सवर्णों के आरक्षण पर बोले जेटली, संविधान के मूल ढांचे की नहीं की अवहेलना

every-political-party-supported-quota-for-the-poor-in-general-category-says-arun-jaitley
[email protected] । Jan 11 2019 7:36PM

वित्त मंत्री अरुण जेटली ने फेसबुक पर लिखा कि भारत में जाति को सामाजिक या ऐतिहासिक दमन का मुख्य कारक माना जाता है जैसा कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के मामले में होता है।

नयी दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने शुक्रवार को कहा कि सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आर्थिक रूप से पिछड़े तबके के लोगों को दस फीसदी आरक्षण देना संविधान के मूल ढांचे के विपरीत नहीं है। उन्होंने इस पहल को सामान्य वर्ग के गरीबों को सबसे बड़ी मान्यता देने वाला कदम बताया है। उन्होंने मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस पर आरोप लगाया कि वह केवल खोखली बात कर रही है और उसने इस हफ्ते संसद में पारित संविधान संशोधन विधेयक का बेमन से समर्थन किया।

इसे भी पढ़ें: राज्यों से सलाह किए बिना GST परिषद तय करती है बैठक का एजेंडा

उन्होंने फेसबुक पर लिखा कि भारत में जाति को सामाजिक या ऐतिहासिक दमन का मुख्य कारक माना जाता है जैसा कि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के मामले में होता है अथवा उसे सामाजिक एवं शैक्षणिक पिछड़ेपन में कारक माना जाता है जैसा कि अन्य पिछड़ा वर्ग मामले में होता है। उन्होंने कहा कि गरीबी एक धर्मनिरपेक्ष मापदंड है और यह किसी भी समुदाय या धर्म के व्यक्ति हो सकता है। गरीबी के आधार पर आरक्षण दिया जाना किसी भी तरह से संविधान के मूल ढांचे के विपरीत नहीं है।

इसे भी पढ़ें: विद्युत वाहनों के आने से विनिर्माण को मिलेगा प्रोत्साहन, जेटली बोले- रोजगार पैदा होंगे

उन्होंने कहा कि गरीबी आधारित आरक्षण देने का प्रधानमंत्री का निर्णय सामान्य वर्ग के गरीबों को ‘‘सबसे बड़ी मान्यता या उनके प्रति सरोकार को दर्शाता’ है और गरीबी उन्मूलन की आवश्यकता पर जोर देना है। मंत्री ने कहा कि मुख्य विपक्षी दल ने केवल जुबानी सहानुभूति दिखाई और उसने अनिच्छा से इसका समर्थन किया। साथ ही इसमें कई खामियां निकाली। उन्होंने सरकार के अन्य कदम, जैसे हर गरीब ग्रामीण को घर देना, स्वास्थ्य योजना - आयुष्मान भारत और ब्याज में सब्सिडी देने जैसे उपायों की भी चर्चा की।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़