ईआईए अधिसूचना का प्रारूप सार्वजनिक सुनवाई की प्रक्रिया को शिथिल नहीं करता: जावड़ेकर

Javadekar

आज हमारे पास सार्वजनिक सुनवाई करने के लिए 30 दिन का प्रदत्त समय है, लेकिन वास्तविक सार्वजनिक सुनवाई जिले के अधिकारियों की मौजूदगी में एक दिन होती है। इस तरह हम सार्वजनिक सुनवाई की प्रक्रिया को कम नहीं कर रहे हैं, बल्कि इसे और अधिक सार्थक बना रहे हैं।

नयी दिल्ली। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बृहस्पतिवार को वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश से कहा कि पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) अधिसूचना का प्रारूप सार्वजनिक सुनवाई की प्रक्रिया को शिथिल नहीं करता, बल्कि इसका उद्देश्य इसे और अधिक सार्थक बनाने का है। जावड़ेकर ने रमेश द्वारा विभिन्न अवसरों पर ईआईए प्रारूप पर उठाई गई आपत्तियों के जवाब में पूर्व पर्यावरण मंत्री को पत्र लिखा। रमेश वर्तमान में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मामलों की संसद की स्थायी समिति के अध्यक्ष हैं। जावड़ेकर ने यह भी कहा कि रमेश का अपनी आपत्तियों और पत्र को सार्वजनिक करना ‘‘समय पूर्व’’ उठाया गया कदम है क्योंकि ईआईए प्रारूप पर सार्वजनिक विमर्श की प्रक्रिया जारी है। मंत्रालय ने इस साल मार्च में ईआईए अधिसूचना का प्रारूप जारी किया था और जनता से सुझाव मांगे थे। यह प्रारूप विभिन्न परियोजनाओं के लिए पर्यावरण मंजूरी देने से संबंधित है। इसने पूर्व में कहा था कि लोगों की ओर से सुझाव प्राप्त होने की 30 जून तक की समय सीमा को विस्तारित नहीं किया जाएगा, लेकिन बाद में समय सीमा बढ़ाकर 12 अगस्त तक कर दी गई थी। रमेश ने 25 जुलाई को पर्यावरण मंत्री को अपने पत्र में लिखा था कि ईआईए प्रारूप किसी परियोजना का काम पूरा होने के बाद भी स्वीकृति की अनुमति देता है जो पर्यावरण मंजूरी से पहले होने वाले मूल्यांकन और सार्वजनिक भागीदारी के सिद्धांतों के प्रतिकूल है। जावड़ेकर ने कहा, ‘‘काम पूरा होने के बाद मंजूरी के प्रावधान का मुख्य उद्देश्य भारी जुर्माना लगाकर सभी उल्लंघन करने वालों को नियामक व्यवस्था के अधीन लाने का है। आप भी सहमत होंगे कि हमें कंपनियों को लगातार बिना नियमन की स्थिति में नहीं रहने देना चाहिए।’’ 

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केंद्रीय मंत्री ने लिखा, ‘‘प्रत्येक परियोजना विस्तार के लिए पर्यावरण प्रबंधन योजना अभिवेदन की आवश्यकता होगी। प्रारूप सार्वजनिक भागीदारी की प्रक्रिया को कम करने के लिए नहीं, बल्कि इसे और अधिक सार्थक बनाने के लिए है।’’ रमेश की इस आपत्ति पर कि ईआईए के प्रारूप ने सार्वजनिक सुनवाई की अवधि कम कर दी है, जावड़ेकर ने कहा कि सरकार प्रक्रिया को और अधिक सार्थक बना रही है। जावड़ेकर ने अपने पत्र में लिखा, ‘‘आज हमारे पास सार्वजनिक सुनवाई करने के लिए 30 दिन का प्रदत्त समय है, लेकिन वास्तविक सार्वजनिक सुनवाई जिले के अधिकारियों की मौजूदगी में एक दिन होती है। इस तरह हम सार्वजनिक सुनवाई की प्रक्रिया को कम नहीं कर रहे हैं, बल्कि इसे और अधिक सार्थक बना रहे हैं। बी 2 श्रेणी की परियोजनाओं को 2006 से ही सार्वजनिक सुनवाई से छूट प्राप्त है। हमने उसे नहीं बदला है। इस श्रेणी में हमारे पास अनेक सुझाव हैं जिनका हमने संज्ञान लिया है।’’ ‘बी 1’ श्रेणी की परियोजनाओं को पर्यावरण प्रभाव आकलन रिपोर्ट की आवश्यकता होती है। 

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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