फर्जी जाति प्रमाणपत्र: केजरीवाल और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी की मांग करने वाली अर्जी खारिज

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अर्जी में यह आरोप लगाया गया था कि पार्टी के एक विधायक ने फर्जी जाति प्रमाणपत्र पेश करके पिछला विधानसभा चुनाव लड़ा था। अदालत ने शिकायतकर्ता दाल चंद कपिल पर 1000 रुपये का जुर्माना भी लगाया और कहा कि वह पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने के लिए निर्देश नहीं दे सकती, क्योंकि संज्ञेय अपराध का कोई खुलासा नहीं हुआ है।

नयी दिल्ली। एक अदालत ने उस अर्जी को खारिज कर दिया जिसमें पुलिस को यह निर्देश देने की मांग की गई है कि वह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी (आप) के दो अन्य नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करे। अर्जी में यह आरोप लगाया गया था कि पार्टी के एक विधायक ने फर्जी जाति प्रमाणपत्र पेश करके पिछला विधानसभा चुनाव लड़ा था। अदालत ने शिकायतकर्ता दाल चंद कपिल पर 1000 रुपये का जुर्माना भी लगाया और कहा कि वह पुलिस को प्राथमिकी दर्ज करने के लिए निर्देश नहीं दे सकती, क्योंकि संज्ञेय अपराध का कोई खुलासा नहीं हुआ है। 

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शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि आप विधायक प्रकाश जरवाल ने वर्ष 2020 का विधानसभा चुनाव सुरक्षित विधानसभा सीट देवली से लड़ा था और इसके लिए उन्होंने अनुसूचित जाति का फर्जी प्रमाणपत्र दिखाया था। शिकायतकर्ता के मुताबिक,जरवाल बैरवा जाति के हैं, जो राजस्थान में अनुसूचित जाति के तहत आती है, लेकिन दिल्ली में यह अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के तहत आती है। इस पर अदालत ने सामाजिक न्याय मंत्रालय के फरवरी, 2018 के निर्देश का हवाला दिया जिसके मुताबिक अनुसूचित जाति वर्ग के व्यक्ति का दर्जा दूसरे राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में प्रवासके बाद नहीं बदलता।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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