पेड न्यूज से ज्यादा खतरनाक है फेक न्यूज: जावड़ेकर

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[email protected] । Oct 3 2019 7:42PM

केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार ऐसा कोई कदम नहीं उठाएगी जिससे मीडिया की आजादी कम हो।

नयी दिल्ली। फर्जी खबरों (फेक न्यूज) को पेड न्यूज के मुकाबले ज्यादा खतरनाक बताते हुए केन्द्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने गुरुवार को कहा कि सरकार और मीडिया को इससे साथ मिलकर लड़ने की जरूरत है। पीटीआई मुख्यालय में एजेंसी के पत्रकारों के साथ बातचीत के दौरान केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार ऐसा कोई कदम नहीं उठाएगी जिससे मीडिया की आजादी कम हो। साथ ही उन्होंने कहा कि प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और फिल्मों की भांति वेब स्ट्रीमिंग साइटों (ओटीटी) के लिए भी नियमन का होना आवश्यक है।

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ओटीटी मंचों में समाचार पोर्टल, ‘वेबस्ट्रिमिंग साइट’ जैसे हॉटस्टार, नेटफ्लिक्स और आमेजन प्राइम वीडियो जैसे मंच आते हैं जो इंटरनेट के माध्यम से सीधे प्रसारित होते हैं। जावड़ेकर ने कहा कि मुख्य धारा मीडिया के कई संस्थानों ने सरकार से कहा है कि ओटीटी के साथ समान स्तर का मुकाबला नहीं है क्योंकि उनका कोई नियमन नहीं होता। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने सलाह मांगी है कि इससे कैसे निपटा जाएं क्योंकि ओटीटी पर लगातार सिनेमा आ रहा है जिसमें... अच्छा, बुरा और बहुत बुरा भी है। ऐसे में इससे कैसे निपटें, निगरानी कौन करे, किसे नियमन करना चाहिए? ओटीटी मंचों के लिए कोई प्रमाणन संस्था नहीं है। समाचार पोर्टल के लिए भी यही स्थिति है।’’

साथ ही केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि सरकार ने इस संबंध में कोई फैसला नहीं लिया है। उन्होंने कहा कि प्रिंट मीडिया की जवाबदेही भारतीय प्रेस परिषद, समाचार चैनलों की जवाबदेही न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए), विज्ञापनों के लिए भारतीय विज्ञापन मानदंड परिषद और फिल्मों के लिए सेंसर बोर्ड है। सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा, ‘‘लेकिन, ओटीटी मंचों के लिए कुछ भी नहीं है।’’ भारत में समाचार पोर्टल तेजी से बढ़े हैं और उनमें से कई के सब्सक्राइबरों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। जावड़ेकर ने फर्जी खबरों को लेकर भी चिंता जतायी। उन्होंने कहा, ‘‘यह पेड न्यूज से ज्यादा खतरनाक हैं।’’ मंत्री ने कहा, ‘‘फर्जी खबरों को रोकना होगा और यह हम सबका काम है। यह सिर्फ सरकार का काम नहीं है, यह सभी का काम है। जो सचमुच खबरों की दुनिया में हैं, उन्हें इससे लड़ना होगा।’’

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उन्होंने कहा कि कई समाचार चैनल ‘वायरल सच’ जैसे कार्यक्रमों की मदद से इससे निपटने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रिंट मीडिया को भी फर्जी और सही खबरों के लिए ऐसा ही एक कॉलम (स्तंभ) रखना चाहिए। केन्द्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘हमने देखा है कि पिछले कुछ महीनों में सोशल मीडिया पर बच्चा चोरी की फर्जी खबरों और अफवाहों के कारण भीड की हिंसा में 20-30 से ज्यादा लोगों की मौत हुई है।’’ जावड़ेकर ने कहा कि सरकार दूरदर्शन समाचार पर ‘कश्मीर का सच’ जैसे कार्यक्रम चला कर कश्मीर से जुड़ी फर्जी खबरों की समस्या से निपटने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘अगर सरकार से जुड़ी कोई फर्जी खबर है तो हम तेजी से प्रतिक्रिया/कार्रवाई कर सकते हैं, लेकिन सरकार कानून-व्यवस्था को लेकर भी चिंतित है। हम राज्य सरकारों से भी (फर्जी खबरों से निपटने को) कह रहे हैं।’’

उन्होंने कहा कि विभिन्न जिलाधिकारियों ने अपने यहां फर्जी खबरों से निपटने के लिए जनता के समक्ष सही तथ्य रखे हैं। पेड न्यूज के बारे में मंत्री ने कहा कि यह अनैतिक है और मीडिया को इसे रोकना चाहिए। जावड़ेकर ने कहा, ‘‘मीडिया को हमें (सरकार को) सलाह देनी होगी, ताकि हम साथ मिलकर काम कर सकें और फर्जी खबरों में शामिल मीडिया के छोटे से धड़े को दंडित कर सकें और यह खत्म हो सके।’’ अखबारी कागजों के आयात पर लगे 10 प्रतिशत सीमा शुल्क को वापस लेने की अखबारों की मांग पर जावड़ेकर ने कहा कि सभी पक्षकारों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा हुई है और इसे जल्दी सुलझा लिया जाएगा।

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मीडिया स्वतंत्रता को लेकर कुछ धड़ों की ओर से चिंता जताए जाने के संबंध में सवाल करने पर जावड़ेकर ने कहा कि मीडिया की आजादी पर सिर्फ एक बार हमला हुआ है और वह भी आपातकाल के दौरान 1975-1977 के बीच। तभी सेंसरशिप लागू हुयी थी। केन्द्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘हम गुस्से में थे। पूरा देश इसके लिए लड़ा था। हमारी लड़ाई के कारण भी प्रेस की आजादी अपने मूल रूप में आयी। प्रेस, संगठनात्मक और अभिव्यक्ति की आजादी के लिए हम 16 महीने तक जेल में थे।’’

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