संघ की समन्वय बैठक में ‘विचारधारा और पहुंच’ का दायरा मजबूत बनाने पर जोर
बैठक में सभी संगठनों को युवा, कमजोर वर्गो एवं महिलाओं के सशक्तिकरण और उन तक पहुंच बनाने के संबंध में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई। साल 2025 में शताब्दी वर्ष को देखते हुए संघ पूरे देश में अपना विस्तार करना चाहता है।
नयी दिल्ली। देश में दलित, रोजगार और महिला सुरक्षा के विषय पर उठ रहे सवालों के बीच हुई राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय समन्वय बैठक में भाजपा समेत इसके सभी अनुषंगी संगठनों एवं वरिष्ठ प्रचारकों ने ‘विचारधारा और पहु्ंच’ का दायरा बढ़ाने पर जोर दिया। पुणे में हुई संघ की इस बैठक को महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि इस स्तर की समन्वय बैठक करीब 10 वर्षो के अंतराल पर आयोजित की गई है।
बैठक में सभी संगठनों को युवा, कमजोर वर्गो एवं महिलाओं के सशक्तिकरण और उन तक पहुंच बनाने के संबंध में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई। साल 2025 में शताब्दी वर्ष को देखते हुए संघ पूरे देश में अपना विस्तार करना चाहता है। संघ 2019 के लोकसभा चुनाव को महत्वपूर्ण मानता है क्योंकि इस चुनाव में भाजपा की जीत से उसे पूरे देश में विस्तार में मदद मिलेगी। आरएसएस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने बताया कि संघ की अखिल भारतीय समन्वय बैठक 17 अप्रैल से पुणे में आयोजित की गई। इसमें 18 से 20 अप्रैल को मुख्य बैठक हुई जिसमें खास तौर पर समसामयिक मुद्दों पर चर्चा हुई। इन विषयों में मजदूरों, किसानों, महिलाओं और युवाओं से जुड़़े विषय प्रमुख थे।
इस बैठक में सरसंघचालक मोहन भागवत, सरकार्यवाह, क्षेत्रीय प्रचारकों और प्रांतीय प्रचारकों के अलावा भाजपा के संगठन मंत्री रामलाल, भारतीय मजदूर संघ, किसान संघ, वनवासी आश्रम समेत सभी सहयोगी संगठनों ने हिस्सा लिया। आरएसएस हमेशा कहता रहा है कि वह चुनावी राजनीति में हिस्सा नहीं लेता है। सूत्रों ने बताया कि बैठक में हालांकि संघ ने चुनाव की तैयारी को लेकर भाजपा के साथ समसामयिक विषयों पर चर्चा की। समझा जाता है कि बैठक के दौरान अर्थव्यवस्था और रोजगार के अलावा दलितों से जुड़े विषयों पर चर्चा की गई जो आगामी चुनाव में भाजपा के समक्ष चुनौती पेश कर सकते हैं।
बैठक के दौरान क्षेत्रीय एचं प्रांतीय प्रमुखों एवं वरिष्ठ प्रचारकों ने अपने लक्ष्यों एवं कार्यो की प्रगति के बारे में रिपोर्ट पेश की। इस विषय पर भी विचार किया गया कि कितने कार्य पूरे हुए और कितने शेष रह गए तथा जमीनी स्तर पर स्थिति क्या है। प्रचारकों की रिपोर्ट के आधार पर राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में आसन्न चुनाव से जुड़े मुद्दे भी सामने आए। संगठन के विस्तार के संबंध में संघ के एक अन्य पदाधिकारी ने बताया, ‘‘ पिछले तीन साल में हमने संगठन के विस्तार का एक कार्यक्रम चलाया है। हमारी दैनिक शाखाओं, साप्ताहिक बैठकों और मासिक मंडलियों में इस अवधि में 18 फीसदी वृद्धि हुई । तीन साल पहले हमारी 43,000 स्थानों पर इकाइयां थीं और यह संख्या अब बढ़कर 55,000 हो गई हैं। ’’
पदाधिकारी ने दावा किया, ‘‘पिछले 10 सालों से संघ का कार्य लगातार बढ़ा है। पिछले साल प्राथमिक शिक्षा वर्गो में एक लाख युवाओं ने पूरे देश में हिस्सा लिया।’’ अप्रैल माह से संघ का नया शिक्षा वर्ग प्रारंभ हुआ है और इसमें अधिक संख्या में तरूणों समेत युवाओं को जोड़ने पर बल दिया गया है। देश में 18 साल की उम्र पूरी करके मतदान का अधिकार पाने वाले युवाओं की संख्या 1.8 करोड़ है और ये पहली बार मतदान करेंगे । इस बार के लोकसभा चुनाव में इन युवा मतदाताओं की अहम भूमिका होगी। संघ से जुड़े अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने पहली बार वोटर बनने वाले इन युवाओं से जुड़ने के लिए बिहार, उत्तरप्रदेश, मध्य प्रदेश समेत दक्षिण भारत के राज्यों में व्यापक स्तर पर अभियान शुरू किया है।
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