मोदी सरकार के कार्यकाल में भूख से प्रभावित हो रहा देश, स्थिति चिंताजनक: रिपोर्ट

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देश को विकासशील से विकसित बनाने का प्रण ले चुके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने एक नई चुनौती आ गई है, जो उनके तमाम दावों को बहिष्कार करते हुए उनके दावों को झूठा करार दे रही है।

नयी दिल्ली। देश को विकासशील से विकसित बनाने का प्रण ले चुके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने एक नई चुनौती आ गई है, जो उनके तमाम दावों को बहिष्कार करते हुए उनके दावों को झूठा करार दे रही है। बता दें कि रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत में भुखमरी एक बहुत बड़ी समस्या है। 119 देशों के वैश्विक भूख सूचकांक में भारत को 103वां स्थान मिला है। भारत की हालत कुछ इस कदर खस्ता हुई है कि इस मामले में हमसे बेहतर नेपाल, श्रीलंका और बांग्लादेश हैं। हालांकि हम इस बात से खुश जरूर हो सकते हैं कि हम अपने पड़ोसी और प्रतिद्वंद्वी मुल्क पाकिस्तान से बेहतर हैं।

दरअसल, इस रिपोर्ट को हम ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) के नाम से जानते हैं। आपको जानकारी दे दें कि जीएचआई की शुरुआत साल 2006 में इंटरनेशनल फ़ूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट ने की थी। जिसके बाद जर्मनी की वेल्ट हंगरलाइफ नामक एक संस्था ने पहली बार इंडेक्स जारी किया था और इस साल जारी हुई रिपोर्ट इसका 13वां संस्करण है। इस रिपोर्ट में विश्व के 119 देशों के खानपान की स्थिति की पूरी जानकारी होती है। 

मतलब की उस देश की जनता को किस तरह का खाद्य पदार्थ मिलता है उसकी गुणवत्ता क्या है और मनुष्य के शरीर में इसका क्या असर होता है। इसके अतिरिक्त खाद्य पदार्थ की कमियों का भी आंकलन किया जाता है। साल 2006 से शुरू हुए फूड हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट हर साल अक्टूबर माह में सामने आती है।

क्यों हो रही है मोदी सरकार की किरकिरी

साल 2014 में सामने आई रिपोर्ट के मुताबिक भारत का स्थान 55वां था। इसे आप नीचे दिए गए आंकड़ों के आधार पर समझे की बीजेपी नीति वाली मोदी सरकार के बनने के बाद भूख के मामले में भारत में की स्थिति क्या हो गई है।

साल भारत की रैंकिंग
2014 55
2015 80
2016 97
2017 100
2018 103

 

इन आंकड़ों से साफ जाहिर हो रहा है कि भारत ग्लोबल हंगर इंडेक्स में लगातार पिछड़ता जा रहा है। हालांकि, इस रिपोर्ट के बाद सरकार द्वारा चलाई जा रही नीतियों पर भी सवाल खड़ा होने लगा है। क्योंकि सरकार लगातार जनता को यह बता रही है कि विकासशील से विकसित बनाने के लिए तमाम तरह की नीतियां बनाई जा रही हैं और प्रभाव में भी लाई जा रही हैं। वहीं, इसी साल संयुक्त राष्ट्र में पीएम मोदी को अपना मित्र बताने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत की तारीफ भी की और 2018 बहुआयामी वैश्विक गरीबी सूचकांक में भारत की बेहतर स्थिति का जिक्र किया। 

वैश्विक गरीबी सूचकांक पर गौर करें तो वित्त वर्ष 2005-06 से लेकर 2015-16 के बीच भारत के 27 करोड़ लोग गरीबी रेखा से बाहर आ गए हैं। यही एक वजह है कि गरीबी रेखा से बाहर होने के बावजूद ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत की स्थिति सरकार के लिए चिंता पैदा कर रही है।

पड़ोसी देशों की हालत हमसे बेहतर

साल 2018 की ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट में सामने आया कि भारत के पड़ोसी देश चीन, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल और म्यांमार की स्थिति हमसे बेहतर है। बता दें कि इस सूची में बेलारूस शीर्ष पर है। लेकिन, चीन 25वें स्थान पर, श्रीलंका का 67वां स्थान, म्यांमार का 68वां, नेपाल का 72वां और बांग्लादेश का 86वां स्थान है। हालांकि भारत का चिर प्रतिद्वंद्वी मुल्क पाकिस्तान जो आर्थिक संकट से जूझ रहा है उसको इस सूची में 106वां स्थान प्राप्त हुआ है। 

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