शिमला में आठ मंजिला भवन ताश के पत्तों की तरह पल भर में ढह गया

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भवन के मलबे से पहाड़ी के निचली तरफ बना दो मंजिला भवन और एक मकान भी मलबे में तबदील हो गया। इस भवन के गिरने से इसकी पिछली तरफ बने एक होटल समेत दो और बहुमंजिला भवनों को खतरा पैदा हो गया है। इनकी नींव भी हिल गई है। यह कभी भी गिर सकते हैं। यही नहीं पहाड़ी पर निचली ओर स्थित कई भवनों और मकानों में भी दरारें आ गई हैं। प्रशासन ने इन्हें खाली करवा दिया है।

शिमला। हिमाचल प्रदेश की राजधानी राजधानी शिमला में आज एक बड़ा हादसा पेश आया। शिमला से सटे घोड़ा चौकी में आठ मंजिला भवन ताश के पत्तों की तरह पल भर में ढह गया। गनीमत यह रही कि हादसे के वक्त भवन के भीतर कोई नहीं था। यह निजी बिल्ंडिग थी, जिसमें पांच परिवार रहते थे।

 

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प्रशासन ने मौसम का रुख देखते हुए एहतियात के तौर पर लोगों को पहले ही निकाल लिया था। बताया जा रहा है कि इमारत की निचली मंजिल में काफी ज्यादा दरारें आ गई थीं। जिस कारण इसके गिरने की संभावना लगभग तय हो गई थी। भवन के मलबे से पहाड़ी के निचली तरफ बना दो मंजिला भवन और एक मकान भी मलबे में तबदील हो गया। इस भवन के गिरने से इसकी पिछली तरफ बने एक होटल समेत दो और बहुमंजिला भवनों को खतरा पैदा हो गया है। इनकी नींव भी हिल गई है। यह कभी भी गिर सकते हैं। यही नहीं पहाड़ी पर निचली ओर स्थित कई भवनों और मकानों में भी दरारें आ गई हैं। प्रशासन ने इन्हें खाली करवा दिया है। 

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कुछ दिन पहले ही यह रिटेनिंग वॉल लगाई गई। लेकिन बुधवार को इसमें भी दरारें पड़ गईं। इसकी नींव के पास बना एक मकान भूस्खलन से ढह गया। यहां बने निगम के शौचालय भी मलबे में तबदील हो गए। स्थानीय पार्षद संजय परमार से सूचना मिलते ही गुरुवार दोपहर  नगर निगम उप महापौर और निगम अधिकारी मौके पर पहुंचे और आसपास के भवनों को खाली करवाया।

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 मौके पर पहुंचे नगर निगम उपमहापौर शैलेंद्र चौहान ने बताया कि यह सात मंजिला मकान गुरमीत सिंह का है जो रामबाजार में कारोबारी हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार करीब दो हफ्ते पहले ही भवन की नींव से मलबा खिसकने लगा था। आसपास के कई और मकानों में भी दरारें देखी गई थीं। भवन को बचाने के लिए कारोबारी ने नींव के समीप रिटेनिंग वॉल लगाने का फैसला लिया। 

 

 

सात मंजिला भवन पहले टेढ़ा होकर साथ लगते एक और भवन पर टिक गया। फिर शाम पांच बजकर 40 मिनट पर यह दूसरे भवन की रेलिंग और छज्जे तोड़ते हुए ढह गया। बता दें, कच्चीघाटी का यह इलाका सिंकिंग जोन है। एनएच से सटे इस क्षेत्र में कई बहुमंजिला भवन बने हैं। 

इनमें से ज्यादातर के नक्शे पास नहीं हैं, जहां सात मंजिला भवन ढहा है उसके नीचे की ओर नाले के पास बने भवनों में भी कुछ दिन से दरारें आना शुरू हो गई हैं। इनमें से कई मकानों की नींव और बेसमेंट भी ढह चुकी है। यदि बारिश जारी रहती है तो इस पहाड़ी पर बने आधा दर्जन भवन जमींदोज हो सकते हैं। एकसाथ कई भवनों में दरारें पड़ने के बाद किरायेदारों और भवन मालिकों ने भी यहां से पलायन शुरू कर दिया है।

नगर निगम के आर्किटेक्ट प्लानर देवेंद्र मिस्टा ने बताया कि भवन का नक्शा पास है या नहीं इस पर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं है। भवनमालिक से इसका रिकॉर्ड मांगा जा रहा है। भवनमालिक कह रहे हैं कि उन्होंने साडा से इसे पास करवाया है। ऐसे में दस्तावेज देखने के बाद ही कुछ बता पाएंगे। फिलहाल साथ लगते असुरक्षित भवनों को खाली करवा दिया गया है।सूचना मिलते ही शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज भी मौके पर पहुंचे और नुकसान का जायजा लिया।

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