ईआईए अधिसूचना का प्रारूप सार्वजनिक सुनवाई की प्रक्रिया को शिथिल नहीं करता: जावड़ेकर
आज हमारे पास सार्वजनिक सुनवाई करने के लिए 30 दिन का प्रदत्त समय है, लेकिन वास्तविक सार्वजनिक सुनवाई जिले के अधिकारियों की मौजूदगी में एक दिन होती है। इस तरह हम सार्वजनिक सुनवाई की प्रक्रिया को कम नहीं कर रहे हैं, बल्कि इसे और अधिक सार्थक बना रहे हैं।
मंत्रालय ने इस साल मार्च में ईआईए अधिसूचना का प्रारूप जारी किया था और जनता से सुझाव मांगे थे। यह प्रारूप विभिन्न परियोजनाओं के लिए पर्यावरण मंजूरी देने से संबंधित है। इसने पूर्व में कहा था कि लोगों की ओर से सुझाव प्राप्त होने की 30 जून तक की समय सीमा को विस्तारित नहीं किया जाएगा, लेकिन बाद में समय सीमा बढ़ाकर 12 अगस्त तक कर दी गई थी। रमेश ने 25 जुलाई को पर्यावरण मंत्री को अपने पत्र में लिखा था कि ईआईए प्रारूप किसी परियोजना का काम पूरा होने के बाद भी स्वीकृति की अनुमति देता है जो पर्यावरण मंजूरी से पहले होने वाले मूल्यांकन और सार्वजनिक भागीदारी के सिद्धांतों के प्रतिकूल है। जावड़ेकर ने कहा, ‘‘काम पूरा होने के बाद मंजूरी के प्रावधान का मुख्य उद्देश्य भारी जुर्माना लगाकर सभी उल्लंघन करने वालों को नियामक व्यवस्था के अधीन लाने का है। आप भी सहमत होंगे कि हमें कंपनियों को लगातार बिना नियमन की स्थिति में नहीं रहने देना चाहिए।’’Today morning only I had sent you a detailed response to your July 25, 2020 letter, which was delivered at your residence office, still you chose to write this letter and make it public through twitter. I am sharing today's letter here once again.#DraftEIA2020 https://t.co/T95z9Uj83h pic.twitter.com/fSP9eSqyFH
— Prakash Javadekar (@PrakashJavdekar) August 6, 2020
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केंद्रीय मंत्री ने लिखा, ‘‘प्रत्येक परियोजना विस्तार के लिए पर्यावरण प्रबंधन योजना अभिवेदन की आवश्यकता होगी। प्रारूप सार्वजनिक भागीदारी की प्रक्रिया को कम करने के लिए नहीं, बल्कि इसे और अधिक सार्थक बनाने के लिए है।’’ रमेश की इस आपत्ति पर कि ईआईए के प्रारूप ने सार्वजनिक सुनवाई की अवधि कम कर दी है, जावड़ेकर ने कहा कि सरकार प्रक्रिया को और अधिक सार्थक बना रही है। जावड़ेकर ने अपने पत्र में लिखा, ‘‘आज हमारे पास सार्वजनिक सुनवाई करने के लिए 30 दिन का प्रदत्त समय है, लेकिन वास्तविक सार्वजनिक सुनवाई जिले के अधिकारियों की मौजूदगी में एक दिन होती है। इस तरह हम सार्वजनिक सुनवाई की प्रक्रिया को कम नहीं कर रहे हैं, बल्कि इसे और अधिक सार्थक बना रहे हैं। बी 2 श्रेणी की परियोजनाओं को 2006 से ही सार्वजनिक सुनवाई से छूट प्राप्त है। हमने उसे नहीं बदला है। इस श्रेणी में हमारे पास अनेक सुझाव हैं जिनका हमने संज्ञान लिया है।’’ ‘बी 1’ श्रेणी की परियोजनाओं को पर्यावरण प्रभाव आकलन रिपोर्ट की आवश्यकता होती है।
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