पुराने कश्मीर की यादों से बाहर नहीं निकल पा रहे फारुक अब्दुल्ला, निरस्त झंडा लगाकर संसद पहुंचे नेशनल कांफ्रेंस अध्यक्ष
जम्मू कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में पुनर्गठित हुए दो साल बीत चुके हैं। इसके साथ ही राज्य का ध्वज और संविधान भी समाप्त हो चुका है। लेकिन नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डा फारुक अब्दुल्ला ऐसा नहीं मानते हैं। वह कश्मीर में पुराने नियमों को ही वापस चाहते हैं।
जम्मू कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में पुनर्गठित हुए दो साल बीत चुके हैं। इसके साथ ही राज्य का ध्वज और संविधान भी समाप्त हो चुका है। लेकिन नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री डा फारुक अब्दुल्ला ऐसा नहीं मानते हैं। वह कश्मीर में पुराने नियमों को ही वापस चाहते हैं। जम्मू-कश्मीर के वरिष्ठ नेता फारूक अब्दुल्ला ने उस समय विवाद खड़ा कर दिया जब वह अपनी कार पर पुराने जम्मू-कश्मीर के झंडे के साथ शीतकालीन सत्र के लिए संसद पहुंचे। जब वह संसद भवन के परिसर में पहुंचे तो उनके वाहन के आगे बोनट पर जम्मू कश्मीर राज्य का ध्वज लहरा रहा था। कैमरे से खिची गयी ये तस्वीरें सोशल मीडिया पर काफी वायरल होने लगी। एक संवैधानिक पद पर होने के बावदूज फारूक अब्दुल्ला ने सरकार के नियम को दरकिनार किया।
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जम्मू-कश्मीर से धारा 370 के हटने के बाद पुराने झंडे ने अपना दर्जा खो दिया है लेकिन फारूक अब्दुल्ला ने पुराने कश्मीर की यादों को अभी तक खुद से दूर नहीं किया है बल्कि पुराने झंठे वाली गाड़ी लेकर वह दिल्ली संसद पहुंचे और विपक्षी दलों (केंद्र सरकार) को इशारों-इशारों में यह संदेश देने की कोशिश की कि वह धारा 370 कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा वापस देने के पक्ष पर हैं। फारूक अब्दुल्ला पहले भी अपने बयानों से यह साफ कर चुके हैं कि वह कश्मीर में धारा 370 की फिर से बहाली चाहते हैं।
Founder member of #JKLF (terrorist org ) &
— Ashoke Pandit (@ashokepandit) December 1, 2021
and @JKNC_ President #FarooqAbdullah Arrives In Parliament With Erstwhile JK State Flag On His Vehicle.
An FIR should be filed against him for insulting our constitution . pic.twitter.com/9URHHrifin
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इसी बीच नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने जम्मू-कश्मीर का विशेष तथा तथा पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल कराने के लिए अंतिम सांस तक लड़ने का संकल्प लिया। अब्दुल्ला श्रीनगर में 15 नवंबर को हुए विवादित मुठभेड़ में मारे गए चार लोगों में से एक युवक के परिवार से मिलने रामबन जिला में स्थित उसके घर गए थे। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल्ला चेनाब घाटी के आठ दिन के दौरे पर हैं और दूसरे दिन वह गुल इलाके में पहुंचे। चेनाब घाटी में जम्मू कश्मीर के रामबन, डोडा और किश्तवाड़ जिले आते हैं। गुल में एक रैली में अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘...हम अपने या अपने घरों के लिए नहीं लड़ रहे हैं, हमारी लड़ाई आपके (जम्मू-कश्मीर की जनता) और आपके हितों रक्षा के लिए है। हमारी लड़ाई हमारे उन अधिकारों की बहाली के लिए है, जो पांच अगस्त, 2019 को हमसे छीन लिये गए थे और हम अपनी अंतिम सांस तक लड़ते रहेंगे।’’ उन्होंने कहा कि यह सच्चाई और न्याय की लड़ाई है और जो यह लड़ाई लड़ रहे हैं, उन्हें अपने कदम पीछे नहीं हटाते बल्कि इसे अंजाम तक पहुंचाते हैं।
केन्द्र सरकार ने अगस्त, 2019 में संविधान संशोधन करके अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त कर दिया, जिससे जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा समाप्त हो गया। अब्दुल्ला श्रीनगर के हैदरपुरा में 15 नवंबर को हुई मुठभेड़ में मारे गए चार लोगों में से एक अमीर मगरे के घर भी पहुंचे। मगरे के परिवार का दावा है कि वह निर्दोष था और अंतिम संस्कार के लिए उसका शव तुरंत परिजनों को सौंपा जाना चाहिए। मगरे के घर तक पहुंचने के लिए नेकां नेता करीब पांच किलोमीटर पैदल चले। उन्होंने कहा, ‘‘दुर्भाग्यवश आज हालात ऐसे हो गए हैं कि निर्दोष नागरिकों का शव प्राप्त करने के लिए हमें प्रदर्शन करना पड़ रहा है। वह (मगरे) काम के सिलसिले में श्रीनगर गया था, क्योंकि उसे अपने जिले में कोई काम नहीं मिला था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस सुदूर इलाके में उग्रवाद के खिलाफ लड़ने के लिए उसके पिता पुलिस की सुरक्षा में रहते हैं। परिवार उसका अंतिम संस्कार करना चाहता है, लेकिन उन्हें इससे वंचित किया जा रहा है।’’ उन्होंने सवाल किया कि क्या यही कारण है कि अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर के लोगों पर फैसला थोपा गया। जम्मू क्षेत्र के लिए लड़ने का दावा करने वाले नेताओं पर निशाना साधते हुए नेकां नेता ने मगरे परिवार के दुख पर उनकी चुप्पी को लेकर सवाल उठाया। उन्होंने पूछा, ‘‘क्या गुल जम्मू का हिस्सा नहीं है? युवक का शव पाने के लिए वे सड़कों पर क्यों नहीं उतर रहे हैं?’’ मगरे का शव उसके परिवार को सौंपने की मांग करते हुए अब्दुल्ला ने कहा कि क्षेत्र से उग्रवाद को मिटाने के लिए लड़ने और काफी कुछ झेलने वाले परिवार के साथ यह घोर अन्याय है।
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