प्रशांत भूषण अवमानना मामले पर बोले पूर्व कानून मंत्री मोइली, सजा दिया जाना जरुरी नहीं था

M Veerappa Moily

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल और कई न्यायविदों और अधिवक्ताओं ने उच्चतम न्यायालय से अनुरोध किया था कि उन्हें सजा ना दी जाए। अवमानना मामले में न्यायालय द्वारा भूषण पर एक रुपये का जुर्माना लगाए जाने को लेकर मोइली ने कहा, ‘‘ऐसा प्रतीत होता है कि इसकी कोई जरूरत नहीं थी।’’

बेंगलुरु। पूर्व कानून मंत्री एम वीरप्पा मोइली ने सोमवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा अधिवक्ता प्रशांत भूषण को सजा दिया जाना जरुरी नहीं था। उन्होंने कहा कि भूषण के खिलाफ मामले को बार काउंसिल ऑफ इंडिया को भेजा जा सकता था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ने कहा कि अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल और कई न्यायविदों और अधिवक्ताओं ने उच्चतम न्यायालय से अनुरोध किया था कि उन्हें सजा ना दी जाए। मोइली ने कहा कि न्यायाधीशों को उनके खिलाफ आरोप लगाने वालों को सजा/दंड देने का काम खुद नहीं करना चाहिए। अवमानना मामले में न्यायालय द्वारा भूषण पर एक रुपये का जुर्माना लगाए जाने को लेकर मोइली ने कहा, ‘‘ऐसा प्रतीत होता है कि इसकी कोई जरूरत नहीं थी।’’ 

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उन्होंने कहा, ‘‘यह प्राकृतिक न्याय के अनुरुप नहीं है। यह न्यायपालिका के उच्च मानदंडों के अनुरुप भी नहीं है।’’ न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि न्यायपालिका के खिलाफ दो ट्वीट करने के मामले में दोषी भूषण को 15 सितंबर तक जुर्माने की राशि उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री में जमा करानी होगी। पीठ ने कहा कि जुर्माना भरने में असफल रहने पर दोषी को तीन महीने कारावास की सजा भुगतनी होगी औरतीन साल तक वकालत करने पर प्रतिबंध रहेगा।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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