भाजपा के लिए फायदेमंद नहीं रहा साल 2021? बंगाल की हार से लेकर कृषि कानून वापसी तक, 10 राजनीतिक घटनाक्रम

From defeat Bengal withdrawal agricultural laws 10 political developments 2021
रेनू तिवारी । Dec 3 2021 1:22PM

कोरोना ने खूब तबाही मचाई, लाखों जिंदगियों को निगल गया। नये साल की शुरूआत लोगों ने काफी पॉजिटिव माइंड सेट की लेकिन यह साल 2020 से भी ज्यादा भयावह रहा। 2021 में कोरोना के कोहराम के साथ-साथ भारत की राजनीति में भी काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला। आइये आपको बताते है 2021 में होने वाले भारतीय राजनीति के घटनाक्रम-

साल 2021 की जब शुरूआत हुई तो मानों ऐसा लगा कि जो कुछ 2020 में दुनिया ने देखा शायद अब वह दुबारा नहीं देखेंगे। साल 2020 में कोरोना आया और पूरी दुनिया में फैल गया। कोरोना ने खूब तबाही मचाई, लाखों जिंदगियों को निगल गया। नये साल की शुरूआत लोगों ने काफी पॉजिटिव माइंड सेट की लेकिन यह साल 2020 से भी ज्यादा भयावह रहा। 2021 में कोरोना के कोहराम के साथ-साथ भारत की राजनीति में भी काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला। आइये आपको बताते है 2021 में होने वाले भारतीय राजनीति के घटनाक्रम-

साल 2021 भारत के पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव

राजनीति के लिहाज से साल 2021 भारत की सभी नेशनल पार्टियों के लिए अहम था क्योंकि 2021 में पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव होने वाले थे, जिसका असर साल की शुरूआत में ही देखने को मिल गया था। 2021 में पश्चिम बंगाल, असम, केरल, पुडुचेरी और तमिलनाडु में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सभी पार्टियों ने कमर कस ली थी। चुनावी गणित भी लगाने शुरू हो गये थे। दल बदल की राजनीति भी जोर पर थी। चुनाव प्रचार अभियान शुरू हो गये थे। भाजपा को पश्चिम बंगाल में अपनी सरकार बनाने की उम्मीद थी। वहीं ममता बनर्जी अपनी सीएम की कुर्सी तीसरी बार बनाये रखना चाहती थी। प्रचार के दौरान रैलियों में राजनैतिक जुमलों की बहार आ गयी थी। सभी नेशनल पार्टियां प्रचार में जुटी हुई थी। 

कोरोना का आगमन और चुनाव प्रचार

पांच राज्यों के चुनाव प्रचार के दौरान ही, चुनावों में खलल डालने के लिए एक बार फिर कोरोना वायरस की एंट्री हुई। भारत में कोरोना वायरस की दूसरी लहर आ गयी थी। इस बार वायरस खतरनाक रूप लेकर आया। वायरस के संक्रमण से लगातार लोग संक्रमित हो रहे थे लेकिन दूसरी तरफ सरकार जनसैलाब बुलाकर चुनाव प्रचार में जुटी हुई थी। अस्पताल के बेड मरीजों से लगातर भर रहे थे और ऑक्सीजन टेंक लगातार खाली हो रहे थे लेकिन मानों राजनीतिक पार्टियों को चुनाव में जीत के अलावा और कुछ नहीं दिख रहा हो। रैलिया, जन सभाएं लगातार चल रही थी। जिस समय लॉकडाउन लगाने और चुनाव को टालने की आवश्यता थी उस समय सरकार का टारगेट केवल चुनाव था। कोरोना ने मार्च से लेकर जुलाई तक खूब कोहराम मचाया। भारत की हेल्थ व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा गयी थी। स्थिति बेहद पुरी हो गयी थी, हालात को देखते हुए राज्य सरकारों ने लॉकडाउन लगाना शुरू कर दिया था।

पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की ऐतिहासिक जीत

चुनाव प्रचार के दौरान बीजेपी ने कई नारे दिए थे जैसै- 2 मई ममता दीदी गयी.., अबकी बार दीदी का सूपड़ा साफ... लेकिन इन जुमलों पर ममता बनर्जी का खेला होबे भारी पड़ गया और ममता बनर्जी को चुनाव में बंपर जीत हासिल हुई और बीजेपी शतक लगाने से भी चूक गयी। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने 200 से ज्यादा सीटें जीत कर तीसरी बार मुख्यमंत्री बनीं।

पेगासस मामले पर बवाल

मानों साल 2021 भाजपा के लिए कुछ परेशान करने वाला रहा हो। चुनाव में हारने के बाद विपक्ष के पास सरकार को घेरने का एक और मिल गया वो था पेगासस जासूसी कांड। सरकार पर विपक्ष द्वारा आरोप लगाया गया कि सरकार ने पेगासस स्पाईवेयर के इस्तेमाल से भारत के कई पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के फ़ोन हैक किए है और उनकी जाजूसी की है। इस मुद्दे को विपक्ष ने इतना खीचा कि संसद का मनासून सत्र एक दिन भी नहीं चल सका। जैसे ही संसद में कार्यवाई शुरू होती पेगासस को लेकर विपक्ष हंगामा शुरू कर देता था। विपक्ष पेगासस पर सरकार से जवाब चाहता था, सरकार अपने जवाब में यह कह रही था कि "लॉफ़ुल इंटरसेप्शन" या क़ानूनी तरीके से फ़ोन या इंटरनेट की निगरानी या टैपिंग की देश में एक स्थापित प्रक्रिया है जो बरसों से चल रही है। जवाब से विपक्ष बिल्कुल भी संतुष्ट नहीं हो रहा था। नतीजन संसद का पूरा मानसून सत्र खत्म हो गया लेकिन काम एक भी नहीं हुआ। 

अमरिंदर सिंह बनाम नवजोत सिंह सिद्धू

पंजाब सरकार दूर से देखने पर तो स्थायी लग रही थी लेकिन अंदर ही अंदर पंजाब कांग्रेस में फूट पड़ती जा रही थी। कैप्टन अमरिंदर सिंह बनाम नवजोत सिंह सिद्धू की वाक लड़ाई अब पार्टी को तोड़ने का काम कर रही थी। ये लड़ाई गुरुग्रंथ साहिब की बेअदबी को लेकर शुरू हुई थी लेकिन धीरे-धीरे ये दो नेताओं के अहम का सवाल बन गयी। कांग्रेस के आला हाई कमान ने पंजाब में अंधरूनी कलह को शांत करने की काफी कोशिश की लेकिन अस्थाई समाधान के बाद वाक युद्ध फिर शुरू हो गया। आखिर में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया। 

कैप्टन अमरिंदर सिंह के इस्तीफे से पंजाब कांग्रेस टूटी

पंजाब के मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देने के बाद पंजाब कांग्रेस के विधायक दो भागों में बट गये और पार्टी में फूट पड़ गयी। आगे लोग नवजोत सिंह सिद्धू की तरफ थे और कुछ कैप्टन अमरिंदर सिंह की तरफ। कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब के लोकप्रिय मुख्यमंत्रियों में से एक रहे हैं इस लिए कई पार्टियां कैप्टन अमरिंदर सिंह को अपने साथ मिलाना चाहती हैं। इस रेस में सबसे आगे भाजपा थी। माना जा रहा है कि पंजाब में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा और कैप्टन अमरिंदर सिंह साथ मिलकर चुनाव लड़ सकते हैं। कैप्टन अमरिंदर सिंह के पार्टी छोड़ने से आगानी चुनाव में कांग्रेस को काफी नुकसान हो सकता हैं। 

केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार 2021 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट का विस्तार भी साल 2021 की मुख्य घाटनाओं में से एक रहा है। इस बार का कैबिनेट का विस्तार इस लिए भी चर्चा का विषय रहा था क्योंकि विपक्ष से सरकार के केई मंत्रियों को इनके बयान और काम को लेकर घेरा। सरकार किसी भी तरह का विपक्ष को मौका नहीं देना चाहती थी इस लिए केबिनेट में फेरबदल की गयी। इसमें 36 नए चेहरों को शामिल किया गया है जबकि सात मौजूदा राज्यमंत्रियों को पदोन्नत कर मंत्रिमंडल में शामिल किया गया। आठ नए चेहरों को भी कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया गया। राष्ट्रपति भवन में हुए शपथ ग्रहण समारोह में 43 नेताओं ने मंत्री पद की शपथ ली, जिसमें 15 कैबिनेट और 28 राज्यमंत्री शामिल थे. इस बार पीएम मोदी ने यूथ, एक्सपीरियंस और प्रोफेशनल्स पर फोकस किया था।

कई भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री बदले गये

गुजरात, कर्नाटक, उत्तराखंड सहित भाजपा शासित कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों को आलाकमान द्वारा बदला गया। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने अचानक इस्तीफा दे दिया। रूपाणी से पहले कर्नाटक में जुलाई में बीएस येदियुरप्पा को कुर्सी छोड़नी पड़ी। बीएस येदियुरप्पा से पार्टी के कई नेता नाराज चल रहे थे। इससे पहले उत्तराखंड में भी त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफे के बाद तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया लेकिन कुछ ही महीने नहीं बीते कि उत्तराखंड की कमान तीरथ सिंह रावत से वापस लेकर पुष्कर सिंह धामी को सौंप दी गयी। असम को भी बीजेपी ने हाल ही में नया नेतृत्व दिया है। सर्बानंद सोनेवाल को पांच साल बाद भाजपा ने हिमंत बिस्व सरमा को कमान सौंप दी।

महाराष्ट्र पॉलिटिक्स- वानखेड़े बनाम नवाब मलिक

सुशांस सिंह राजपूत की मौत के बाद से ही मुंबई में एनसीबी ड्रग्स के खिलाफ एक्टिव हो गयी है। ड्रग्स की तस्करी, सेवन, खरीद आदि के मामले में बॉलीवुड के कई बड़े सितारे फंसते हुए नजर आये। हाल ही में शाहरूख खान के बेटे आर्यन खान को भी ड्रग्स मामले में क्रूज पर पार्टी के दौरान गिरफ्तार किया गया। आर्यन खान की गिरफ्तारी के बाद महाराष्ट्र में सियासत गर्म हो गयी और एनसीपी के प्रवक्ता ने एनसीबी की कार्यवाही पर ही सवाल खड़े करने शुरू कर दिए। एनसीबी के मुंबई निदेशक समीर वानखेड़े को भाजपा का एजेंट बताकर नवाब मलिक ने कई गंभीर आरोप लगाये। ये लगाडई कोर्ट तक पहुंची। समीर वानखेड़े से आर्यन खान का केस वापस ले लिया गया और समीर वानखेड़े की जांच की जाने लगी।

प्रधानमंत्री मोदी ने वापस लिया कृषि कानून

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम संबोधन में की गयी अपनी घोषणा के अनुरूप केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक बुलाकर ये प्रस्ताव पारित करा दिया कि सरकार 29 नवंबर से शुरू होने वाले सत्र में ये तीनों कृषि  कानून वापस ले लेगी। सत्र के एजेंडे में ये प्रस्ताव भी आ गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा देश को बताना चाहते हैं कि वे अपनी घोषणा के प्रति ईमानदार हैं। वे किसान हितैषी हैं। ये चाहते तो आंदोलनकारी पर लाठी, गोली चलवा सकते थे। किंतु उन्होंने सब कुछ बर्दाश्त किया, पर ऐसा कुछ नहीं किया।

We're now on WhatsApp. Click to join.
All the updates here:

अन्य न्यूज़