अंबाला एयरबेस पर पहुंचे पांच राफेल लड़ाकू विमान, भारतीय वायुसेना की युद्धक क्षमता और मजबूत होगी
फ्रांस से सोमवार को उड़ान भरने के बाद इन पांचों विमानों का बेड़ा अंबाला तक के 7,000 किलोमीटर लंबे सफर के बीच, सिर्फ एक बार, संयुक्त अरब अमीरात के अल दाफ्रा एयरबेस पर उतरा।
नयी दिल्ली। अपनी हवाई सीमाओं की सुरक्षा को चाक-चौबंद करने की दिशा में बुधवार को भारत उस समय एक कदम और आगे बढ़ गया जब रूस से सुखोई विमानों की खरीद के करीब 23 साल बाद, नये और अत्याधुनिक पांच राफेल लड़ाकू विमानों का बेड़ा फ्रांस से आज यहां, देश के सामरिक रूप से महत्वपूर्ण अंबाला एयर बेस पर पहुंच गया। इन विमानों के, वायुसेना में शामिल होने के बाद देश को आस-पड़ोस के प्रतिद्वंद्वियों की हवाई युद्धक क्षमता पर बढ़त हासिल हो जाएगी। निर्विवाद ट्रैक रिकॉर्ड वाले इन राफेल विमानों को दुनिया के सबसे बेहतरीन लड़ाकू विमानों में से एक माना जाता है। फ्रांस के बोरदु शहर में स्थित मेरिगनेक एयरबेस से 7,000 किलोमीटर की दूरी तय करके ये विमान आज दोपहर हरियाणा में स्थित अंबाला एयरबेस पर उतरे। राफेल विमानों के भारतीय हवाई क्षेत्र में प्रवेश करने के बाद दो सुखोई 30एमकेआई विमानों ने उनकी आगवानी की और उनके साथ उड़ते हुए अंबाला तक आए। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट किया है, ‘‘बर्ड्स सुरक्षित उतर गए हैं।’’ वायुसेना में लड़ाकू विमानों को ‘बर्ड’ (चिड़िया) कहा जाता है। सिंह ने ट्वीट किया है, ‘‘राफेल लड़ाकू विमानों का भारत पहुंचना हमारे सैन्य इतिहास के नये अध्याय की शुरुआत है। ये बहुद्देशीय विमान भारतीय वायुसेना की क्षमता में अभूतपूर्व वृद्धि करेंगे।’’
राजग सरकार ने 23 सितंबर, 2016 को फ्रांस की एरोस्पेस कंपनी दसाल्ट एविएशन के साथ 36 लड़ाकू विमान खरीदने के लिए 59,000 करोड़ रुपये का सौदा किया था। इससे पहले तत्कालीन संप्रग सरकार करीब सात साल तक भारतीय वायुसेना के लिए 126 मध्य बहुद्देशीय लड़ाकू विमानों की खरीद की कोशिश करती रही थी, लेकिन वह सौदा सफल नहीं हो पाया था। दसाल्ट एविएशन के साथ आपात स्थिति में राफेल विमानों की खरीद का यह सौदा भारतीय वायुसेना की युद्धक क्षमता को और मजबूत बनाने के लिए किया गया , क्योंकि वायुसेना के पास लड़ाकू स्क्वाड्रन की स्वीकृत संख्या कम से कम 42 के मुकाबले फिलहाल 31 लड़ाकू स्क्वाड्रन हैं। अंबाला पहुंचे पांच राफेल विमानों में से तीन राफेल एक सीट वाले जबकि दो राफेल दो सीट वाले लड़ाकू विमान हैं। इन्हें भारतीय वायुसेना के अंबाला स्थित स्क्वाड्रन 17 में शामिल किया जाएगा जो ‘गोल्डन एरोज’ के नाम से जाना जाता है। सरकार ने सोमवार को एक बयान में कहा था कि भारत को 10 राफेल विमानों की आपूर्ति हुई है, जिनमें से पांच प्रशिक्षण मिशन के लिए फ्रांस में ही रूक रहे हैं। सरकार ने कहा कि खरीदे गए सभी 36 राफेल विमानों की आपूर्ति 2021 के अंत तक भारत को हो जाएगी। राफेल विमानों को आसमान में उनकी बेहतरीन क्षमता और लक्ष्य पर सटीक निशाना साधने के लिए जाना जाता है। करीब 23 साल पहले रूस से सुखोई विमानों की खरीद के बाद भारत ने पहली बार लड़ाकू विमानों की इतनी बड़ी खेप खरीदी है। इन विमानों को अलग-अलग किस्म के और अलग-अलग मारक क्षमता वाले हथियारों से लैस किया जा सकता है।#WATCH Water salute given to the five Rafale fighter aircraft after their landing at Indian Air Force airbase in Ambala, Haryana. #RafaleinIndia pic.twitter.com/OyUTBv6qG2
— ANI (@ANI) July 29, 2020
राफेल लड़ाकू विमानों को जिन मुख्य हथियारों से लैस किया जाएगा वे होंगे, यूरोपीय मिसाइल निर्माता एमबीडीए की, दृष्टि सीमा से परे निशानों पर भी हवा से हवा में वार करने में सक्षम मेटयोर मिसाइल, स्कैल्प क्रूज मिसाइल और एमआईसीए हथियार प्रणाली। भारतीय वायुसेना राफेल लड़ाकू विमानों का साथ देने के लिए मध्यम दूरी की मारक क्षमता वाली, हवा से जमीन पर वार करने में सक्षम अत्याधुनिक हथियार प्रणाली ‘हैमर’ भी खरीद रही है। हैमर (हाइली एजाइल मॉड्यूलर म्यूनिशन एक्स्टेंडेड रेंज) लंबी दूरी की मारक क्षमता वाली क्रूज मिसाइल है, जिसका निशाना अचूक है और इसे फ्रांस की रक्षा कंपनी सैफरॉन ने विकसित किया है। इस मिसाइल को मूल रूप से फ्रांस की वायुसेना और नौसेना के लिए डिजाइन किया गया और बनाया गया था। मेटयोर हवा से हवा में मारक क्षमता रखने वाली बीवीआर मिसाइलों का अत्याधुनिक संस्करण है और इसे हवा में होने वाले युद्ध के लिए विशेष रूप से डिजाइन किया गया है। इसे एमबीडीए ने ब्रिटेन, जर्मनी, इटली, फ्रांस, स्पेन और स्वीडन के समक्ष मौजूद संयुक्त खतरों से निपटने के लिए डिजाइन किया है। एक अधिकारी ने बताया कि मेटयोर में एक अनूठी रॉकेट-रैमजेट मोटर लगीहै जो इसके इंजन को अन्य मिसाइलों की तुलना में ज्यादा देर तक ऊर्जा/ईंधन मुहैया करती है। हालांकि, इन पांच राफेल विमानों को आज अंबाला पहुंचने के बाद से ही 17वें स्क्वाड्रन में शामिल किया जा रहा है, लेकिन इन्हें अगस्त के मध्य में एक औपचारिक समारोह आयोजित कर भारतीय वायुसेना के बेड़े का हिस्सा घोषित किया जाएगा।Prime Minister Narendra Modi tweets in Sanskrit welcoming Rafale fighter jets in India. https://t.co/NfarjJqGDb pic.twitter.com/DhtYmYGE8t
— ANI (@ANI) July 29, 2020
उस समारोह में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित देश की सेना के शीर्ष अधिकारियों के उपस्थित रहने की संभावना है। फ्रांस से सोमवार को उड़ान भरने के बाद इन पांचों विमानों का बेड़ा अंबाला तक के 7,000 किलोमीटर लंबे सफर के बीच, सिर्फ एक बार, संयुक्त अरब अमीरात के अल दाफ्रा एयरबेस पर उतरा। फ्रांस स्थित भारतीय दूतावास के अनुसार, इन विमानों में 30,000 फुट की ऊंचाई पर उड़ान भरने के दौरान ही फ्रांसीसी टैंकर ने ईंधन भरा। भारत को पहला राफेल जेट अक्टूबर, 2019 में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के फ्रांस दौरे पर सौंपा गया था। राफेल विमानों का पहला स्क्वाड्रन हरियाणा के अंबाला एयरबेस पर रहेगा वहीं दूसरा स्क्वाड्रन पश्चिम बंगाल के हासीमारा एयरबेस पर रहेगा। अंबाला एयरबेस को देश में भारतीय वायुसेना का, सामरिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण बेस माना जाता है क्योंकि यहां से भारत-पाकिस्तान की सीमा करीब 220 किलोमीटर की दूरी पर है। वायुसेना ने अंबाला और हासीमारा एयरबेस पर शेल्टर, हैंगर और मरम्मत/देखभाल संबंधी अवसंरचना विकसित करने में करीब 400 करोड़ रुपये निवेश/खर्च किए हैं। भारत ने जो 36 राफेल विमान खरीदे हैं उनमें से 30 लड़ाकू विमान और छह प्रशिक्षु विमान हैं। प्रशिक्षु विमानों में दो सीटें हैं और उनमें लड़ाकू विमानों के लगभग सभी फीचर मौजूद हैं।The Birds have landed safely in Ambala. The touch down of Rafale combat aircraft in India marks the beginning of a new era in our Military History. These multirole aircraft will revolutionise the capabilities of the Indian Air Force: Defence Minister Rajnath Singh https://t.co/5K0H6Fgmx5 pic.twitter.com/Dp2LXVyYxO
— ANI (@ANI) July 29, 2020
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