चार साल बाद मेट्रों में सफर कर सकेंगे भोपाल-इंदौर के लोग, कमलनाथ सरकार ने दी मंजूरी

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मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी की शिवराज सरकार भोपाल और इंदौर में मेट्रो चलाने की घोषणा की थी। जिसे केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने कैबिनेट में मंजूरी दे दी थी।

मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल सहित आर्थिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर शहर के लोग 2023 का इंतजार कर रहे हैं क्योंकि दोंनो जगह चार साल बाद मेट्रो शुरू हो जाएगी। मध्यप्रदेश सरकार की कैबिनेट ने इसकी मंजूरी दे दी है। प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री जयवर्धन सिंह ने भोपाल इंदौर मेट्रो प्रोजेक्ट के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि संभवत: 2023 में मेट्रो की पहली लाइन चालू हो जाएगी। भोपाल मेट्रो में 6,900 करोड़ और इंदौर मेट्रो में 7,500 करोड़ रुपए की लागत आएगी। इसमें से 20 फीसदी राज्य, 20 फीसदी केंद्र और 60 फीसदी लोन लेकर फंड की व्यवस्था होगी। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी की शिवराज सरकार भोपाल और इंदौर में मेट्रो चलाने की घोषणा की थी। जिसे केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने कैबिनेट में मंजूरी दे दी थी। लेकिन उस समय प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ने इसे बीजेपी का चुनावी जुमला बताया था। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के छह माह बाद ही कमलनाथ सरकार ने प्रदेश के इन दो प्रमुख शहरों में मेट्रो को मंजूरी दे दी है। 

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इसको लेकर खुद मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भोपाल-इंदौर मेट्रो रेल के लिए होने वाले एमओयू के ड्राफ्ट पर मंत्रालय में मैराथन बैठक ली। मुख्यमंत्री ने शहरों में मेट्रो निर्माण के दौरान जमीन अधिग्रहण, पार्किंग और रहवासी क्षेत्रों का आकलन करने के निर्देश भी इस दौरान दिए। मेट्रो प्रोजेक्ट के तहत अंडरग्राउण्ड और एलिवेटड सेक्शन की रिपोर्ट तैयार की जा रही है। भोपाल मेट्रो रेल का निर्माण 28 किमी में किया जाना है, जिसकी शुरुआती अनुमानित लागत 6941 करोड़ रुपए है, यह लोन यूरोपियन इन्वेस्टमेंट बैंक से लिया जाएगा। इसी तरह इंदौर मेट्रो परियोजना 31.5 किमी में प्रस्तावित है, जिसमें 7500 करोड़ की लागत अनुमानित है। यह राशि एशियन डेवलपमेंट और न्यू डेवलपमेंट बैंक से कर्ज के रूप में ली जाएगी। शुरूआती दौर में मेट्रो प्रोजेक्ट जमीन अधिग्रहण को लेकर काम चल रहा है। इसमें सबसे बडी बाधा 900 अतिक्रमण और हाई टेंशन लाइन है। राजधानी भोपाल में मेट्रो चालाने के लिए कॉर्पोरेशन ने दो रूट फाइनल किए है। 

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पहला रूट करौद से लेकर एम्स तक और दूसरा भदभदा से लेकर रत्नागिरी तक होगा जो 27 किलोमीटर के होंगे। मेट्रो ट्रेन के दोनों रूटों के बीच में 132 केवी की हाईटेंशन लाइन आ रही है। इसे हटाने के लिए सर्वे करा लिया गया है। बिजली कंपनी को इसका प्रस्ताव बनाकर सौंप भी दिया गया है। इसके अलावा करोंद चौराहा, मिसरोद, गोविंदपुरा इंडस्ट्रियल एरिया में हाईटेंशन लाइन आड़े आ रही है। वहीं बोगदा पुल, सुभाष नगर अंडरब्रिज, हबीबगंज नाका, अलकापुरी बस स्टैंड और एम्स के पास बनी अवैध झुग्गियां इस रूट में बाधक हैं, जिन्हें जल्द ही हटाने की कार्रवाई शुरू की जा सकती है। दूसरा रूट भदभदा डिपो चौराहे से होते हुए गोविंदपुरा इंडस्ट्रियल एरिया जाएगा। इस रूट में भी अवैध झुग्गियां बनी हुई हैं। दोनों रूटों पर कुल 1000 झुग्गियां सामने आ रही हैं। जिन्हें हटाया जाएगा।कुल मिलाकर भोपाल-इंदौर मेट्रो को कैबिनेट मंजूरी मिलने के बाद काम द्रुतगति से चल रहा है। स्वाईल टेस्टिंग के लिए मेट्रो रूट पर ठेकेदार ने काम भी शुरू कर दिया है। साथ ही जमीन अधिग्रहण की कार्यवाही भी की जा रही है। इसी के साथ सरकार यह भी ध्यान मे लेकर चल रही है कि शहरी क्षेत्र में अंडरग्राउंड लाइन बिछाई जाए ताकि लोगों को परेशानी का सामना न करना पड़े। मेट्रो का काम जिस तेजी से हो रहा है उसे देखते हुए 2023 तक पहली लाइन चालू होने की संभावना व्यक्त की जा रही है यानि चार साल बाद भोपाल और इंदौर के लोग मेट्रो में सफर करने लगेंगे। भले ही इस प्रोजेक्ट को लेकर देरी हुई हो।

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