देवघर में रोपवे पर फंसे 46 लोगों को 46 घंटे के ऑपरेशन के बाद बचाया गया, तीन की मौत

Deoghar

1500 से 2000 फीट की उंचाई पर 25 केबल कारों में फंसे 48 लोगों में से 46 लोगों को लगभग 46 घंटे के अथक प्रयास के बाद वायुसेना, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और सेना के जवानों ने एमआई 17 हेलीकॉप्टरों की मदद से बचा लिया।

देवघर। झारखंड के देवघर में त्रिकुट पर्वत पर पर्यटकों के लिए बने रोपवे की केबल कारों में दस अप्रैल की शाम हुई टक्कर के बाद 1500 से 2000 फीट की उंचाई पर 25 केबल कारों में फंसे 48 लोगों में से 46 लोगों को लगभग 46 घंटे के अथक प्रयास के बाद वायुसेना, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और सेना के जवानों ने एमआई 17 हेलीकॉप्टरों की मदद से बचा लिया जबकि तीन की मौत हो गयी एवं 12 अन्य घायल हो गये। दो की मौत हेलीकॉप्टर से बचाये जाने के दौरान नीचे गिर जाने से हुई। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ट्वीट कर कहा कि देवघर में रोप वे हादसे में केबल कारों में फंसे सभी 48 लोगों में से 46 लोगों को बचा लिया गया है जबकि दो अन्य की केबल कारों से बचाये जाने के दौरान नीचे गिर जाने से मौत हो गयी।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि इस दुर्घटना में कुल तीन लोगों की मौत हो गयी जबकि 12 अन्य घायल हुए हैं लेकिन संतोष की बात है कि बहुत विपरीत परिस्थितियों में फंसे 46 बच्चों, महिलाओं एवं अन्य लोगों को वायुसेना, सेना, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस और राष्ट्रीय आपदा मोचच बल के जवानों ने मिलकर बचा लिया। पूरी घटना को बहुत पीड़ादायक बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच के उन्होंने आदेश दिये हैं और जो भी दोषी पाया जायेगा उस पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जायेगी। उन्होंने कहा कि रांची से बाहर रहने के बाद भी पूरे घटनाक्रम पर उनकी नजर थी और उन्होंने मुख्य सचिव समेत सभी शीर्ष अधिकारियों को राहत एवं बचाव कार्य पर नजर रखने की जिम्मेदारी दी थी।

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मुख्यमंत्री उस दौरान साहिबगंज में थे। उन्होंने कहा कि यह भी पता लगाया जायेगा कि आखिर केबल कार आपरेटर कंपनी के लोग दुर्घटना होते ही मौके से कैसे फरार हो गये। सोरेन ने नियमों के उल्लंघन का प्रश्न उठाते हुए कहा कि दोषियों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जायेगी। इससे पूर्व आज दोपहर लगभग दो बजे जब छठी लाल साह को अंतिम व्यक्ति के तौर पर केबल कार से बाहर निकाल कर वायुसेना के कमांडो ने उसे एमआई 17 हेलीकॉप्टर पर सवार किया और वे उसे नीचे लेकर आये तो दस अप्रैल को शाम छह बजे से प्रारंभ हुआ राहत और बचाव कार्य का यह पूरा अभियान संपन्न हो गया। इस अभियान के दौरान केबल कारों में फंसे 48 लोगों में से 46 को जीवित बचा लिया गया जबकि एक व्यक्ति की सोमवार को एवं एक महिला की आज केबल कार से निकाल कर हेलीकॉप्टर से बचाये जाने के दौरान पहाड़ में नीचे गिर जाने से मौत हो गयी। देवघर के उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री के अनुसार इससे पूर्व रविवार को शाम लगभग चार बजे इस रोपवे पर निजी ऑपरेटर ने भीड़ को देखते हुए तय नियमों के विरुद्ध सभी 25 केबल कारों को चला दिया जिससे केबल टूटने से कई केबल कारें आपस में टकरा गयीं। उनके अनुसार इस दुर्घटना में एक केबल कार नीचे गिर गयी जिससे एक महिला पर्यटक की मौत हो गयी जबकि 12 अन्य घायल हो गये थे।

इस बीच देवघर रोप-वे दुर्घटना की घटना का झारखंड उच्च न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लेते हुए मामले की जांच के आदेश दिए हैं और सरकार से इस मामले के सभी पहलुओं पर रिपोर्ट तलब की है। झारखंड उच्च न्यायालय इस मामले में 26 अप्रैल को सुनवाई करेगा। राज्य सरकार को अदालत ने एक हलफनामे के जरिए विस्तृत जांच रिपोर्ट दाखि़ल करने को कहा है। अदालत ने कहा कि वर्ष 2009 में इस तरह की गड़बड़ी हुई थी, लेकिन उससे सबक नहीं ली गयी और दोबारा घटना हुई है। अदालत ने इस मामले की जांच रिपोर्ट 25 अप्रैल तक अदालत में पेश करने का निर्देश दिया है। इस दौरान राज्य सरकार की ओर महाधिवक्ता ने कहा कि मामले की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए गए है तथा बचाव एवं राहत कार्य जोरों पर है एवं अब कुछ लोग ही फंसे हैं जिन्हें निकाला जा रहा है।

देवघर प्रशासन के अनुसार रविवार को इस दुर्घटना के बाद अंधेरा हो जाने की वजह से राहत एवं बचाव कार्य शुरू नहीं हो पाया था। यद्यपि केन्द्र सरकार के निर्देश पर सेना और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के जवान मौके पर पहुंच गये थे। त्रिकुट पहाड़ी पर बने इस रोपवे के अधिक ऊंचाई और दुर्गम पहाड़ी में होने की वजह से राहत एवं बचाव कार्य में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। प्रशासन के अनुसार सोमवार को जहां एक पुरुष पर्यटक केबल कार से निकाल कर अंत में हेलीकॉप्टर पर चढ़ाये जाने के दौरान हाथ छूट जाने से नीचे गिर कर मर गया था। मंगलवार को हेलीकॉप्टर से जमीन पर उतारे जाने के दौरान बेल्ट टूटने की वजह से एक महिला जमीन पर गिर गई और बाद में इलाज के दौरान उसने अस्पताल में दम तोड़ दिया। इससे पहले दो केबल कारों के आपस में सटे होने की वजह से बचाव कार्य में दिक्कतों का सामना करना पड़ा। झारखंड के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक आर के मलिक ने बताया कि रविवार को एक साथ कई ट्रॉलियों को श्रद्धालुओं के साथ रवाना कर दिया गया जिससे अचानक रोप-वे के केबल पर भार बढ़ गया और एक रोलर केबल के साथ टूट गया। मलिक के अनुसार केबल कार का रोलर टूटते ही तीन केबल कारें (ट्रॉलियां) पहाड़ से टकरा गईं-और उनमें से दो ट्रॉलियां लुढ़कर नीचे जा गिरीं।

ये सब कुछ इतनी तेजी से हुआ कि जब तक कोई कुछ समझ पाता कई श्रद्धालु ट्रॉलियों से जमीन पर गिर चुके थे। रविवार को अंधेरा होने के कारण वायुसेना अपना बचाव अभियान नहीं प्रारंभ कर सकी लेकिन सोमवार को तड़के पांच बजे से लोगों को बचाने का अभियान प्रारंभ किया गया। बचाव दल के अधिकारियों ने बच्चों को बिस्किट और फ्रूटी देकर बहलाने की कोशिश की लेकिन भयभीत बच्चे और बड़े कुछ खा-पी नहीं पा रहे थे। मलिक ने बताया कि दुर्घटना में घायल हुए 12 लोगों का अस्पतालों में इलाज चल रहा है। वायु सेना, सेना, भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और जिला प्रशासन की संयुक्त टीम द्वारा बचाव अभियान चलाया गया। मुख्यमंत्री ने अपने बयान में कहा, ‘‘दुर्भाग्य से इस हादसे में हमने कुछ लोगों को खो दिया। अपनी जान जोखिम में डाल कर लोगों की मदद करने वाले वायुसेना, सेना, एनडीआरएफ और आईटीबीपी के जवानों तथा प्रशासन को सलाम करता हूँ।’’ उन्होंने कहा कि राज्य में पंचायत चुनावों के चलते आचार संहिता लागू है लिहाजा चुनाव आयोग से अनुमति लेकर शीघ्र ही हताहत होने वाले लोगों की मदद हेतु निर्णय लिया जायेगा। त्रिकुट पहाड़ी पर बने इस रोपवे को अपनी तरह का देश का सबसे उंचा रोपवे माना जाता है जिसमें एक पहाड़ी से दूसरी पहाड़ी पर जा रहे रोपवे को कई स्थानों पर साठ डिग्री तक के कोण पर उपर चढ़ना होता है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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