पहले पवार ने दिखाया आईना, फिर देवड़ा ने लगाई लताड़, चीन को लेकर अपनों से घिरी कांग्रेस

maharashtra
अभिनय आकाश । Jun 29 2020 1:43PM

कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा ने ट्विटर पर लिखा कि यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब चीन के अतिक्रमण के खिलाफ राष्ट्रीय आवाज एक होनी चाहिए, तब उसकी जगह राजनीतिक कीचड़बाजी हो रही है। हम दुनिया में तमाशा बन गए हैं।

चीन संग तनाव को लेकर कांग्रेस और बीजेपी के बढ़े आरोप-प्रत्यारोप के बीच पहले एनसीपी प्रमुख शरद पवार और फिर कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा के बयान से कांग्रेस अपनों के बीच ही घिर गई है। शरद पवार ने चीनी मोर्चे पर सरकार का साथ देने वाला बयान देते हुए कहा कि लद्दाख की घटना संवेदनशील है और इसे सरकार की नाकामी नहीं कह सकते। इसके बाद कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा ने भी पार्टी की मुश्किलें बढ़ाने वाला बयान दे दिया। 

इसे भी पढ़ें: भारत चीन तनाव पर बोले शरद पवार- राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर सियासत ठीक नहीं

मिलिंद देवड़ा ने क्या कहा?

कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा ने ट्विटर पर लिखा कि "यह बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि जब चीन के अतिक्रमण के खिलाफ राष्ट्रीय आवाज एक होनी चाहिए, तब उसकी जगह राजनीतिक कीचड़बाजी हो रही है। हम दुनिया में तमाशा बन गए हैं। चीन के खिलाफ एकजुट होने की जरूरत है।"

पवार ने भी दिखाया आईना

राकांपा के प्रमुख शरद पवार ने भी चीन मामले पर कांग्रेस को नसीहत देते हुए कहा था कि राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर राजनीति नहीं करनी चाहिए। पवार ने कहा, 'वर्तमान में, मुझे नहीं पता कि उन्होंने किसी भूमि पर कब्जा किया है, लेकिन इस पर चर्चा करते समय हमें अतीत को याद रखने की आवश्यकता है।' उन्होंने यह भी कहा कि लद्दाख में गलवान घाटी की घटना को रक्षा मंत्री की नाकामी बताने में जल्दबाजी नहीं की जा सकती क्योंकि गश्त के दौरान भारतीय सैनिक चौकन्ने थे।

इससे पहले भी देवड़ा करते रहे मोदी सरकारी के कार्य की प्रशंसा

जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद जहां विपक्ष की ओर से पुनर्गठन बिल का लगातार विरोध हो रहा था उस वक्त भी मिलिंद देवड़ा ने कांग्रेस को नसीहत दे दी थी। उन्होंने कहा था कि पार्टियों को अपनी विचारधारा से अलग हटकर इस पर बहस करनी चाहिए कि भारत की संप्रभुता और संघवाद, जम्मू-कश्मीर में शांति, कश्मीरी युवाओं को नौकरी और कश्मीरी पंडितों के न्याय के लिए बेहतर क्या है।

इसके अलावा अमेरिका में हुए हाउडी मोदी कार्यक्रम को लेकर जब कांग्रेस मोदी सरकार पर निशाना साध रही थी तो उस वक्त भी देवड़ा सरकार के समर्थन में नजर आए थे। उन्होंने कहा था कि ह्यूस्टन में प्रधानमंत्री का भाषण भारत की सॉफ्ट पावर डिप्लोमेसी को दर्शाता है। डोनाल्ड ट्रंप की मेहमाननवाजी और भारतीय-अमेरिकियों के योगदान को स्वीकारना गर्व की बात है। कांग्रेस के कई युवा नेता अपने राजनीतिक भविष्य के लिए विकल्प की तलाश कर रहे हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ भाजपा के साथ चले गए। अब मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष के कांग्रेस छोड़ने के कयास लगाए जा रहे हैं। काफी दिनों से देवड़ा खुद को अलग-थलग महसूस कर रहे हैं। कांग्रेस में उन्हें दरकिनार किया जा रहा है। महाराष्ट्र में कांग्रेस सरकार की भागीदारी के बावजूद उन्हें मुंबई की राजनीति में अहम भूमिका निभाने के बाद भी जगह नहीं मिली। जिसके बाद पिछले कुछ महीनों से उनका रवैया बदला-बदला लग रहा है। बीते दिनों आपातकाल को लेकर भी उन्होंने एक ट्वीट किया था कि आपातकाल हमें याद दिलाता है कि लोकतंत्र का जब-जब परीक्षण किया जाता है। तब-तब वो पूरी ताकत से वापस लड़ता है। यह राजनीतिक पार्टियों पर भी लागू होता है। लोकतांत्रिक संगठन चुनौतियों से बेहतर तरीके से पार पा सके। लोकतंत्र निरंतर कार्य है, जिसमें प्रतिबद्धता, बलिदान और ईमानदार आत्मनिरीक्षण की आवश्यकता होती है। दरअसल, कांग्रेस नेता ने आत्मनिरीक्षण की बात करके अपनी पार्टी की नीतियों पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। कांग्रेस के दिग्गज नेता मिलिंद देवड़ा 2004 से 2014 तक दो बार सांसद रहे हैं। उन्होंने दक्षिण मुम्बई संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व किया है। मिलिंद देवड़ा ने मनमोहन सिंह सरकार के दूसरे कार्यकाल के आखिरी तीन सालों के दौरान केंद्रीय राज्य मंत्री की जिम्मेदारी संभाली है। लेकिन साल 2014 में इस सीट से शिवसेना के अरविंद गनपत सावंत ने 3,74,609 वोट पाकर जीत हासिल की और 2,46,045 वोट लाकर देवड़ा दूसरे स्थान पर रहे। वहीं साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भी शिवेसना के अरविंद सावंत ने मिलिंद देवड़ा को शिकस्त दी थी।

इसे भी पढ़ें: शरद पवार को लेकर पडलकर की टिप्पणी पर बोले चंद्रकांत पाटिल, गलत शब्दों का किया इस्तेमाल

वर्तमान में महाराष्ट्र में शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की साझा सरकार है और उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री। ऐसे में अपनी परंपरागत सीट पर दो बार लगातार चुनाव हारने वाले देवड़ा के भविष्य में दावेदारी के भी आसार बेहद ही कम है। जबकि सहयोगी शिवसेना के जिताऊ प्रमोद सावंत इस सीट से चुनाव लड़ते आए हैं। ऐसे में भविष्य की राजनीति की चाह में आने वाले वक्त में सिधिंया की राह पर चलते हुए मिलिंद देवड़ा भी कोई बड़ा कदम उठा ले तो इसमें अचरज की कोई बात नहीं होगी। 

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़