राजस्थान की सार्वजनिक कंपनियों के प्रबंधन में खामियां, तत्काल कदम उठाने की जरूरत: कैग

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[email protected] । Aug 4 2019 12:19PM

कैग ने 31 मार्च, 2018 को समाप्त वित्त वर्ष के लिए सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों के कार्य निष्पादन पर अपनी रपट में यह सिफारिश की है। यह रपट हाल ही में राज्य विधानसभा के पटल पर रखी गयी थी।

जयपुर। नियंत्रक व महालेखा परीक्षक (कैग) ने राज्य की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के प्रबंधन में खामियों को उजागर करते हुए इन्हें दूर करने के लिए कदम उठाने का सुझाव दिया है। कैग का कहना है कि प्रबंधन की इन खामियों के कारण इन राज्य के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों पर गंभीर वित्तीय प्रभाव पड़ा है। कैग ने 31 मार्च, 2018 को समाप्त वित्त वर्ष के लिए सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों के कार्य निष्पादन पर अपनी रपट में यह सिफारिश की है। यह रपट हाल ही में राज्य विधानसभा के पटल पर रखी गयी थी। 

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कैग ने राज्य पीएसयू (ऊर्जा क्षेत्र के अलावा) के संबंध में टिप्पणी करते हुए कहा है कि इस रपट में अनुपालन आडिट निष्कर्ष, सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों के प्रबंधन में खामियों को उजागर करते हैं जिनके गंभीर वित्तीय परिणाम पड़े। इसके अनुसार नियमों, दिशा निर्देशों व प्रक्रियाओं आदि का अनुपालन नहीं किए जाने के कारण एक मामले में 38.85 करोड़ रुपये का नुकसान विभिन्न रूप में उठाना पड़ा।

इन कमियों का उदाहरण देते हुए रपट में कहा गया है कि राजस्थान राज्य औद्योगिक विकास व निवेश निगम लिमिटेड (आरएसआईडीआईसी) ने आवंटित भूखंडों पर निर्माण कार्य पूरा करने व उत्पादन शुरू करने में विफल रहे आवंटियों को समय पर नोटिस जारी नहीं किए। निगम के स्तर पर इस तरह की कई कमियों को रेखांकित किया गया है। रपट के अनुसार कैग ने 31 मार्च, 2013 को समाप्त वित्त वर्ष के लिए पेश अपनी रपट में भी उक्त कमियों को उजागर किया था लेकिन मौजूदा अध्ययन में पाया गया कि वे कमियां अब भी ज्यों की त्यों हैं। 

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कैग ने कहा है कि कंपनी को इसमें सुधार के लिए कदम उठाने चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आवंटित भूखंडों पर निर्माण तय समय में पूरा हो व उत्पादन गतिविधियां भी नियत समय में चालू हो जाएं। रपट के अनुसार राज्य में इस तरह के कुल 28 उपक्रम हैं जिनमें 22 कार्यशील कंपनियां, तीन कार्यशील सांविधिक निगम व तीन अकार्यशील पीएसयू हैं। कैग ने इन पीएसयू के खातों की गुणवत्ता में सुधार की जरूरत बताई है।

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