा को चुनाव खर्च की गलत जानकारी देने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया। आयोग के प्रवक्ता ने पुष्टि की कि मिश्रा आज से तीन साल के लिए अयोग्य हो रहे हैं। दतिया विधानसभा क्षेत्र से उनका चुनाव भी रद्द कर दिया गया है।
कांग्रेस के राजेंद्र भारती ने आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के एक करीबी सहयोगी मिश्रा ने 2008 के चुनावों में अपने चुनाव खर्च में कुछ विवरण नहीं दाखिल किया था। चुनाव आयोग ने 15 जनवरी 2013 को मिश्रा को नोटिस जारी किया था। मिश्रा चुनाव आयोग के नोटिस के खिलाफ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय गये थे, लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली थी।
उधर, चुनाव आयोग के फैसले के बाद विपक्षी दल कांग्रेस ने तत्काल उनके इस्तीफे की मांग की है। मध्य प्रदेश विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह ने आज कहा, चुनाव आयोग के फैसले को देखते हुए उन्हें (मिश्रा) तुरंत मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना चाहिये। उन्होंने कहा कि इससे यह स्पष्ट होता है कि भाजपा के मंत्री किस तरह से चुनाव जीतते हैं। मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने ट्वीट किया, 'चुनाव आयोग ने मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा को तीन साल के लिये चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित कर दिया है। इसलिये उन्हें मंत्रिमंडल से तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिये।'
कांग्रेस के विधि, मानव अधिकार और सूचना का अधिकार प्रकोष्ठ के चेयरमेन एवं वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने ट्वीट किया, 'मध्य प्रदेश के मंत्री नरोत्तम मिश्रा चुनाव आयोग द्वारा तीन साल के लिये चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित किये गये हैं। मध्य प्रदेश में भाजपा को यह बड़ा झटका है।'
आम आदमी पार्टी की प्रदेश इकाई ने भी मंत्री के इस्तीफे की मांग की है। भाजपा प्रवक्ता दीपक विजयवर्गीय ने कहा कि पार्टी चुनाव आयोग के निर्णय का अध्ययन कर रही है। इसके बाद ही इस पर कुछ कहा जा सकता है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बेहद नजदीकी और मंत्रीमंडल में नंबर दो की स्थिति में माने जाने वाले मिश्रा के पास जनसम्पर्क, जल संसाधन और संसदीय कार्यमंत्री का प्रभार है। उनके एक करीबी अधिकारी ने बताया कि चुनाव आयोग के फैसले के बाद मंत्री उपलब्ध कानूनी विकल्पों पर विचार कर रहे हैं।
एमए पीएचडी शिक्षित मिश्रा वर्ष 1990 में पहली दफा विधायक बने थे। इसके बाद वह वर्ष 1998 और 2003 के विधानसभा चुनाव में पुन: विधायक बने। मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर के कार्यकाल में वर्ष 2005 में वह पहली दफा मंत्री बने। शिवराज सिंह चौहान के मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। चुनाव आयोग के निर्णय के साथ ही दतिया विधानसभा से उनका चुनाव भी खारिज हो गया है। आयोग ने 15 जनवरी 2013 को मिश्रा को नोटिस भेजा था। इसके बाद मिश्रा नोटिस के खिलाफ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय और शीर्ष न्यायालय भी गये थे, लेकिन उन्हें कहीं से राहत नहीं मिली।
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