सरकार के साथ किसान नेताओं की बैठक, बादल और अमरिंदर ने दी तीखी प्रतिक्रिया

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जोगिंदर सिंह के नेतृत्व वाली भारती किसान संघ सहित, 29 किसानों के संगठनों, के प्रतिनिधि बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और उनके सहयोगी किसी मंत्री के उपस्थिति न होने से नाराज होगए। किसी भी विरोध प्रदर्शन से बचने के लिए पुलिस सुरक्षा के बीच यह बैठक कृषि भवन में बुलाई गई थी।

नयी दिल्ली। पंजाब के किसान संगठनों ने बुधवार को नए कृषि कानूनों पर आंशकाओं के निराकरण के लिए केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा बुलाई गई एक बैठक का बहिष्कार किया, और सरकार पर दोहरी चाल चलने का आरोप लगाया। उनका कहना था कि बैठक में कोई मंत्री उनकी सुनवाई के लिए उपस्थित नहीं था। जोगिंदर सिंह के नेतृत्व वाली भारती किसान संघ सहित, 29 किसानों के संगठनों, के प्रतिनिधि बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और उनके सहयोगी किसी मंत्री के उपस्थिति न होने से नाराज होगए। किसी भी विरोध प्रदर्शन से बचने के लिए पुलिस सुरक्षा के बीच यह बैठक कृषि भवन में बुलाई गई थी। बैठक के बाद, उत्तेजित किसान प्रतिनिधियों को नारे लगाते तथा कृषि भवन के बाहर नए कृषि कानूनों की प्रतियां फाड़ते हुए देखा गया। किसान प्रतिनिधियों के बैठक से वॉक आउट करने के बाद कुछ ही देर में पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने इस पर प्रतिक्रिया दी। दोनों नेताओं ने मंत्री की गैरमौजूदगी को ‘अन्नदाताओं का अपमान’ करार दिया। मुख्यमंत्री सिंह ने केंद्र सरकार को ‘किसानों के घाव पर नमक छिड़कने’ वाला और उनके प्रति ‘दुर्भावना’ रखने वाला बताया। वहीं बादल ने इसे पंजाब के लोगों, और किसानों की बुद्धिमता का अपमान करार दिया। बैठक में भाग लेने बस में आये 30 से अधिक प्रतिनिधि, जिनमें ज्यादातर वरिष्ठ नागरिक थे, को कोविड-19 महामारी के बावजूद चेहरे पर मास्क नहीं पहने देखा गया। 

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सभी 29 किसान संगठनों की समन्वय समिति के सदस्य दर्शन पाल ने बैठक के बाद पीटीआई-को बताया, ‘‘कोई चर्चा ठीक से नहीं हो पायी। हमारी चिंताओं को सुनने के लिए न तो केंद्रीय कृषि मंत्री और न ही जूनियर मंत्री मौजूद थे। हमने पूछा कि मंत्री हमसे क्यों नहीं मिल रहे हैं, सरकार हमें यहां बुलाती है और मंत्रीगण पंजाब में आभासी बैठकें कर रहे हैं, इस तरह का दोहरा मानदंड क्यों अपनाया जा रहा है। तो इसका कोई समुचित जबाव नहीं मिला।’’ उन्होंने कहा कि चूंकि बैठक की अध्यक्षता कर रहे कृषि सचिव संजय अग्रवाल की कोई प्रतिक्रिया नहीं थी, इसलिए किसान संगठनों ने बैठक का बहिष्कार करने का फैसला किया। दर्शन पाल, क्रांतिकारी किसान यूनियन, पंजाब के भी प्रमुख हैं। उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा के नेता पंजाब में आभासी बैठकें कर रहे हैं और हमारे खिलाफ बात कर रहे हैं। हमें दिल्ली बुलाया जाता है और कोई भी मंत्री हमारी बात नहीं सुनना नहीं चाहते हैं।’’ आजाद किसान संगठन के हरजिंदर सिंह ने कहा, ‘‘कृषि सचिव ने हमें नए कृषि कानूनों पर हम किसान संगठनों की प्रतिक्रिया लेने के लिए आमंत्रित किया था। हमें लगा कि कृषि मंत्री वहां होंगे, लेकिन केवल सचिव ही उपस्थित थे।’’ भारती किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष जोगिंदर सिंह ने सरकार को दिये ज्ञापन में, हाल ही में बने कृषि कानूनों को रद्द किये जाने की मांग की है। हालांकि शाम में कृषि मंत्रालय ने इस पर स्पष्टीकरण जारी किया। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने ट्वीट किया, ‘‘ सरकार कृषि को लेकर हमेशा गंभीर रही है। केंद्र सरकार ने पिछले कुछ दिनों से विरोध कर रहे 29 किसान संगठनों को वार्ता के लिए बुलाया था। बैठक सचिव स्तर पर तय की गयी थी।’’ उन्होंने कहा कि कृषि केंद्र सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और सरकार किसानों के हित की रक्षा के लिए हमेशा प्रतिबद्ध है और उसने बातचीत के लिए दरवाजा खुला रखा है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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