बिहार में चमकी बुखार का कहर जारी, अबतक 28 बच्चों की मौत

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अंकित सिंह । Jun 11 2019 4:47PM

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बच्चों की मौत पर दुख जताते हुए कहा कि सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। साथ ही साथ इसके लिए राज्य में जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है

देश के विभिन्न हिस्सों में प्रचंड गर्मी का भीषण कहर जारी है और ऐसे में सबसे ज्यादा दिक्कत बच्चों को होती है। खबर बिहार की है जहां भीषण गर्मी के बीच बच्चे 'चमकी बुखार' की चपेट में आ रहे हैं। 'चमकी बुखार' (Acute Encephalitis Syndrome) की वजह से पिछले एक सप्ताह में लगभग 28 बच्चों की मौत हो गई है। इसके अलावा 110 से ज्यादा बच्चे अभी अस्पताल में भर्ती हैं। इस बुखार का सबसे ज्यादा प्रकोप सीतामढ़ी, शिवहर, मोतिहारी, वैशाली और मुजफ्फरपुर में देखा गया है। चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों की उम्र लगभग 5-15 साल के बीच है। बिहार सरकार भी इस मामले पर नजर बनाए हुए है और सभी डॉक्टरों को अलर्ट पर रखा गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बच्चों की मौत पर दुख जताते हुए कहा कि सभी जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। साथ ही साथ इसके लिए राज्य में जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है। उधर बीमारी की गंभीरता को समझते हुए बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने भी केंद्रिय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन से भी मुलाकात की।  

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क्या है 'चमकी बुखार' 

'चमकी बुखार' को (Acute Encephalitis Syndrome) के नाम से जाना जाता है जिसकी वजह से मस्तिष्क में सूजन हो जाती है और यह वायरल इंफेक्शन के कारण होता है। इसके होते ही तेज बुखार और शरीर में ऐंठन होने लगती है और बच्चे बेहोश हो जाते हैं। इसके अलावा शरीर में कमजोरी भी होने लगती हैं। इस बीमारी के कुछ और लक्षण यह हैं कि बिना किसी बात के भ्रम उत्पन्न होगा, दिमाग संतुलित नहीं रहेगा और बोलने तथा सुनने में समस्या होगी। 

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इतनी तेजी से क्यों फैल रहा है यह बुखार

इस बुखार के फैलने का सबसे बड़ा कारण सर्द-गर्म होना है। इसके अलावा अगर बच्चे ज्यादा देर तक खाली पेट रहते हैं तो वह इस बुखार की चपेट में आ सकते हैं। प्रचंड गर्मी में बच्चे अचानक पानी पीते है तो भी वह इसकी चपेट में आ सकते हैं। फिलहाल बिहार में लीची का मौसम है और आप खाली पेट लीची खाते हैं तो वह आपके लिए खतरनाक हो सकता है। 

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कैसे बचें

बच्चे को ज्यादा से ज्यादा पानी पिलायें। इसके अलावा समय पर उसे खाना खिलायें ताकि वह ज्यादा देर तक खाली पेट ना रह पाए। धूप से आते ही बच्चे को ठंडा पानी पिने को ना दे। हो सके तो समय-समय पर उसे नींबू पानी, गन्ने का रस या फिर बेल का शरबत पिलाते रहें। 

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मुजफ्फरपुर के SKMCH हॉस्पिटल के आंकड़ों के अनुसार इस बीमारी से सबसे ज्यादा 2012 में 120 बच्चों की मौत हुई थी। इसके बाद भी 'चमकी बुखार' का प्रकेप बिहार में जारी रहा और 2013 में 39 और 2014 में 90 मौत हुई। उसके बाद इसमें गिरावट आई पर इस साल एक बार फिर से मौत के आंकड़ों में बढ़ोत्तरी हुई है।   

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