किसान ने की आत्महत्या, मांगें पूरी होने तक अंत्येष्टि न करने को कहा

[email protected] । Jun 8 2017 5:15PM

एक किसान ने आत्महत्या कर ली। उसने सुसाइड नोट में लिखा है कि जब तक मुख्यमंत्री उसके घर नहीं आते और उसकी मांगें पूरी नहीं करते, तब तक उसका अंतिम संस्कार नहीं किया जाना चाहिए।

पुणे। महाराष्ट्र में जारी किसान आंदोलन के बीच सोलापुर जिले के एक गांव में एक किसान ने कथित रूप से आत्महत्या कर ली। उसने अपने सुसाइड नोट में लिखा है कि जब तक मुख्यमंत्री उसके घर नहीं आते और उसकी मांगें पूरी नहीं करते, तब तक उसका अंतिम संस्कार नहीं किया जाना चाहिए। सोलापुर के कलेक्टर राजेंद्र भोसले ने आज कहा कि धनाजी जाधव ने बुधवार रात करमाला तहसील के वीत गांव स्थित अपने घर के पास एक पेड़ से लटककर खुद को फांसी लगा ली। करमाला पुलिस के अनुसार जाधव ने अपने सुसाइड नोट में अपने मित्रों एवं संबंधियों से कहा, ‘‘मैं एक किसान हूं, धनाजी चंद्रकांत जाधव। मैं आज आत्महत्या कर रहा हूं। मेरे शव को कृपया मेरे गांव ले जाएं और जब तक मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस यहां नहीं आते, तब तक मेरा अंतिम संस्कार नहीं करें।’’

कलेक्टर ने यह भी पुष्टि की कि किसान ने सुसाइड नोट में लिखा कि उसके शव का तब तक अंतिम संस्कार नहीं किया जाए, जब तक मुख्यमंत्री उसके घर नहीं आते और किसानों के ऋण माफी की घोषणा नहीं करते। सोलापुर के प्रभारी मंत्री विजय देशमुख ने आज गांव का दौरा किया। आत्महत्या करने वाले किसान के परिवार में उसकी पत्नी एवं दो बच्चे हैं। उसके पास खेती योग्य 2.5 एकड़ भूमि थी। पुलिस ने बताया कि किसान पर 60,000 रुपए का कर्ज था और उसने निजी साहूकारों से भी उधार लिया था।

इस घटना के बाद किसानों के संगठनों ने सड़क मार्ग बाधित कर दिया और करमाला तहसील में बंद का आह्वान किया। सोलापुर के कलेक्टर ने बताया कि वह गांव के लिए रवाना हो गए हैं। उन्होंने बताया कि पुलिस दलों को भी घटनास्थल पर भेजा गया है ताकि हालात काबू में रखे जा सकें। महाराष्ट्र में किसानों के पिछले एक सप्ताह से लगातार जारी विरोध प्रदर्शनों के कारण मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को विपक्षी दलों एवं भाजपा की सहयोगी शिव सेना की आलोचनाओं का शिकार होना पड़ रहा है। किसानों के प्रदर्शन के कारण कृषि उत्पादों की कीमतों में तेजी से वृद्धि हुई है। फडणवीस ने हाल में एक बयान देकर 31 अक्तूबर तक ऋण माफ करने का वादा किया था लेकिन यह वादा आंदोलनरत किसानों को शांत नहीं कर पाया। किसानों का आंदोलन जारी है।

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