उत्तराखंड के चमोली में तबाही से अबतक 14 लोगों की मौत, 125 से ज्यादा लापता, राहत और बचाव कार्य जारी
इसके चलते आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों में घबराहट पैदा हो गई। रविवार रात करीब आठ बजे अचानक धौली गंगा का जलस्तर बढ़ जाने के चलते अधिकारियों को एक परियोजना क्षेत्र में जारी राहत एवं बचाव कार्य को कुछ समय के लिए रोकना पड़ा।
देहरादून/नयी दिल्ली। उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार को नंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूट जाने के कारण ऋषिगंगा घाटी में अचानक विकराल बाढ़ आ गई। इससे वहां दो पनबिजली परियोजनाओं में काम कर रहे कम से कम 14लोगों की मौत हो गई और 125 से ज्यादा मजदूर लापता हैं।
गंगा की सहायक नदियों--धौली गंगा, ऋषि गंगा और अलकनंदा मेंबाढ़ से उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में दहशत फैल गयी और बड़े पैमाने पर तबाही हुई। एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगाड पनबिजली परियोजना और ऋषिगंगा परियोजना पनबिजली परियोजना को बड़ा नुकसान हुआ तथा उनके कई श्रमिक सुरंग में फंस गये। तपोवन परियोजना की एक सुरंग में फंसे सभी 16 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है जबकि लगभग 125 अब भी लापता है। प्रभावित क्षेत्र का जायजा लेकर लौटे मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने देहरादून में शाम को संवाददाताओं को बताया कि अभी तक आपदा में सात व्यक्तियों के शव बरामद हुए हैं और कम से कम 125 लापता हैं। बाढ़ के रास्ते मे आने वाले मकान बह गये। निचले हिस्सों में मानव बस्तियों को नुकसान पहुंचने की आशंका हैं। कई गांव खाली करा लिये गये हैं और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। शाम तक यह मान लिया गया था कि निचले क्षेत्र सुरक्षित हैं और केंद्रीय जल आयेाग ने कहा कि समीप के गांवों को खतरा नहीं है लेकिन धौली गंगा नदी का जलस्तर रविवार की रात एक बार फिर बढ़ गया।The operation to rescue the people trapped in a tunnel is underway. Efforts are on to clear the tunnel with the help of JCB machine. A total of 15 people have been rescued and 14 bodies have been recovered from different places so far: Chamoli Police, Uttarakhand pic.twitter.com/6scE7Okt7o
— ANI (@ANI) February 8, 2021
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इसके चलते आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों में घबराहट पैदा हो गई। रविवार रात करीब आठ बजे अचानक धौली गंगा का जलस्तर बढ़ जाने के चलते अधिकारियों को एक परियोजना क्षेत्र में जारी राहत एवं बचाव कार्य को कुछ समय के लिए रोकना पड़ा। परियोजना के महाप्रबंधक (जीएम) ने कहा कि जलविद्युत परियोजना क्षेत्र की एक सुरंग में श्रमिकों एवं अन्य कर्मचारियों समेत करीब 30-35 फंसे लोगों को बचाने का अभियान सोमवार की सुबह फिर से शुरू किया जाएगा। नयी दिल्ली में रविवार की शाम यहां हुई एक आपात बैठक में मंत्रिमंडल सचिव राजीव गौबा की अध्यक्षता वाली राष्ट्रीय संकट प्रबंधन समिति (एनसीएमसी) को यह जानकारी दी गई कि उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने से ऋषिगंगा नदी पर 13.2 मेगावाट की एक छोटी पनबिजली परियोजना बह गई है लेकिन निचले इलाकों में बाढ़ का कोई खतरा नहीं है क्योंकि जल स्तर सामान्य हो गया है। एक आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि एनसीएमसी को यह भी बताया गया कि एक पनबिजली परियोजना सुरंग में फंसे लोगों को भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) ने बचा लिया है जबकि एक अन्य सुरंग में फंसे लोगों को बचाने के प्रयास जारी है। अभियान का समन्वय सेना और आईटीबीपी द्वारा किया जा रहा है। आईटीबीपी के एक प्रवक्ता ने कहा कि परियोजना स्थल रैनी गांव के समीप पुल के ढह जाने से सीमा चौकियों का संपर्क पूरी तरह सीमित हो गया है। पौड़ी, टिहरी, रूद्रप्रयाग, हरिद्वार एवं देहरादून समेत कई जिलों को हाई अलर्ट पर रखा गया है और आईटीबीपी एवं राष्ट्रीय आपदा मोचन बल को बचाव एंव राहत के लिए भेजा गया। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने कहा है कि अगले दो दिनों तक क्षेत्र में वर्षा की संभावना नहीं है। मुख्यमंत्री ने मृतकों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये का मुआवजा देने की भी घोषणा की। इस बीच, एक सुरंग में फंसे सभी 16 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है।
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आइटीबीपी, औली के डिप्टी कमांडेंट एसएस बुटोला ने बताया कि सुरंग में फंसे 16 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है। बाढ़ आने के समय 13.2 मेगावाट की ऋषिगंगा परियोजना और एनटीपीसी की 480 मेगावाट तपोवन—विष्णुगाड परियोजना में लगभग 176 मजदूर काम कर रहे थे जिसकी पुष्टि मुख्यमंत्री रावत ने स्वयं की। इनके अलावा, ऋषिगंगा परियोजना में ड्यूटी कर रहे दो पुलिसकर्मी भी लापता हैं। हालांकि, इन 176 मजदूरों में से कुछ लोग भाग कर बाहर आ गए। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘एक अनुमान के तहत लापता लोग सवा सौ के आसपास हो सकते हैं या इससे ज्यादा भी हो सकते हैं। जो कंपनी के लोग हैं वे भी कागज लापता होने की वजह से ज्यादा बता पाने की स्थिति में नहीं हैं।’’ बाढ़ से दोनों पनबिजली परियोजनाओं को भारी नुकसान हुआ है। दोनों परियोजनाओं के शीर्ष अधिकारी नुकसान का आकलन करने में जुट गए हैं। बाढ़ आने के बाद समूचे गढ़वाल क्षेत्र में स्थित अलकनंदा और गंगा नदियों के आसपास के इलाकों में अलर्ट जारी कर दिया गया। लेकिन शाम होते—होते बाढ़ग्रस्त ऋषिगंगा नदी में पानी में भारी कमी आई जिससे चेतावनी वाली स्थिति समाप्त हो गई। प्रदेश के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कहा कि अब खतरे की स्थिति नहीं है और अलकनंदा नदी में जलस्तर सामान्य है। नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क से निकलने वाली ऋषिगंगा के ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र में आई बाढ के कारण ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदी ने विकराल रूप धारण कर लिया था जिससे गढवाल क्षेत्र के कई हिस्सों में दहशत का माहौल पैदा गया था। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार प्रातः अचानक जोर जोर की आवाजों के साथ धौली गंगा का जलस्तर बढ़ता दिखा। पानी तूफान की शक्ल में आगे बढ़ रहा था और वह अपने रास्ते में आने वाली सभी चीजों को अपने साथ बहाकर ले गया। रैणी में एक मोटर मार्ग तथा चार झूला पुल बाढ़ की चपेट में आकर बह गए हैं। सात गांवों का संपर्क टूट गया है जहां राहत सामग्री पहुंचाने का कार्य सेना के हेलीकॉप्टरों के जरिए किया जा रहा है।
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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने के कारण अचानक आई बाढ़ की स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की और लोगों की सुरक्षा की कामना की। कोविंद ने ट्वीट किया, ‘‘उत्तराखंड में जोशीमठ के पास ग्लेशियर टूटने के कारण क्षेत्र में हुए नुकसान को लेकर काफी चिंतित हूं। लोगों की सुरक्षा और कुशलता की कामना करता हूं। पूरा विश्वास है कि वहां राहत एवं बचाव कार्य अच्छे ढंग से चल रहा होगा।’’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि वह राज्य में स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। मोदी ने कहा, ‘‘मैं उत्तराखंड में दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की लगातार निगरानी कर रहा हूं। भारत उत्तराखंड के साथ खड़ा है, सभी की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करता हूं।’’ पश्चिम बंगाल में एक रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने आपदा से लड़ने के लिए हरसंभव सहयोग करने का आश्वासन दिया और कहा कि वह उत्तराखंड के मुख्यमंत्री और गृह मंत्री अमित शाह के लगातार संपर्क में हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से बात की और उन्हें ग्लेशियर के टूटने और उससे उत्पन्न बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया। शाह ने कई ट्वीट करके कहा कि एनडीआरएफ की टीमों को प्रभावित लोगों के बचाव और राहत कार्यों के लिए तैनात किया गया है जबकि बल के अतिरिक्त जवानों को दिल्ली से हवाई मार्ग से रवाना किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा की सूचना के संबंध में मैंने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, आईटीबीपी के महानिदेशक और एनडीआरएफ के महानिदेशक से बात की है। सभी संबंधित अधिकारी लोगों को सुरक्षित करने के लिए युद्ध स्तर पर काम कर रहे हैं। एनडीआरएफ की टीमें बचाव कार्यों के लिए रवाना की गई हैं। देवभूमि को हर संभव मदद प्रदान की जाएगी।’’
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शाह ने कहा कि केंद्र सरकार उत्तराखंड की स्थिति पर लगातार नजर रखे हुए है। उन्होंने कहा, ‘‘एनडीआरएफ की कुछ और टीमों को दिल्ली से हवाई मार्ग से उत्तराखंड भेजा जा रहा है। हम वहां के हालात पर लगातार नजर बनाए हुए हैं।’’ गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि एनडीआरएफ की चार टीमों (लगभग 200 कर्मी) को हवाई मार्ग से देहरादून भेजा गया है और ये टीमें वहां से जोशीमठ जाएंगी। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रावत ने लोगों से पुराने बाढ़ के वीडियो के जरिए अफवाह न फैलाने की भी अपील की। एनसीएमसी की बैठक में केंद्र और राज्य सरकार की संबंधित एजेंसियों को स्थिति पर नजर बनाए रखने के लिए कहा गया है। निगरानी के लिए डीआरडीओ की एक टीम को भी रवाना किया जा रहा है। प्रवक्ता ने बताया कि एनटीपीसी के प्रबंध निदेशक को तुरंत प्रभावित स्थल पर पहुंचने के लिए कहा गया है। एनडीआरएफ की दो टीमों को मौके पर भेजा गया है और गाजियाबाद में हिंडन वायुसेना अड्डे से तीन अतिरिक्त टीमों को भेजा गया है। सेना के जवान आज रात प्रभावित स्थान पर पहुंच जायेंगे। भारतीय नौसेना के गोताखोरों को भी विमान से वहां के लिए रवाना किया जा रहा है।
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